MP News: मध्य प्रदेश में EOW में पेंडिंग पड़े केस को लेकर कांग्रेस (Congress) ने भाजपा (BJP) पर निशाना साधा है. पार्टी का कहना है कि प्रदेश सरकार भ्रष्ट कर्मचारियों को बचा रही है.
Trending Photos
प्रमोद शर्मा/ भोपाल: मध्य प्रदेश (MP News)में इसी साल विधानसभा चुनाव है. इसे लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है. इसी बीच कांग्रेस (Congress) पार्टी ने EOW में 76 सरकारी अधिकारी कर्मचारियों के अभियोजन की स्वीकृति न मिलने पर सरकार पर सवाल खड़ा किया है. पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा (Sajjan Singh Verma) ने आरोप लगाया है कि जानबूझकर भ्रष्ट अफसरों को शिवराज सरकार (Shivraj Sarkar) बचा रही है. लेकिन BJP का दावा है कि सारे मामले पेंडिंग में पड़े हैं, क्या है पूरा मामला जानते हैं.
पेंडिंग में पड़े केस
मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार निरोधी संस्था EOW में 29 मामलों के 76 कर्मचारी अधिकारियों के अभियोजन मामले पेंडिंग में पड़े हुए हैं. कहा जा रहा है कि भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ विभाग ईओडब्ल्यू को चार्जशीट पेश करने की अनुमति समय से नहीं दे रहा. हैरत की बात यह है कि EOW ने पिछले कई सालों में मध्य प्रदेश के भ्रष्ट अफसरों को जनता की योजनाओं में पलीता लगाने सरकार को आर्थिक हानि पहुंचाने के मामले में जांच पूरी कर ली है. पर विभाग इन भ्रष्ट अफसरों को बचा रहा है और चार्जशीट पेश करने के लिए यानि आरोप सिद्ध करने के लिए इनको सजा से बचाने के लिए अभियोजन की अनुमति देने में देरी कर रहा है. इसमें कई विभागों के बड़े अफसर कर्मचारी और आईएएस अफसर शामिल हैं.
ये भी पढ़े: कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे पर भड़के ज्योतिरादित्य सिंधिया, बोले- अपने गिरेबान में झांके
बेबस जांच एजेंसियां
ईओडब्ल्यू में पेंडिंग अभियोजन के लिए भ्रष्ट अफसरों के मामले बताते हैं कि भले ही ईओडब्ल्यू भ्रष्टाचार के मामलों पर सख्त कार्रवाई करें पर इन भ्रष्ट अफसरों पर चार्जशीट की अनुमति ना देकर विभाग इनको भ्रष्टाचार की खुली छूट दे रहा है. प्रदेश में कई अफसर कर्मचारी भ्रष्टाचार में पकड़े गए हैं जो EOW में पेंडिंग है पर इन पर कार्रवाई से विभाग बचा रहा है.
काम कर रहे हैं कर्मचारी
76 भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़े गए अधिकारी और कर्मचारियों पर कार्यवाही की अनुमति वर्षों से पेंडिंग है. ईओडब्ल्यू को इंतजार है कि विभाग इनको अभियोजन की अनुमति दे और इन भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई हो जाए. इनमें से बहुत सारे अधिकारी ऐसे हैं जो भ्रष्टाचार में पकड़े जाने के बावजूद भी विभागों में काम कर रहे हैं. लेकिन सवाल यह है कि जब भ्रष्टाचार में पकड़े गए तो विभाग में बड़े पदों पर बैठे अधिकारी इन पर अभियोजन की अनुमति न देकर क्या भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं. या फिर इन इस भ्रष्टाचार के खेल में ऊपर से इन भ्रष्टाचारियों को सह मिल रही थी?
अभियोजन का नियम
अभियोजन का नियम ये है कि किसी भी मामले में जांच एजेंसी को अभियोजन की अनुमति विभाग द्वारा 4 माह में दी जानी चाहिए . पर हैरत की बात यह है कि मध्य प्रदेश प्रमुख सचिव कार्मिक विभाग के पास 7 साल पुरानी अभियोजन की अनुमति पेंडिंग है. पवन जैन तत्कालीन SDM अधिकारी सांवेर जिला इंदौर कि बिल्डरों से सांठगांठ कर सरकार को राजस्व हानि का मामला आजतक अभियोजन की अनुमति की आस लगाए EOW बैठा हुआ है.
जबकि दूसरा मामला भी अभियोजन की अनुमति का इंतजार कर रहा है. ये मामला प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग के पास पेंडिंग है योगेंद्र शर्मा पूर्व आईएएस अफसर और तत्कालीन कलेक्टर विदिशा को ईओडब्ल्यू को विभाग ने अभियोजन की अनुमति नहीं दी है. जबकि योगेंद्र शर्मा विदिशा कलेक्टर 2007-2010 तक रहे हैं यह मामला लगभग 13 साल से ज्यादा पुराना हो गया है लेकिन अनुमति पेंडिंग में है.
ईओडब्ल्यू में पेंडिंग पड़े भ्रष्ट अफसरों की पूरी सूची ज़ी मीडिया के पास है कितने भ्रष्टाचार में लिप्त अफसर और कर्मचारियों पर कार्यवाही के बावजूद अभियोजन की अनुमति विभाग नहीं दे रहा है. यह सूची देखेंगे तो समझ जाएंगे कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई में कितनी ज्यादा कमजोर है.
इन विभागों के हैं कर्मचारी