Chhattisgarh News: पुलिस द्वारा बताया गया कि दोनों पति-पत्नी माओवादियों की खोखली विचारधारा, भेदभावपूर्ण व्यवहार, उपेक्षा और प्रताड़ना से तंग आ चुके थे, जिसके चलते उन्होंने छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास एवं समपर्ण नीति से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण किया.
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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के जिला बीजापुर में चलाए जा रहे माओवादी उन्मूलन अभियान के तहत मंगलवार को दो नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया. सरेंडर करने वाले पति-पत्नी हैं. महिला भैरमगढ़ एरिया कमेटी के प्लाटून नं. 13 बी सेक्शन कमांडर थी, जबकि पति पालनार आरपीसी सीएनएम सदस्य था. दोनों ही बीजापुर के रहने वाले हैं. दोनों ने बीजापुर पुलिस अधीक्षक आंजनेय वार्ष्णेय के सामने सरेंडर किया. पुलिस द्वारा बताया गया कि दोनों पति-पत्नी माओवादियों की खोखली विचारधारा, भेदभावपूर्ण व्यवहार, उपेक्षा और प्रताड़ना से तंग आ चुके थे, जिसके चलते उन्होंने छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास एवं समपर्ण नीति से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण किया.
पुलिस ने बताया कि महिला 2004 में बाल संगम सदस्या के रूप भर्ती हुई थी. 2005 में सीएनएम सदस्य के रूप में कार्य किया. 2006 में पालनार जीआरडी सदस्या के रूप में कार्य किया. 2007 में उसूर एलओएस पीएलजीएस सदस्या रूप में कार्य किया. 2008 में सीआरबी दलम भेजा गया. 2010 से 2014 तक सीआरबी दलम के प्लाटून नं.22 में पीपीएम का पद एवं प्लाटून नं. 22 बी सेक्सन के कमाण्डर के रूप में कार्य किया.
इन घटनाओं में रहे शामिल
महिला 2009 में नीलमडगू पुलिस माओवादी मुठभेड़ की घटना, 2013 में कोकेरा के मुठभेड़ की घटना में शामिल और 2015 में बेचापाल मुठभेड़ की घटना में शामिल थी, जबकि उसका पति 2020 में पुलिस पार्टी को नुकसान पहुंचाने गंगालूर मार्ग में प्रेशर आईईडी लगाने एवं ब्लास्ट कि घटना और 2020 गंगालूर से चेरपाल जाने वाली सड़क पर गडढा खोदकर मार्ग अवरूद्ध करने की घटना में शामिल था.
2007 में हुआ था भर्ती
पुलिस ने बताया कि अनिल पदम 2007 से 2010 से ग्राम पालनार का बाल संगम सदस्य के पद पर संगठन में भर्ती किया गया. 2011 में बाल संगम सदस्य के पद से पालनार आरपीसी सीएनएम सदस्य के पद पर पदोन्नत किया गया. 2023 तक पालनार आरपीसी सीएनएम सदस्य के पद पर पालनार आरपीसी भूमकाल मिलिशिया सदस्यों के साथ संत्री ड्यूटी करता था.
क्या थी सरेंडर करने की वजह
पुलिस ने बताया कि संगठन में कार्यो की उपेक्षा एवं भेदभाव पूर्ण व्यवहार से त्रस्त होकर और शासन की आत्मसमर्पण नीतियों से प्रभावित होकर भारत के संविधान पर विश्वास रखते हुए मुख्यधारा से जुड़कर शासन की योजनाओं और पुनर्वास नीति का लाभ लेने माओवादी दाम्पति ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया गया. माओवादियों द्वारा आत्मसमर्पण करने पर इन्हें उत्साहवर्धन हेतु शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत 25000-25000 रुपये (पच्चीस हजार रुपये) नकद प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई.