Rang Teras Celebration in Ratlam: होली को बीते 13 दिन हो चुके हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में शनिवार को जमकर रंग-गुलाल उड़ते नजर आए. ऐसा इसलिए क्योंकि कुमावत समाज की अनूठी परंपरा के तहत शहर में होली तेरस का आयोजन हुआ. जानिए इस अनूठी परंपरा के बारे में-
Ratlam News: मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में 6 अप्रैल को जमकर रंग-गुलाल उड़े. गेर भी निकाली गई, लेकिन होली बीतने के 13 दिन बाद रंगों के इस जश्न को देखकर लोग थोड़ा हैरान हुए. दरअसल, कुमावत समाज की अनूठी परंपरा के तहत हर साल होली के 13 दिन बाद शहर की सड़के रंग-गुलाल से सज गई. जानिए रंग तेरस की अनूठी परंपरा के बारे में-
रतलाम में कुमावत समाज ने परंपरागत तरीके से रंग तेरस मनाई. शहर की सड़कों पर बच्चे, युवा, पुरुष और महिला जमकर रंग-गुलाल खेलते नजर आए. उल्लास और सदभावना के साथ समाज के लोगों ने गेर निकाली. ढोल-नगाड़ों और DJ की धुन पर खूब इंजॉय भी किया.
रंग तेरस की परंपरा- रंग तेरस पर कुमावत समाज के पदाधिकारी और वरिष्ठजन उन परिवारों में जाते हैं, जहां पिछले एक साल में किसी का निधन हुआ हो. वहां जाकर वे परिजनों को रंग डालकर उत्सव की गेर में शामिल करते हैं.
ऐसा नहीं है कि कुमावत समाज होली या रंग पंचमी पर रंग नहीं लगाते. लेकिन राजस्थानी संस्कृति में कुमावत समाज के लिए रंग तेरस का बहुत महत्व है. ऐसे में होली और रंग पंचमी खेलने के साथ-साथ होली तेरस भी धूमधाम से मनाई जाती है.
दो दौर में मनाया जाती है रंग तेरस- रंग तेरस को दो दौर में मनाया जाता है. पहले दौर में परंपरा के तहत लोग रंग-गुलाल खेलते हुए गेर निकालते हैं. इसके बाद रात को समाज के मंदिर के सामने युवा ढोल की थाप पर चंटिये खेलेंगे.
देर शाम को समाज के सभी लोग समाज के मंदिर के सामने अच्छे से तैयार होकर पहुंचेंगे और मिलजुलकर चंट्टिया खेलेंगे.
बता दें कि हर साल होली बीतने के 13वें दिन रतलाम में कुमावत समाज द्वारा होली तेरस बहुत ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है.
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