MP News: राजगढ़ के बड़बेली गांव में एक दर्दनाक घटना घटी. मां की तेरहवीं के दिन बेटे ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया. बेटा प्रेमनारायण मां के जाने का सदमा सहन नहीं कर पाया था. जिस कारण उसने भी दुनिया को अलविदा कहा.
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Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के राजगढ़ से मां और बेटे के प्यार की कहानी सामने आई है. मामला राजगढ़ के बड़बेली गांव का है. मां की तेरहवीं के दिन ही बेटे ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया. भूलीबाई का निधन 13 दिन पहले हुआ था. सबसे छोटे बेटे प्रेमनारायण ने तेरहवीं का कार्यक्रम पूरी रीति-रिवाज से किया. इसके बाद सुबह 5 बजे सोने चला. पत्नी ने उठाने के लिए कमरे में गईं, लेकिन प्रेमनारायण ने कहा कि 5 मिनट और सोना चाहता हूं. जब पत्नी ने कुछ समय बाद फिर से उठाने का प्रयास किया तो प्रेमनारायण ने जवाब नहीं दिया.
जब प्रेमनारायण को अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. बेटे की बात सच हो गई. उसने कहा था कि मां जब तक जीएंगे साथ रहेंगे. आज यह सच हो गया. बताया जाता है कि वह अपनी मां के बहुत करीब था. मां के जाने का सदमा सहन न कर पाने के कारण उसकी मौत हो गई.
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भूलीबाई पती की मौत के बाद दर्द में थी
परिवार वालों ने बताया कि भूलीबाई के तीन बेटे थे. लक्ष्मीनारायण दांगी, रामलाल दांगी और छोटा प्रेमनारायण दांगी. तीन बेटियां भी हैं. कुछ साल पहले भूलीबाई के पति फूलसिंह दांगी की मौत हो गई. बुढ़ापे में पति का साथ छूट जाने का बहुत गम था. उनके बच्चे उनके पास थे. फिर भी पति की कमी का दर्द हमेशा महसूस होता था. बेटे भी इस स्थिति को देखकर बहुत दुखी थे.
छोटा बेटा करता था मां से बेहद प्यार
छोटा बेटा प्रेमनारायण उनके सबसे करीब था. इस मुश्किल समय में अपनी मां को ढांढस बंधाया. उसने अपनी मां से कहा मां चिंता मत करो. पापा चले गए हैं, लेकिन हम तो हैं. मां जब तक जीएंगे साथ रहेंगे. प्रेमनारायण की यह बात आज सच हो गई. प्रेमनारायण के जाने के बाद परिवार उनकी इस बात को बहुत याद कर रहा है. प्रेमनारायण के अचानक चले जाने से परिवार गहरे सदमे में है. उनका कहना है कि प्रेमनारायण इतना प्यार करता था कि अपनी मां की मौत का सदमा सहन नहीं कर सका.
प्रेमनारायण के बेटे ने क्या बताया
प्रेमनारायण के इकलौते बेटे भगवान सिंह दांगी ने भूलीबाई की मौत का कारण बताया. उन्होंने कहा कि 27 जुलाई को दादी भूलीबाई को अचानक घबराहट होने लगी और उन्हें तेज पसीना आने लगा. कुछ समय बाद उनका निधन हो गया. दादी की तेरहवीं पर सामाजिक रीति-रिवाज से सभी काम किए गए. उन्होंने बताया कि तेरहवीं के समारोह में पापा बहुत व्यस्त थे और दूर-दूर से परिवार के लोग आए हुए थे.
तेरहवीं के बाद की कहानी
तेरहवीं का कार्यक्रम शाम 4 बजे तक समाप्त हुआ. इसके बाद सभी दूर से आए रिश्तेदार अपने घर लौट गए. प्रेमनारायण के बेटे ने बताया कि हमारे समाज में विदाई की पूजा होती है. विदाई की पूजा के लिए बहन-बेटियों के साथ कुछ पास के रिश्तेदार रुक गए. विदाई की पूजा सुबह 4 बजे तक सम्पन्न हुई. सभी ने दादी को आखिरी विदाई दी और फिर अपने-अपने कमरे में सोने चले गए. उन्होंने कहा कि पापा भी सुबह 5 बजे कमरे में सोने के लिए गए. मां सुबह करीब 6 बजे पापा को उठाने के लिए कमरे में पहुंचीं.