Bilaspur District Hospital: बिलासपुर जिला अस्पताल में मरीज इलाज के लिए डॉक्टरों का इंतजार कर रहे थे लेकिन इस दौरान एक भी डॉक्टर वहां मौजूद नहीं था.
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शैलेन्द्र सिंह/बिलासपुर: बिलासपुर जिला अस्पताल में सुबह 9 बजे से ओपीडी चालू होता है. इस बीच बुधवार को 9.30 बजे ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. प्रमोद महाजन अस्पताल का निरीक्षण के लिए पहुंच गए. उस समय डॉक्टरों के कक्ष के सामने मरीजों की लाइन लगी हुई थी, लेकिन किसी भी कक्ष में डॉक्टर नहीं थे, लगभग 79 डॉक्टर एक साथ गायब थे. ऐसे में सभी को अनुपस्थित कर नोटिस जारी कर दिया है.
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दरअसल सरकारी अस्पतालों की ओपीडी सुबह नौ बजे से शुरू हो जाती है. डॉक्टरों को नौ बजे अपने कक्ष में पहुंचकर मरीजों का इलाज शुरू कर देना होता है, लेकिन ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में देर से काम शुरू होता है. ऐसे में जेडी डॉ. प्रमोद महाजन व्यवस्था का जायजा लेने सुबह साढ़े नौ बजे जिला अस्पताल के ओपीडी में औचक निरक्षण करने पहुंच गए. जिसके बाद उन्हें डॉक्टरों के असलियत का पता चला.
100 मरीज बैठे थे, कोई नहीं था डॉक्टर
बता दें कि सुबह 9 बजे ही अस्पताल में 100 से ज्यादा मरीज उपचार के लिए बैठे हुए थे. जानकारी मिली कि अभी तक एक भी डॉक्टर नहीं पहुंचा है. ये बात सुनकर डॉ. महाजन भड़क गए. तत्काल उन्होंने जाकर हाजिरी रजिस्टर की जांच की, जिसमें किसी भी डॉक्टर का हस्ताक्षर नहीं था. ओपीडी में सभी डॉक्टर के कक्ष खाली थे, जबकि अस्पताल में सीनियर, जूनियर मिलाकर 79 डॉक्टर पदस्थ हैं. ऐसे में उन्होंने खुद ही हाजिरी रजिस्टर लेकर सभी डॉक्टर को अनुपस्थित कर दिया. साथ ही कारण बताओ नोटिस जारी कर 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा है. अन्यथा एक दिन का वेतन काट दिया जाएगा.
मरीजों को करना पड़ता इंतजार
वहीं डॉक्टरों को बार-बार चेतावनी दी जा चुकी है कि वे समय पर आकर मरीजों का इलाज करे, लेकिन बेपरवाही का आलम यह है कि डॉक्टर निर्देशों का पालन ही नहीं कर रहे हैं. ऐसे में जिला अस्पताल में रोजाना साढ़े 9 से 10 बजे तक डॉक्टर ओपीडी में पहुंचते हैं. इसके बाद मरीजों का इलाज शुरू होता है. जबकि मरीजों का नौ बजे से पहुंचना शुरू हो जाता है और हर दिन उन्हें डाक्टरों को आने का इंतजार करना पड़ता है.
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200 से ज्यादा डॉक्टरों को नोटिस!
ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. प्रमोद महाजन लगातार सरकारी अस्पतालों का निरीक्षण कर रहे हैं. समय पर डॉक्टर गायब होने या लापरवाही मिलने पर नोटिस दिया जा रहा है. अब तक उनकी कार्रवाई के दायरे में 200 से ज्यादा डॉक्टर, अधिकारी व कर्मचारी आ चुके हैं. इससे स्वास्थ्य महकमा में हड़कंप मच गया है.