Zee Exclusive: चावल, कोयला, आयरन, हॅास्पिटल, नक्सल; रमन सिंह के कार्यकाल की बुनियाद पर छत्तीसगढ़ कैसे बना श्रेष्ठ, जानिए
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Zee Exclusive: चावल, कोयला, आयरन, हॅास्पिटल, नक्सल; रमन सिंह के कार्यकाल की बुनियाद पर छत्तीसगढ़ कैसे बना श्रेष्ठ, जानिए

Zee Exclusive: छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह की गिनती एक सुलझे हुए राजनेताओं में होती है, रमन सिंह का कार्यकाल भी काफी ज्यादा अच्छा था, वो छत्तीसगढ़ के पहले बीजेपी के निर्वाचित सीएम बने थे, पिछड़े- उजड़े, से मिले छत्तीसगढ़ को विकास की नई ऊंचाईयों पर पहुंचाने का काम इन्होंने किया. जी न्यूज के खास कार्यक्रम में जब रमन सिंह ने बोलना शुरू किया तो लोग टकटकी लगाकर सुनते रह गए, जानिए क्या कहा. 

Zee Exclusive: चावल, कोयला, आयरन, हॅास्पिटल, नक्सल; रमन सिंह के कार्यकाल की बुनियाद पर छत्तीसगढ़ कैसे बना श्रेष्ठ, जानिए

Zee Exclusive EX CM Raman Singh: जेपी नड्डा के छत्तीसगढ़ दौरे से ठीक एक दिन पहले ही दिल्ली में रमन सिंह और जेपी नड्डा की खास मुलाकात हुई. इसके बाद से राज्य में कई तरह की सुगबुगाहट सुनने को मिल रही है. स्थानीय पत्रकारों का दावा है इस तरह की मुलाकातें छत्तीसगढ़ बीजेपी में कुछ बड़े बदलाव के संकेत दे रही हैं. इस बीच जी न्यूज के खास कार्यक्रम में जब रमन सिंह ने मंच से बोलना शुरू किया तो लोग एक टक देखते और सुनते रहे. पूर्व सीएम के अभिभाषण की गहराई ने याद दिला दिया कि क्यों वो सबसे गंभीर और एक सधे हुए सीएम में से रहे. उनके भाषण की गहराई और रोचक तथ्यों ने छत्तीसगढ़ की असली ताकत बताई. 

रमन सिंह का कार्यकाल 
साल 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ, कांग्रेस के बाद जब बीजेपी से रमन सिंह सीएम बने तो उनके सामने चुनौतियों का अंबार लग गया, चुनौतियां ऐसी जो किसी भी राज्य के सीएम के लिए आसान नहीं होती है, पहली नक्सलवाद से लड़ाई कैसे लड़ी जाए, दूसरी एक पिछड़े राज्य के निवासियों को मूलभूत सुविधाएं और जरूरत की सुविधाएं कैसे उपलब्ध कराई जाए. इसके अलावा छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को आधुनिक सुविधाओं, शिक्षाओं से कैसे रूबरू कराया जाए. इन सब की चुनौतियों का सामना करते हुए तत्कालीन सीएम रमन सिंह ने प्रदेश को गतिमान बनाना शुरू किया, अपने कार्यकाल में इन्होंने कई ऐसा काम जिसकी चर्चा आज भी राजनीतिक जानकार करते हैं, जी न्यूज के खास कार्यक्रम में इन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के माइनिंग वाले इलाकों के लिए लड़ी लड़ाई, रॉयल्टी के लिए दिल्ली तक आवाज उठाई . उनके हक के लिए 15 प्रतिशत रॉयल्टी बढ़ाई, उस एरिया के डेवलपमेंट के लिए केंद्र से मदद लेकर काम शुरू किया. ग्रीनरी, जल संरक्षण के लिए कदम उठाए. साथ ही साथ कहा कि सरकार नीति तो बनाती है, लेकिन नीयत सही नहीं होती तो लूट होती है. 

छत्तीसगढ़ 2003 में क्या था? निर्माण प्रक्रिया क्या थी? सीएम बनने के बाद हर क्षेत्र में बदहाली थी, हर तरफ काम किया. सिर्फ 2 मेडिकल कॉलेज थे, 10 बनाए, 1 नर्सिंग कॉलेज था 86 नर्सिंग कॉलेज बनाए.  2003 से 2015 तक 80000 शिक्षकों की भर्ती. नक्सल समस्या पर स्ट्रैटेजी बनाई. तक पता चला कि पुलिस जंगल वॉर फेयर के लिए तैयार है ही नहीं. तब जंगल वॉर फेयक कॉलेज खोले. 1 लाख से ज्यादा नई भर्तियां की. हजारों लोगों की हर साल ट्रेनिंग हो रही है.

इसके अलावा कहा कि कोयला से लेकर लोहा तक में छत्तीसगढ़ श्रेष्ठ है. साथ ही साथ बताया कि देश के कुल उत्पादन होने वाले कोयले के उत्पादन के मामले में देश का 18 प्रतिशत कोयला उत्पादन छत्तीसगढ़ में होता है, इसके अलावा बताया कि 100 साल तक अगर कॉल डिपॉजिट किसी के पास है तो वो छत्तीसगढ़ के पास है. 11 राज्यों की बिजली चल रही है छत्तीसगढ़ की वजह से, लौहअयस्क 16 प्रतिशत, स्पंज आयरन 28 प्रतिशत है, हिंदुस्तान में कहीं भी मकान बन रहा है तो 5वीं बोरी सीमेंट छत्तीसगढ़ का है, साथ ही साथ कहा कि 20 प्रतिशत शेयर हमारा है. 

सुलझे सीएम हैं रमन सिंह
बात है साल 2003 की छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने वाले थे, विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपने आप को जीतते हुए देख रही थी तो वहीं दिलीप सिंह जूदेव अपने आप को सीएम बनते हुए देख रहे थे, हालांकि कहा गया है कि सियासत में कुछ भी तय नहीं होता औऱ राजयोग सबकी कुंडली में नहीं होता है. एक स्टिंग से जूदेव का सारा ख्वाब चौपट हो गया, जिसके बाद अब चर्चा तेज हो गई की छत्तीसगढ़ बीजेपी का नेतृत्व कौन करेगा, सरकार बनने के बाद कौन संभालेगा कुर्सी, किसकी बुनियाद पर खड़ी होगी छत्तीसगढ़ बीजेपी की इमारत, सब हैरान परेशान थे, इसी दौरान किसी ने छत्तीसगढ़ के तत्कालीन बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रमन सिंह का नाम सुझाया, हालांकि सीएम की रेस में बृजमोहन अग्रवाल, नंदकुमार साय और रमेश बैंस जैसे बड़े नेता भी थे. मगर रमन सिंह को उनके विवेक, साफ सुथरी छवि, चुनाव के समय की गई जी तोड़ मेहनत का परिणाम मिला और पार्षदी से राजनीतिक करियर शुरुआत करने वाले रमन सिंह 7 दिसंबर, 2003 को छत्तीसगढ़ के पहले निर्वाचित सीएम बन गए.

हालांकि इनके सामने 2008 के चुनाव में कड़ा इम्तिहान था, 2008 में चुनाव जीतने के बाद रमन सिंह  2-3 रुपये किलो चावल बांटा. जिसके बाद रमन को एक नया नाम दिया गया - चाउर वाले बाबा. इसका मतलब चावल वाले बाबा. पब्लिक कनेक्ट बनाए रखने के लिए जनता दरबार लगाया. अगले 5 साल के कार्यकाल में रमन सिंह की छवि विकास पुरुष वाली बन गई. अगर हम आज के छत्तीसगढ़ की वर्तमान स्थिति की बात करें तो जो छत्तीसगढ़ आज दुनिया देख रही है वो रमन सिंह के कार्यकाल की बुनियाद पर खड़ा हुआ है. 

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