कब तक मिलेगा दिल्ली को मेयर, कहां फंसा है पेंच? समझिए पूरा चुनावी समीकरण
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कब तक मिलेगा दिल्ली को मेयर, कहां फंसा है पेंच? समझिए पूरा चुनावी समीकरण

दिल्ली नगर निगम चुनाव (Delhi MCD Election) के बाद अब मेयर के चुनाव को लेकर पेंच फंसा है. क्यों बढ़ गई है एलजी की भूमिका और कब तक मिलेगा मेयर, क्या कहते हैं राजनीतिक समीकरण.

कब तक मिलेगा दिल्ली को मेयर, कहां फंसा है पेंच? समझिए पूरा चुनावी समीकरण

नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम चुनाव के बाद अब मेयर और डिप्टी मेयर की तैयारियां तेज हो गई हैं. आम आदमी पार्टी ने मेयर पद के लिए मजबूती से दावा पेश किया है, वहीं बीजेपी ने भी मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने की बात कही है. मेयर का चुनाव निचली सदन की पहली बैठक में होता है. पार्षदों का कार्यकाल 5 साल के लिए होता है, जबकि मेयर एक साल के लिए चुना जाता है. दिल्ली नगर निगम में मेयर चुनाव की तैयारियां आज से शुरू हो सकती हैं. दिल्ली में मेयर पद के लिए पार्टी के पास 138 वोट होने चाहिए. आम आदमी पार्टी ने 134 सीटें जीत ली हैं. 

मेयर पद के लिए दिल्ली के लोकसभा और राज्यसभा सांसद भी वोट करते हैं. जबकि 14 मनोनीत विधायक भी मेयर पद के लिए वोट करते हैं. आम आदमी पार्टी ने अपने 13 विधायकों के नाम विधानसभा अध्यक्ष के पास एमसीडी में सदस्यता के लिए भेजा है. इसमें बीजेपी के विधायक भी होते हैं. इस हिसाब से संख्या बल 12-2 यानी 12 आप विधायक और 2 बीजेपी विधायक होंगे, जबकि तीन साल यह संख्या 13-1 होगी यानी 13 आप और 1 बीजेपी विधायक, जो मेयर पद के लिए वोटिंग में हिस्सा लेंगे. दिल्ली में पहले साल महिला मेयर, दूसरे-तीसरे साल आरक्षित सीट वाला मेयर और बाकी में अनारक्षित सीट वाला मेयर होगा.

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नए साल में मिलेगा मेयर?
मेयर पद के चुनाव में राज्यपाल की भूमिका अहम होती है. नाम पर अंतिम मुहर वही लगाते हैं. मेयर पद के लिए एमसीडी दफ्तर से लेकर उपराज्यपाल कार्यालय तक महत्वपूर्ण दस्तावेजों और चुनाव प्रक्रिया से संबंधित अन्य काम होते हैं. जिन्हें पूरा करने में करीब 20 दिन से ज्यादा का वक्त लगेगा. संभावना है कि सबकुछ ठीक रहा तो नए साल के पहले महीने यानी जनवरी के पहले हफ्ते में दिल्ली को अपना मेयर मिल सकता है. यह भी संभावना है कि मेयर पद के चुनाव की प्रक्रिया आज से शुरू हो जाए.

किसकी राह है आसान?
मेयर पद के जल्दी चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी के बड़े नेता उपराज्यपाल से मुलाकात कर सकते हैं, वहीं बीजेपी के बड़े नेता भी उपराज्यपाल से इस संबंध में मिल सकते हैं. हालांकि बीजेपी ने अपने मेयर का दावा अब छोड़ दिया है, लेकिन जब तक मेयर का चुनाव हो नहीं जाता, तब तक कुछ कह नहीं सकते. अगर बीजेपी ने मेयर कैंडिडेट का नाम उछाल दिया तो फिर कुछ भी हो सकता है. बीजेपी का मेयर भी चुना जा सकता है, क्योंकि निगम में दल-बदल कानून लागू नहीं होता है. इसलिए पार्षद क्रॉस वोटिंग भी सकते हैं. हालांकि बीजेपी के मेयर बनाने की राह उतनी आसान भी नहीं है. महापौर पद के लिए आम आदमी पार्टी से तीन महिला पार्षदों के नाम चल रहे हैं. इनमें प्रोमिला गुप्ता, निर्मला देवी, सारिका चौधरी शामिल हैं.

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AAP को सता रहे ये डर
दिल्ली की आम आदमी पार्टी भी चाहती है कि जल्द से जल्द मेयर का चुनाव हो जाए. पार्टी को डर सता रहा है कि अगर ज्यादा देरी हुई तो बीजेपी उनके पार्षदों को खरीदने का प्रलोभन दे सकती है. पार्षदों को न बिकने की नसीहत आप संयोजक केजरीवाल ने दी है. इतना नहीं विधायकों की बाड़बंदी और उनको एकजुट रखने के लिए पार्टी ने आतिशी, सौरभ भारद्वाज, आदिल और दुर्गेश पाठक को लगाया है.  ये लोग अपने क्षेत्रीय पार्षदों के साथ लगातार संपर्क में रहेंगे. बाड़ेबंदी के लिए तीन-तीन जोन में दिल्ली को बांटा गया है. 

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