DNA: दवाई की पर्ची लिखने में ऐसी लापरवाही, मरीजों की सेहत और जेब दोनों का नुकसान
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DNA: दवाई की पर्ची लिखने में ऐसी लापरवाही, मरीजों की सेहत और जेब दोनों का नुकसान

Medical Papers: एम्स, सफदरजंग अस्पताल समेत देश के 13 बड़े सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों द्वारा लिखे गए 4 हजार 838 Prescriptions की जांच की गई. इस जांच में जो खुलासा हुआ वह चौंकाने वाला है.

DNA: दवाई की पर्ची लिखने में ऐसी लापरवाही, मरीजों की सेहत और जेब दोनों का नुकसान

Doctor Prescription: भगवान का दर्जा प्राप्त डॉक्टरों की लापरवाही का नमूना देखकर आप भी चौंक जाएंगे. यह मरीजों की सेहत और जेब..दोनों के लिए ठीक नहीं है. असल में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की एक संस्था है - INDIAN COUNCIL OF MEDICAL RESEARCH यानी ICMR..उसने अगस्त 2019 से अगस्त 2020 के दौरान दिल्ली एम्स, सफदरजंग अस्पताल समेत देश के 13 बड़े सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों द्वारा लिखे गए 4 हजार 838 Prescriptions की जांच की. और इस जांच में जो खुलासा हुआ..वो ना सिर्फ हैरान कर देने वाला था..बल्कि परेशान भी कर देने वाला था..जांच में पता चला कि.

कुल 4 हजार 838 डॉक्टरी पर्चों में से 1870 यानी करीब 45 प्रतिशथ पर्चे आधे-अधूरे थे. 9.8 प्रतिशत यानी 475 डॉक्टरी पर्चों में मरीजों को गैर जरूरी दवाएं लिखी हुई थी. और सिर्फ 2968 यानी करीब 61.38 प्रतिशत डॉक्टरी पर्चे ही सही तरीके से लिखे गए थे.

ICMR की Research Report
Indian Journal of Pharmacology में छपी ICMR की Research Report मे ICMR की टास्क फोर्स ने उदाहरण के जरिये समझाया है कि कैसे 475 मरीजों को गैर जरूरी दवाएं लिखी गई.. जैसे पहला Point - Herpes Zooster के मरीज को देश के बड़े सरकारी अस्पताल के डॉक्टर ने Herpes Zooster की दवा के अलावा, पेट दर्द की दवा Pantoperazole भी लिख दी जिसकी कोई जरूरत नहीं थी.

इसी तरह URTI से पीड़ित मरीज को डॉक्टर ने गैरजरूरी Montelukast sodium और livo-cetirizine का combination और rabeprazole और dom-peridone का कॉम्बिनेशन लिखा जिसकी यहां भी कोई जरूरी नहीं थी. इसी तरह Cronic periodontitis के मरीज को डॉक्टर ने डायरिया में इस्तेमाल होने वाली दवा Ofloxacin और Orni-dazole का Combination लिख दी जिसकी मरीज को कोई जरूरत नहीं थी.

सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों द्वारा गैर जरूरी दवाओं को लिखने की आदत के ये तो सिर्फ कुछ उदाहरण हैं. ICMR की स्टडी में पता चला है कि बड़े सरकारी अस्पतालों के करीब दस प्रतिशत डॉक्टरी पर्चों पर गैरजरूरी दवाएं लिखी थी. लेकिन आप में से कई लोग सोच रहे होंगे की आखिर आधे-अधूरे पर्चे का क्या मतलब है..ये सवाल हमारे भी मन में था..तो हमारी टीम ने ICMR के इस शोध में शामिल वैज्ञानिक डॉक्टर सी.डी. त्रिपाठी से बात की..जिन्होंने आसान भाषा में समझाया है कि आधे-अधूरे डॉक्टरी पर्चे का क्या मतलब होता है..और इससे मरीजों को क्या नुकसान हो सकता है.

आधा अधूरा डॉक्टरी पर्चा क्या होता है..ये तो आपको समझ में आ गया होगा. अधूरे पर्चे में डॉक्टर मुख्य तौर पर 3 जानकारियां देना Miss कर रहे हैं.
पहली - मरीज को बीमारी क्या है ?
दूसरी - दवाएं कितने MG की लेनी हैं ?
तीसरी - दवा कितने दिन तक लेनी है.

लेकिन आपके लिए ये यकीन करना थोड़ा मुश्किल हो रहा होगा कि आखिर कोई डॉक्टर Incomplete Prescription क्यों लिखेगा ? तो इस सवाल का जवाब तो हम नहीं दे सकते..लेकिन आपको देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल AIIMS में इलाज करवा रहे कुछ मरीजों से मिलवा देते हैं..जिन्हें डॉक्टरों ने अधूरे Prescription लिखकर दिये हैं.

अब सोचिये..देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में डॉक्टर..मरीजों को पूरा Prescription नहीं लिख रहे..तो देश के बाकी सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों का क्या हाल होगा. ICMR ने अपनी रिसर्च में ये भी बताया है कि देश के सरकारी अस्पताल में डॉक्टर..मरीजों को पर्चे में Generic की जगह Branded दवाओं के नाम लिखकर दे रहे हैं. जो भारत सरकार के आदेशों का उल्लंघन है..और विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह के भी खिलाफ है.. Reporter - Shivank Mishra

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