GMC Doctor Suicide Case: केरल और दिल्ली तक पहुंचा डॉक्टर की सुसाइड का मुद्दा, कमलनाथ ने सरकार से किए कई सवाल
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GMC Doctor Suicide Case: केरल और दिल्ली तक पहुंचा डॉक्टर की सुसाइड का मुद्दा, कमलनाथ ने सरकार से किए कई सवाल

MP Doctor Suicide Case: मध्य प्रदेश की राजधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज में जूनियर महिला डॉक्टर की सुसाइड का मामला अब केरल से लेकर दिल्ली तक पहुंच गया है. कांग्रेस अब इस मुद्दे पर मुखर हो गई है. जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं.  

GMC Doctor Suicide Case: केरल और दिल्ली तक पहुंचा डॉक्टर की सुसाइड का मुद्दा, कमलनाथ ने सरकार से किए कई सवाल

MP News/प्रिया पांडेय: भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज (Gandhi Medical College) की जूनियर डॉक्टर सरस्वती सुसाइड केस अब केरल से लेकर दिल्ली तक पहुंच गया है. मामले में केरल के कांग्रेस लोकसभा सांसद ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) को पत्र लिखा है. सरस्वती के सुसाइड को लेकर सांसद ने HOD अरूणा कुमार पर सवाल उठाए हैं. सांसद ने गृहमंत्री से जल्द से जल्द पूरे मामले पर एक्शन लेने की मांग की है.

गृहमंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में सांसद ने की मांग की है कि संबंधित विभाग और एचओडी स्त्री रोग डॉ अरुणा कुमार से पूछताछ की जाए. घटना के लिए जो भी जिम्मेदार हैं, उन्हें तब तक निलंबित किया जाए. इसके अलावा जीएमसी कॉलेज विभागों में स्वस्थ कार्य वातावरण सुनिश्चित करने और दुरुपयोग और विषाक्तता की जांच करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए. सांसद ने पत्र में आगे लिखा कि ऐसे विषाक्त विभागों के लिए उत्पीड़न सेल के साथ छात्रों के साथ व्यवहार करने के उनके रिकॉर्ड और इसकी समीक्षा के आधार पर विभागाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए नए सुधारों की जरूरत है.

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, गांधी मेडिकल कॉलेज की जूनियर डॉक्टर बाला सरस्वती ने रविवार को आत्महत्या कर ली थी. जूनियर डॉक्टर ने सुसाइड नोट में अपनी मौत के लिए डिपार्टमेंट की 3 सीनियर महिला डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराया. पति जयवर्धन चौधरी ने आरोप लगाए है कि सरस्वती से 36 घंटे की ड्यूटी कराई जाती थी. बता दें कि सरस्वती प्रेग्नेंट भी थीं. जूनियर डॉक्टर एचओडी को हटाने को लेकर बुधवार को जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे.

कमलनाथ ने भी सरकार पर उठाए सवाल
इधर, जूनियर डॉक्टर्स को मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ का समर्थन मिला है. कमलनाथ ने ट्वीट कर सरकार पर सवाल उठाए. उन्होंने लिखा- एक सप्ताह में दूसरे डॉक्टर द्वारा यह कोशिश कॉलेज के अंदरूनी हालात पर रोशनी डालती है. सरकार से अपेक्षा है कि वह बच्चों का जीवन बचाये. यह भी बताये कि सुसाइड प्रिवेंशन कार्यक्रम की घोषणा का क्या हुआ? क्या शिवराज जी बतायेंगे कि विगत तीन साल में कितने डाक्टर्स ने पढ़ाई छोड़ दी? कितने बच्चों ने कॉलेज बदला? कितनों ने ट्रांसफर लिया? इसकी सूची जारी करें और स्वयं रास्ता निकालें.

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