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त्रेतायुगीन वह स्थान जहां भगवान राम ने गुजारा था पहला चौमासा, एक रात में हुआ था निर्माण


मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम वनवास काल के दौरान जिस रास्ते से गए थे, उसे रामवनगमन पथ के नाम से जानते हैं. इसको डवलप करने के लिए सरकार की तरफ से योजनाएं चलाई जा रही है. वहीं आज हम आपको छत्तीसगढ़ के एक ऐसे स्थान के बारे में बता रहे हैं, जहां प्रभु राम वनवास काल के दौरान सबसे पहले आए थे.

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छत्तीसगढ़ का भगवान राम से काफी करीब का नाता है, क्योंकि वनवास काल के दौरान वे काफी समय तक छत्तीसगढ़ में रहे थे. इसके अलावा मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की माता कौशल्या छत्तीसगढ़ की राजकुमारी थी. छतीसगढ़ प्रदेश में प्रभु श्रीराम का पहला प्रवेश मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले के भरतपुर ब्लाक के हरचोका में हुआ था. 

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रामवनगमन पथ का एक हिस्सा सीतामढ़ी हरचोका नामक प्राचीन धार्मिक स्थल है. यह जगह रामवनगमन पर्यटन स्थल के रूप इतिहास में भी दर्ज है.बता दें कि जहां त्रेतायुग में भगवान श्री राम अपने वनवास काल के दौरान पहुंचे थे. जो मध्यप्रदेश की सीमा से लगा हुआ है. प्रभु श्रीराम चित्रकूट में वनवास का समय बिताने के बाद सतना और सीधी के रास्ते हरचोका आये थे.

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भरतपुर विकास खण्ड के हरचोका पंचायत में स्थित सीतामढ़ी है, छतीसगढ़ में प्रभु श्रीराम भाई लक्ष्मण और सीता माता के पहले प्रवेश के रूप में इस जगह को जाना जाता है. मवई नदी के किनारे पत्थरों को काटकर यह सीतामढ़ी बनाई गई है. त्रेता युग में इसका निर्माण पत्थरों की गुफा को काटकर प्राकृतिक रूप दिया गया था. बताया जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में इसका निर्माण किया था और यहां प्रभु श्रीराम के साथ सीता मइया और भाई लक्ष्मण रुके थे. सीतामढ़ी के किनारे से मवई नदी निकली हुई है. सीतामढ़ी में 12 ज्योतिर्लिंगो के अलावा कई मूर्तिया स्थापित है. यहां तक पहुंचने के लिए पहुंच मार्ग सीतामढ़ी बना हुआ है. स्वागत द्वार भी बनाया गया है. सीतामढ़ी के चारों ओर बाउंड्रीवाल बनी हुई है.

यहां सीता माता बनाती थी भोजन

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यहां सीता माता बनाती थी भोजन

पुजारी दीप नारायण पांडेय ने बताया कि राज्य सरकार के द्वारा इसे पर्यटन स्थल में शामिल कर विकास कार्य किये जा रहे. त्रेतायुग में भगवान श्री राम यहां अपने अनुज लक्ष्मण व माता सीता के साथ यह वनवास काल मे पहुंचे थे और यहां से अपना प्रवेश द्वार बनाये थे. यह सीता माता की रसोई भी है. जहां सीता माता कंद मूल फलों से भोजन कराती थी. यह मवई नदी के तट पर स्थित है. यहां सरकार द्वारा लगातार आने वाले लोगों के लिए कार्य कर रही है. सीढ़ियों के निर्माण कार्य किया जा रहा है. 

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छतीसगढ़ प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश के अनूपपुर शहडोल और सीधी जिले के लोगों का आना-जाना यहां हमेशा लगा रहता है. जिनके द्वारा पूजा अर्चना की जाती है. रामनवमी के दिन यहां मेला लगता है. जिसमें श्रद्धालुओं की काफी भीड़ होती है. सीतामढ़ी में एक पुजारी भी रहते हैं. 

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छतीसगढ़ सरकार इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का कार्य कर रही है. जिसे लेकर जिला प्रशासन लगातार इस जगह का दौरा कर रहा है. बताया जाता है श्री राम अपने वनवास काल मे चौमास यहा बिताये थे. जहां उन्होंने भगवान शंकर की पूजा करते थे. यह एक दिव्य स्थल माना जाता है और उस समय की यहां पर प्राचीन मूर्तिया आज भी स्थापित है. यहां लोग बड़ी दूर-दूर से इस स्थल को देखने पहुंचते है.

 

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आपको बता दें कि छतीसगढ़ सरकार द्वारा राम वनगमन स्थलों को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किये जाने का निर्णय लिया गया है. जिसके लिये सरकार ने इनके विकास के लिए तीन करोड़ पचास लाख की राशि स्वीकृत की है. जिसे 2021-22 दो के प्रथम अनुपूरक बजट में शामिल किया गया. जिन जगहों का चयन सरकार ने किया है. उसमें से एक मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले के सीतामढ़ी हरचोका को शामिल किया गया है. इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का कार्य कर रही है.

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 इस क्षेत्र में पूर्व में सैकड़ो पौधे रोपड़ किया गया है और आने वाले समय मे इस क्षेत्र में पर्यटक लगातार आकर्षित होंगे और पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी जिसको लेकर के सरकार के द्वारा कार्य किये जा रहे हैं. बताया जाता है कि पहले नदी में बाढ़ आने से सीतामढ़ी मंदिर पर जलजमाव की स्तिथि ने अव्यवस्था फैल जाती थी और रेत से पूरा मंदिर ढक जाता था. वहीं बाद में मंदिर के चारों ओर ऊंची ऊची दीवार बन जाने के बाद यह समस्या अब नहीं रही.