Gujarat Election 2022: क्या है कच्छ, द्वारका और वापी की जनता का मूड? चुनाव में कौन मारेगा बाजी
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Gujarat Election 2022: क्या है कच्छ, द्वारका और वापी की जनता का मूड? चुनाव में कौन मारेगा बाजी

Gujarat Election News: गुजरात (Gujarat) में बीजेपी (BJP) लंबे समय से सत्ता में काबिज है. गुजरात, बीजेपी का गढ़ माना जाता है. आइए जानते हैं कि गुजरात में इस बार जनता किसके साथ है.

गुजरात चुनाव कौन जीतेगा?

Gujarat Election On Zee News: गुजरात (Gujarat) विधानसभा चुनाव नजदीक है और इस बीच, ज़ी मीडिया की टीम जानने निकली है कि गुजरात की जनता का क्या मूड है? यहां एक बार फिर बीजेपी (BJP) की सरकार बनेगी या आप (AAP) का जादू चल सकता है. या फिर कांग्रेस (Congress) वापसी करेगी. इस कड़ी में हमारी टीम गुजरात के कच्छ, द्वारका और वापी पहुंची. आइए जानते हैं इन तीनों जगहों पर किस पार्टी का पलड़ा भारी है. भारत और पाकिस्तान के बॉर्डर पर गुजरात का कच्छ जिला स्थित है. हमारी चुनावी यात्रा के दौरान हम कच्छ के सबसे मशहूर टूरिस्ट प्लेस रण ऑफ कच्छ पहुंचे. यहां पहुंचकर हमने लोगों से आगामी विधानसभा चुनाव में उनके मुद्दों को जानना चाहा, साथ ही रण ऑफ कच्छ के लोगों का झुकाव किस राजनीति पार्टी की तरफ है ये समझने की कोशिश भी की तो पता चला ज्यादातर लोग भारतीय जनता पार्टी को वोट देना चाहते हैं आखिर ऐसा क्यों है? इस रिपोर्ट में जानिए.

सीमा पर बसे आखिरी गांव में किसका पलड़ा भारी?

हम भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसे हिन्दुस्तान के आखिरी गांव धोरडो पहुंचे. गांव में पहुंचते ही हमारी मुलाकात मियां हुसेन बेग से हुई जो कई सालों से धोरडो गाव के सरपंच हैं. हुसैन ने हमें बताया कि उनका गांव देश का सबसे पहला स्मार्ट विलेज है. हमने जब इनके दावे की पड़ताल करने के लिए गांव की तस्वीरें देखीं और वहां मौजूद सुविधाओं का जायजा लिया तो यकीनन यह कहा जा सकता है कि इनका गांव स्मार्ट विलेज है. इस गांव में स्कूल, अस्पताल, बैंक, एटीएम, कम्युनिटी हॉल और इंटरनेट की सुविधा सब कुछ मौजूद है.

किसको चुनेंगे धोरडो के लोग?

धोरडो गांव काफी छोटा है. यहां की कुल आबादी करीब 550 है जिसमें 500 से ज्यादा मुस्लिम हैं. हिंदू घर 5 से 6 हैं. इस गांव के लोगों से जब हमने पूछा कि आखिर आगामी चुनाव में इस गांव के लोगों की पहली पसंद कौन है तो हमें जवाब मिला भारतीय जनता पार्टी और इसके पीछे गांव वालों की तरफ से सिर्फ एक ही कारण बताया गया. वह यह कि गांव का विकास और युवाओं को मिल रहे रोजगार के चलते इस गांव के लोग बीजेपी के अलावा किसी और को नहीं चुनना चाहते.

रोजगार पर जनता ने क्या कहा?

हमने जब उनसे पूछा कि बीजेपी तो मुसलमानों के खिलाफ है इस तरह से विपक्ष कहता है तो उनका कहना था कि यह सब राजनीति है. हमें विकास चाहिए और हमारे गांव के साथ-साथ इस इलाके के अन्य 44 गांवों का भी विकास हुआ है, इसलिए हम सभी बीजेपी को ही वोट देंगे. दरअसल इस गांव में 2001 में आए भूकंप के बाद अमूल चूल परिवर्तन तत्कालीन नरेंद्र मोदी सरकार ने किया. साथ ही जिस कच्छ में नमक और रेगिस्तान होने के चलते लोग यहां से पलायन करना चाहते थे. उस कच्छ में 'रण उत्सव' की शुरुआत कर नरेंद्र मोदी की तत्कालीन सरकार ने रोजगार का एक बहुत बड़ा अवसर यहां के लोगों के लिए खड़ा किया, जो आज भी हर साल रण उत्सव के नाम से 4 महीने तक इस रेगिस्तान में चलता है.

रण उत्सव से हुआ फायदा

इसका सीधा फायदा इस गांव के साथ-साथ अगल-बगल के 44 गांव और गुजरात के कई व्यापारियों को मिलता है, जिसके चलते रोजगार और विकास का काम कच्छ में हो रहा है. हमने गांव में मौजूद सुविधाओं को भी देखा. इस गांव में मौजूद सुविधाओं से ऐसा प्रतीत होता है कि मानो यह भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसा हिंदुस्तान का कोई आखिरी गांव नहीं बल्कि छोटी सी आबादी वाला कोई शहर हो. हम यहां से निकलकर इस गांव के विकास के पीछे जो वजह है वह जानने के लिए रण ऑफ कच्छ उत्सव जिस जगह मनाया जाता है, वहां पहुंचे. रण ऑफ कच्छ में मौजूद एक रिजॉर्ट में हम पहुंचे जो गुजरात सरकार द्वारा स्थापित किया गया है और संचालन के लिए एक एनजीओ को दिया गया है. इस एनजीओ के संचालक है हुसैन बेग, जो धोरडो गांव के ही सरपंच हैं. हुसैन बेग ने हमें इस रिजॉर्ट को दिखाया जो बेहद खूबसूरत तरीके से बनाया गया है. जिस रेगिस्तान में पौधे नहीं उगते वहां बकायदा गार्डन बनाया गया है. रिजॉर्ट के कमरे को बेहद ही खूबसूरत तरीके से सजाया गया है, इन कमरों को भोंगा कहा जाता है जो भूकंप की स्थिति में भी नहीं गिरते और गर्मी के मौसम में कमरे के अंदर तापमान कंट्रोल में रहता है. ठंडी के दिनों में भी भोंगे के अंदर कड़ाके की ठंड नहीं लगती.

यहां हो रही प्रधानमंत्री के स्वागत की तैयारी

खास बात ये है कि इन कमरों को सजाते हुए कच्छ के हस्तकला से जुड़े लोगों का ख्याल रखा गया है. इन कमरों को हस्त कलाकारों की मदद से सजाया गया है, जिसके चलते उन्हें भी रोजगार का अवसर मिला है. यह रिजॉर्ट सिटी ऑफ टेंट के नाम से मशहूर और रण उत्सव के केंद्र के ठीक बगल में है, जिसके चलते नवंबर से लेकर फरवरी तक यह रोजगार का बेहतरीन अवसर होता है. बता दें कि 26 अक्टूबर से रण उत्सव की शुरुआत होनी है ऐसे में इसकी भी तैयारियां जोरों पर चल रही है हम उत्सव के लिए जो टेंट बनाए जाते हैं उस जगह पर भी गए. रण उत्सव में यहां पर आने वाले सैलानियों के लिए टेंट बनाए जाते हैं. साथ ही प्रधानमंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री के लिए भी टेंट का निर्माण किया जा रहा है. हमने मुख्यमंत्री के लिए बनाए जा रहे टेंट का जायजा लिया. टेंट निर्माण का काम तेजी से चल रहा है. रण उत्सव में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के लिए टेंट बनाए जाने के पीछे जो मकसद है वो ये  कि उत्सव के दौरान प्रधानमंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री के आने से लोगों में उत्साह बढ़ता है और सैलानी यहां आने के लिए आकर्षित होते हैं.

यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री रहते हुए और साथ ही प्रधानमंत्री बनने के बाद भी अपने व्यस्त समय से वक्त निकालकर रण उत्सव में आते रहे हैं. ये रण उत्सव शुरुआत में 4 दिनों के लिए शुरू किया गया था जो आगे चलकर 15 दिनों तक हुआ और जब अच्छा व्यापार और यहां के लोगों को रोजगार की अपार संभावनाएं बढ़ने लगीं तो इस रण उत्सव को नवंबर से लेकर फरवरी तक यानी कि ठंड के मौसम के खत्म होने तक बढ़ा दिया गया, जिसके चलते यहां आस-पास के लोगों और गुजरात के रेगिस्तानी इलाके का विकास हो रहा है.

द्वारका की जनता का मूड

गुजरात में चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे चुनावी चर्चा पूरे गुजरात में तेज हो गई इससे द्वारकाधीश भगवान श्रीकृष्ण की नगरी भी अछूती नहीं है. द्वारका में भी चौक, चौराहे, मार्केट और टूरिस्ट प्लेस पर भी चुनावी चर्चा आम हो गई है. यहां पर मौजूद व्यापारी, दुकानदार, यहां आने वाले टूरिस्ट और यहां की आम जनता आगामी चुनाव को लेकर क्या सोचती है और इस बार वह किसे सत्ता की चाबी सौंपना चाहती है ये जानने के लिए हम द्वारका पहुंचे. हमने सबसे पहले शुरुआत द्वारकाधीश भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर से. इसी स्थान से भगवान श्रीकृष्ण अपना राज चलाया करते थे. ऐसे में यहां के लोग गुजरात चुनाव को लेकर क्या सोचते हैं यह जानना बेहद जरूरी है.

किसको मिलेगा व्यापारियों का साथ?

हमने मंदिर परिसर में मौजूद व्यापारियों से बातचीत की. उनका साफ तौर पर कहना था कि वह इस बार भी ना सिर्फ द्वारका बल्कि पूरे गुजरात में बीजेपी की सत्ता चाहते हैं. आपको बता दें कि 32 सालों से द्वारका विधानसभा से पबुभा मानेक विधायक हैं. शुरुआती 3 चुनावों में पबूभा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े थे, जहां उन्हें सफलता मिली. एक टर्म कांग्रेस के टिकट पर भी चुनाव लड़े और जीत हासिल की और पिछले तीन चुनावों से वो बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. अब तक 7 बार लगातार विधायक रह चुके हैं और आगामी चुनाव की तैयारी में जुटे यहां के लोग एक बार विधायक फिर उन्हें विधायक बनाना चाहते हैं. लोगो के मुताबिक, उन्होंने सारे काम किए हैं जिस तरह से बीजेपी पूरे गुजरात में कर रही है.

द्वारका में किसका पलड़ा भारी?

हमने विधायक मानिक से भी बातचीत की उनका कहना था कि उन्होंने लोगों से प्रेम किया है और उसी का नतीजा है कि वह 7 बार से विधायक हैं. हमने उन्हें द्वारका और बेट द्वारका के बीच टूटी सड़कों की भी याद दिलाई. उनका कहना था कि बारिश की वजह से सड़कें कुछ जगह टूटी हैं जिस पर जल्द काम किया जाएगा. खैर चुनाव के नतीजे आने के बाद साफ हो जाएगा कि पबुभा एक बार फिर विधायक बनते हैं या नहीं, लेकिन यहां की जनता आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को वोट नहीं देना चाहती. उनका मानना है कि मोदी के समय से यहां विकास हो रहा है. मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने काम किया और बाद में वही काम बीजेपी के अन्य मुख्यमंत्री भी कर रहे हैं.

युवाओं के मन में क्या है?

द्वारका मंदिर के ठीक सामने समुद्र के किनारे रेत पर स्पोर्ट्स बाइक के जरिए सैलानियों को घुमाने वाले बाइक चालकों से भी हमने मुलाकात की. साथ ही उनकी राय जाननी चाही. युवाओं को भी मोदी और बीजेपी के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं दिखाई देता है. इन्हें भी केजरीवाल के भाषण में दम नहीं लगता. हमने स्पोर्ट्स बाइक की सवारी करते हुए इसे चलाने वाले युवक से बात की तो उनका कहना था कि उन्हें कुछ नहीं चाहिए जो है वह काफी है, लेकिन सत्ता बीजेपी की आनी चाहिए क्योंकि वह अच्छा काम करते हैं.

द्वारकाधीश का मंदिर समुद्र के किनारे है. साथ ही मंदिर के ठीक सामने ही गोमती नदी और समुद्र का संगम भी है. यहां पर सैलानियों को स्पीड बोट के जरिए घुमाया जाता है. हमने इसी स्पीड बोट पर बैठकर सैलानियों से बातचीत की जो द्वारका के ही रहने वाले हैं और समुद्र के किनारे घूमने पहुंचे थे. हमने इनसे पूछा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में किसकी सरकार बनती दिखाई दे रही है तो बगैर विचार किए उनका जवाब था बीजेपी. हम समझना चाह रहे थे कि बीजेपी ही क्यों? हमें जवाब मिला कि बीजेपी अच्छा काम कर रही है, विकास को बढ़ा रही है. यही वजह है कि वह चाहते हैं कि बीजेपी सत्ता में आए.

द्वारका के अल्पसंख्यक किसके साथ?

बातचीत में हमें पता चला यह परिवार मुस्लिम समुदाय से है. फिर हमने उनसे पूछा कि ऐसा कहा जाता है कि बीजेपी मुसलमानों के खिलाफ है और वह उनके लिए अच्छा काम नहीं कर रही. जिस पर जवाब देते हुए बोट पर बैठे सभी मुस्लिम सदस्यों का कहना था कि यह झूठा प्रचार है. द्वारका में सब मिलजुल कर रहते हैं. बीजेपी विकास का काम कर रही है और वही जीतकर आनी चाहिए. उनका ये भी कहना था कि जहां तक केजरीवाल की मुफ्त वाली राजनीति की बात है वह गुजरात में नहीं चलेगी.

क्या चलेगा आप का जादू?

इन सब से बातचीत करने के बाद हम द्वारका मंदिर के पास मौजूद बाजार में पहुंचे जो शाम हो जाने के बाद लाइट की रोशनी से जगमग हो रही थी. यहां पर हमने कई दुकानदारों से बातचीत की. इन सबने एक सुर में कहा कि बीजेपी ही सरकार बनाएगी और कोई दूसरा विकल्प नहीं है. उनका कहना था कि केजरीवाल की यहां बिल्कुल नहीं चलेगी. वह सिर्फ मुफ्त की राजनीति कर रहे हैं. गुजरात में कोई भी मुफ्त की चीजें नहीं चाहता. यहां के लोग खुद कमा कर खाने में विश्वास रखते हैं और जो केजरीवाल मुफ्त देने की बात कर रहे हैं बाद में वह पैसा केंद्र सरकार से ही मांगेंगे.

किसको जिताएगी वापी की जनता?

हमारी टीम गुजरात के वापी भी पहुंचीं. हम सबसे पहले वापी के उस बलिथा इलाके में पहुंचे जहां हमें वो वापी यानी कुआं मिला, जिसके ऊपर इस शहर का नाम वापी पड़ा है. दरअसल संस्कृत में वापी का अर्थ होता है कुआं. जब इस पूरे इलाके में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं थी, तब इसी कुएं से पानी लिया जाता था. स्थानीय निवासियों के मुताबिक तो ये कुआं शिवाजी के वक्त का है. हमने इस इलाके के रहने वाले लोगों से बात की और जानने की कोशिश की कि आने वाले चुनावों में लोगों के क्या मुद्दे हैं. लोगों का कहना था कि BJP के बाद सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ही है. आप पार्टी का कोई आधार नहीं है. केजरीवाल, गुजरात की जनता को फ्री के नाम पर पागल बना रहे हैं. जहां तक पिछले 5 सालों की बात है तो इस इलाके में काफी काम हुआ है, तो BJP के वापसी के आसार नजर आ रहे है.

सूरत से आए लोगों ने क्या कहा?

इसके बाद हम वापी के इंडस्ट्रियल इलाके में पहुंचे, जहां मनु चायवाला बहुत प्रसिद्ध है. यहां पर हमें कई लोग मिले जिनकी अपनी-अपनी राय थी. कुछ लोग जो सूरत से वापी आए थे ने कहा, हम बताते है कि गुजरात में BJP से सब संतुष्ट हैं. गुजरात में आप पार्टी ज्यादा कुछ नहीं कर पाएगी. हम पहले से ही BJP से संतुष्ट हैं. गुजरात में मोदी फैक्टर काम करता है. उत्तर प्रदेश से आकर वापी में कई सालों से काम करने वाले एक शख्स ने बताया कि हमें केजरीवाल की फ्री की रेवड़ी नहीं चाहिए. केजरीवाल तो दिल्ली के घरों के दारू पहुंचा रहे हैं. केजरीवाल जो भी फ्री में बांटेंगे, वो टैक्सपेयर्स के पैसे से ही बांटेंगे.

वापी में रोजगार का मुद्दा अहम

एक दुकानदार ने बताया कि BJP पूरी तरह से गुजरात में कायम है. सबको वापी में रोजगार मिल रहा है. वापी में किसी को फ्री में कुछ नहीं चाहिए. वापी इलाके में तो केजरीवाल का नामो-निशान भी नही हैं. कुछ लोगों के मुताबिक, केंद्र में मोदी है, राज्य में भी BJP सरकार है, डबल इंजन की सरकार है. इसीलिए यहां जल्दी-जल्दी काम पूरे होते हैं. हालांकि बेरोजगारी और महंगाई एक मुद्दा है. रोजगार एक मुद्दा है जिस पर मोदी जी को काम करना चाहिए.

अब्दुल करीम बताते हैं कि महंगाई और रोजगार मुद्दा है, लेकिन ये कोई चुनावी मुद्दा नहीं है. केजरीवाल के आने से कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है. इस बार उनके आने की कोई उम्मीद नहीं है. हालांकि उन्हें कुछ सीट्स जरूर मिल जाएंगी. सबसे ज्यादा चांस BJP का ही है. गुजरात के साथ मुंबई में भी व्यवसाय करने वाले एक शख्स ने बताया कि इतने सालों से सत्ता पर काबिज BJP को लेकर एन्टी इंकंबेंसी है. महंगाई भी एक बड़ा मुद्दा है. मोदी एक फैक्टर जरूर हैं लेकिन लोकल लीडर का भी एक बड़ा चेहरा होना चाहिए. केजरीवाल एक बहुत बड़ा फैक्टर रहने वाले हैं. आजकल मुद्दों पर चुनाव नहीं होते हैं.

मुंबई में व्यवसाय करने वाले एक ओर शख्स जिनका वापी में भी बिजनेस है, बताते हैं कि गुजरात आज भी इंडस्ट्री के मामले में सबसे आगे है, लेकिन आम आदमी महंगाई से परेशान है. इस बार चुनावों में केजरीवाल BJP को काफी नुकसान पहुचाने वाले हैं. एक और शख्स हमें मिले जो लोकल व्यवसायी हैं. बताते हैं कि हमने पिछले 5 सालों में बहुत तरक्की की है. GST हो या इंफ्रास्ट्रक्चर हो, सरकार ने बहुत काम किया है. हर युवा को इस इलाके में रोजगार मिला हुआ है. इस बार तो BJP की सीट्स बढ़ने वाली हैं. केजरीवाल को कुछ सीट्स मिल जाएंगी लेकिन वो बहुत बड़ा फैक्टर नहीं हैं. गुजरात मे कोई फ्री का खाने वाला नहीं है, महिलाएं भी यहां बहुत सुरक्षित हैं.

इसके बाद हम वापी के रेलवे स्टेशन पर पहुंचे. यहां हमारी मुलाकात टैक्सी और रिक्शा वालों से हुई. इनकी अपनी समस्याएं हैं, जिनको सुनने वाला कोई नहीं है. एक शख्स हमें बताते हैं कि इस वक्त रोजगार न अच्छा चल रहा है, ना बुरा. घर का खर्च निकल रहा है. केजरीवाल के भाषण हम सुनते हैं लेकिन BJP सरकार से राशन फ्री मिलता है. प्रकाश बताते हैं कि सरकार फ्री में राशन देती है, पिछले 5 साल बढ़िया रहे हैं, विकास हुआ है. BJP का मुकाबला आप पार्टी से है, कुछ सीटें जरूर मिलेंगी लेकिन सरकार BJP की ही बनेगी.

साजिद बताते हैं कि BJP की ही सरकार आने वाली है. केजरीवाल जो वादे कर रहे हैं, जब सरकार में आएंगे तब देखेंगे कि पूरे होते हैं या नहीं. रामसहाय बताते हैं कि फिलहाल कुछ कह नहीं सकते हैं. जब वोट देने जाएंगे तो विकास मुद्दा होगा, सड़क, बिजली पानी मुद्दा होगा, जो हमें मिल रहा है. रिक्शा चलाने वाले विनय बताते हैं कि धंधा पानी नहीं है, हमारा रिक्शा स्टैंड भी हटा दिया है. कोई नेता यहां आकर नहीं कहता है कि हमारे स्टैंड के लिए कोई काम करेगा. हम किसी पार्टी को वोट नही देंगे, हम नोटा दबाएंगे. सरकार को महंगाई के लिए काम करना चाहिए.

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