धरती पर 2 प्रतिशत और बढ़ा तापमान तो बेघर हो जाएंगे 1 करोड़ 60 लाख लोग, रिपोर्ट में खुलासा
Advertisement
trendingNow11075986

धरती पर 2 प्रतिशत और बढ़ा तापमान तो बेघर हो जाएंगे 1 करोड़ 60 लाख लोग, रिपोर्ट में खुलासा

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) दुनिया भर के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रही है. दुनिया के कई देशों में ग्लोबल वार्मिंग को लेकर परेशान करने वाले हालात बन रहे है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) दुनिया भर के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रही है. दुनिया के कई देशों में ग्लोबल वार्मिंग को लेकर परेशान करने वाले हालात बन रहे है. इसी को लेकर UNEP ने एक रिपोर्ट जारी की है. 

  1. 2 डिग्री बढ़ा तापमान तो लाखों लोग हो जाएंगे बेघर
  2. पिछले 7 साल में तेजी से बढ़ी गर्मी
  3. ग्रीन हाउस गैसों से बढ़ रहा तापमान

2 डिग्री बढ़ा तापमान तो लाखों लोग हो जाएंगे बेघर

रिपोर्ट में ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के 1.5°C और 2°C के तापमान बढ़ने के परिणामों का विश्लेषण किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, अगर ग्लोबल वार्मिंग के कारण pre industrial level period से टेंपरेचर 1.5°C और 2°C बढ़ता है तो इसके परिणाम भयावह साबित हो सकते है. ग्लोबल वार्मिंग से समुद्री लेवल में बढ़ोतरी होगी. अगर 1.5°C तापमान बढ़ता है तो समुद्री लेवल बढ़ने से 60 लाख लोगो के जीवन पर असर पड़ेगा. वही अगर यही तापमान 2°C बढ़ता हैं तो 1 करोड़ 60 लाख लोगो पर इसका असर पड़ेगा. इस आधे डिग्री सेल्सियस तापमान के बढ़ने से coral reef के 99% खत्म होने का खतरा रहेगा.

पर्यावरणविद पंकज सारन ने बताया कि साल 2019 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने एक रिपोर्ट जारी की थी. उसके मुताबिक ग्लोबल एवरेज टेंपरेचर साल 2019 में pre industrial level से 1.1°C अधिक हो चुका है. इस बढ़ते हुए तापमान का असर पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है. 

पिछले 7 साल में तेजी से बढ़ी गर्मी

विश्व मौसम विज्ञान संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 6 सबसे गर्म साल 2015 के बाद दर्ज़ किए गए हैं, जिनमे 2016, 2019 और 2020 सबसे गर्म साल रहे हैं. भारत में भी हम इसका असर देख पा रहे है. 

WMO की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2015-19 तक के पांच सालों का औसतन तापमान और साल 2010-19 तक के दस सालों का औसतन तापमान सबसे अधिक दर्ज़ किया गया है. UNEP की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की 30% आबादी साल के 20 दिनों से अधिक समय तक heat wave के खतरे का सामना कर रही है. भारतीय मौसम विभाग के वैज्ञानिक आर के जेनामनी के अुसार, 'भारत में भी एक्सट्रीम वेदर इवेंट्स तेज़ी से बढे है. जहां पहले एक सीजन में तेज़ तापमान के हालात दो से तीन दिन तक देखने को मिल रहे थे, वो अब बढ़कर 7 से 8 दिन हो गए हैं.'

ये भी पढ़ें- दुनिया के बड़े वैज्ञानिकों ने बताई प्रलय की तारीख! क्या सच में खत्म हो जाएगी धरती?

ग्रीन हाउस गैसों से बढ़ रहा तापमान

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) का सबसे मुख्य कारण ग्रीन हाउस गैसेस के उत्सर्जन को माना जा रहा है. साल 2019 में कुल ग्रीन हाउस गैसेस का उत्सर्जन कार्बन डाइऑक्साइड के 59.1 gigatonnes  के बराबर था. इसके चलते साल 2019, वर्ष 2016 के बाद अब तक का दूसरा गर्म साल रहा. 

ग्लोबल टेंपरेचर को 1.5°C से कम रखने के लिए हमें साल 2030 तक हर साल उत्सर्जन में लगभग 7.6% की कमी करनी होगी. ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) को कंट्रोल करने के लिए मीथेन के उत्सर्जन में भारी कमी की जरूरत है. मौजूदा तकनीक का इस्तेमाल कर मीथेन के उत्सर्जन में 75% की कमी लाई जा सकती है. इसके साथ ही नेचर कंजर्वेशन की भी जरूरत है.

LIVE TV

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news