Chhattisgarh News: धान खरीदी केंद्रों पर किसानों के साथ ठगी हो रही है. मोटी धान की कीमत में पतली वैरायटी का धान खरीदा जा रहा है. किसानों को प्रति क्विंटल ₹20 का नुकसान हो रहा है. पतले मोटे के खेल में राइस मिलों को फायदा होता है.
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Chhattisgarh News: धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में धान किसानों के साथ ठगी हो रही है. गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में समर्थन मूल्य वाले धान खरीदी केंद्रों पर किसानों के को बड़े स्तर पर चूना लगाया जा रहा है. यहां किसानों का पतला सुगंधित धान मोटे की कीमत में खरीदा जा रहा है, जिससे किसानों को प्रति क्विंटल ₹20 का नुकसान हो रहा है. जिले में लगभग 30 हजार मेट्रिक टन मोटा और 537 मेट्रिक टन पतला धान खरीदी हुई है. जिम्मेदार विभाग इसके लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
छत्तीसगढ़ सरकार की सबसे बड़ी योजना धान खरीदी योजना में किसानों को ही चुना लगाया जा रहा है. गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में धान खरीदी योजना के अंतर्गत समर्थन मूल्य पर धान खरीदी केंद्रों में किसानों के साथ बड़े पैमाने पर ठगी की जा रही है. वह भी तब जब कई स्तरों पर खरीदी केंद्रों की निगरानी होती है. दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार और बीज निगम द्वारा किसानों को समिति के माध्यम से वितरित किया जाने वाला उन्नत किस्म का 1010 धान बीज जो पतली वैरायटी का है खरीदी केंद्रों में मोटा धान बात कर किसानों से खरीदी किया जा रहा है जिससे सीधे किस ठगे जा रहे हैं.
किसानों को हो रहा नुकसान
मामले में किसानों का कहना है कि हमारे द्वारा लगाया गया बीज भी सरकारी है. खरीदी करने वाला भी सरकारी खरीदी केंद्र हैं. ऐसे में इन खरीदी केंद्रों में पतले धान को मोटा बात कर क्यों खरीदा जा रहा है यह उन्हें नहीं पता पर इससे उन्हें नुकसान जरूर हो रहा है. इस मामले मे जब पेंड्रा खरीदी केंद्र प्रभारी से बात की गई तो केंद्र में खरीदी किए गए धान के आंकड़े भी इसकी तस्वीर करते नजर आए. कुल खरीदे गए धान का 10% भी पतला धान की खरीदी के रूप में दर्ज नहीं था.
किसानों के साथ हो रहा अन्याय
मामले में पेंड्रा में नियुक्त कृषि विभाग के ग्रेडर का कहना है कि 1010 पतला वैरायटी का धान है. इसे मोटे में लेना अन्याय है. उन्होंने बताया कि FAQ के अनुसार ग्रेडिंग में 1010 या पतली वैरायटी में मोटे धान की वैरायटी पाए जाने पर उसे मोटा मान कर खरीदा जाता है. हालांकि समिति में इसके पैमाने या जांच के लिए कोई भी उचित व्यवस्था नहीं है. बावजूद किसानों के साथ धोखाधड़ी जारी है. इस पूरे मामले पर जब धान खरीदी के सरकारी एजेंसी जिला विपणन संघ के जिला विपणन अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने पतले मोटे की खरीदी का पूरा ठीकरा कृषि विभाग पर फोड़ दिया. उनका कहना था कि कृषि विभाग के ग्रेडर जैसा बताते हैं उसी के अनुसार ही धान खरीदी हो रही है.
रिपोर्ट: दुर्गेश बिसेन, जीपीएम