Delhi Next CM: दिल्ली का नया सीएम कौन? भाजपा के सामने दुविधा, जातीय संतुलन या महिला चेहरा?
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Delhi Next CM: दिल्ली का नया सीएम कौन? भाजपा के सामने दुविधा, जातीय संतुलन या महिला चेहरा?

Delhi New CM: भाजपा के लिए यह जीत जितनी महत्वपूर्ण है, उतना ही जरूरी है सही मुख्यमंत्री का चयन करना. फैसला चाहे जो भी हो, लेकिन यह साफ है कि दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव होने वाला है. अब देखना है कि भाजपा किसे मुख्यमंत्री बनाती है.

 

Delhi Next CM: जातीय संतुलन या महिला चेहरा, भाजपा किसे चुनेगी CM?

Who is woman CM in Delhi: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे लगभग साफ हो चुके हैं. आम आदमी पार्टी (AAP) को करारी हार का सामना करना पड़ा है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 26 साल बाद शानदार वापसी की है. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? क्या भाजपा किसी महिला नेता को इस पद पर बिठाएगी या फिर जाट, गुर्जर, पंजाबी और पूर्वांचली समुदायों में से किसी नेता को आगे बढ़ाएगी? पार्टी के अंदर इसको लेकर गहन मंथन जारी है.

जातीय संतुलन और भाजपा की चुनौती
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली की राजनीति में जातीय समीकरण का बड़ा असर रहता है. भाजपा के पास कई प्रमुख चेहरे हैं, लेकिन अगर पार्टी किसी एक जाति के नेता को मुख्यमंत्री बनाती है, तो बाकी समुदायों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है. ऐसे में पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि संतुलन कैसे बनाया जाए?

1. जाट नेता प्रवेश वर्मा – क्या बनेंगे दिल्ली के नए ‘वर्मा जी’?
भाजपा के सांसद प्रवेश वर्मा ने नई दिल्ली विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को हराकर अपनी दावेदारी मजबूत कर ली है. वह दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के पुत्र हैं और जाट समुदाय में गहरी पकड़ रखते हैं. अगर भाजपा उन्हें मुख्यमंत्री बनाती है, तो न केवल दिल्ली, बल्कि हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी उसे फायदा मिल सकता है.

2. पंजाबी लॉबी के वीरेंद्र सचदेवा – क्या राजधानी को मिलेगा पंजाबी सीएम?
दिल्ली में पंजाबी समुदाय का एक बड़ा वोट बैंक है और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा इस लॉबी का प्रतिनिधित्व करते हैं. पार्टी अगर सचदेवा को सीएम बनाती है, तो पंजाबी वोटर्स के बीच एक मजबूत संदेश जाएगा.

3. पूर्वांचली नेता मनोज तिवारी – क्या भाजपा पूर्वांचली कार्ड खेलेगी?
दिल्ली में पूर्वांचली मतदाता बड़ी संख्या में हैं और भाजपा सांसद मनोज तिवारी इस समुदाय का बड़ा चेहरा हैं. अगर भाजपा तिवारी को मुख्यमंत्री बनाती है, तो यह बिहार और उत्तर प्रदेश से आए लोगों को एक बड़ा राजनीतिक संदेश होगा.

4. गुर्जर नेता रमेश बिधूड़ी – किनारे पर पहुंचकर हार गए, लेकिन अब भी दौड़ में?
तेजतर्रार नेता रमेश बिधूड़ी गुर्जर समाज से आते हैं और उन्होंने भाजपा में बड़ी पकड़ बनाई है. हालांकि वह मुख्यमंत्री आतिशी से बहुत कम अंतर से हार गए, लेकिन पार्टी में उनकी पकड़ को देखते हुए उन्हें डिप्टी सीएम पद दिया जा सकता है.

महिला मुख्यमंत्री को लेकर भाजपा की नई रणनीति?
अगर भाजपा जातीय समीकरण से हटकर महिला मुख्यमंत्री बनाने का फैसला करती है, तो इसके कई फायदे होंगे.

1. बांसुरी स्वराज – क्या सुषमा स्वराज की विरासत आगे बढ़ेगी?
स्व. सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज भाजपा में उभरती हुई नेता हैं. अगर भाजपा उन्हें सीएम बनाती है, तो यह न केवल एक नई शुरुआत होगी, बल्कि महिला नेतृत्व को भी मजबूती मिलेगी.

2. मीनाक्षी लेखी – दिल्ली की अनुभवी नेता
मीनाक्षी लेखी भाजपा की कद्दावर नेता हैं और दिल्ली की राजनीति में उनकी अच्छी पकड़ है. उनके नाम पर भी भाजपा विचार कर सकती है.

3. स्मृति ईरानी – क्या केंद्रीय राजनीति से दिल्ली की कमान?
स्मृति ईरानी का नाम भी संभावित उम्मीदवारों में गिना जा सकता है. हालांकि वह केंद्रीय मंत्री हैं, लेकिन अगर भाजपा दिल्ली में बड़ा बदलाव चाहती है, तो उन्हें सीएम पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है.

जातीय संतुलन या महिला चेहरा, भाजपा किसे चुनेगी?
भाजपा के लिए यह फैसला आसान नहीं होगा. अगर पार्टी जातीय समीकरण को साधती है तो उसे जाट, गुर्जर, पंजाबी और पूर्वांचली समुदाय में से किसी एक को चुनना होगा. वहीं, अगर महिला नेतृत्व की ओर जाती है, तो यह दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव होगा. भाजपा के लिए यह चुनावी जीत जितनी अहम थी, उतना ही जरूरी यह तय करना है कि मुख्यमंत्री कौन होगा. पार्टी किसी भी नाम पर फैसला ले, लेकिन यह साफ है कि दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव होने जा रहा है. अब देखना यह है कि भाजपा किसे दिल्ली की कमान सौंपती है.

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