Haryana Election 2024: सत्ता के लिए बंट गए परिवार, घर में भले ही एक पर चुनाव मैदान में किसी दुश्मन से कम नहीं
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Haryana Election 2024: सत्ता के लिए बंट गए परिवार, घर में भले ही एक पर चुनाव मैदान में किसी दुश्मन से कम नहीं

Haryana Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव में सियासी माहौल काफी दिलचस्प होता जा रहा है. जहां पर एक तरफ बेटा, तो दूसरी तरफ पिता भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं मां निर्दलीय तो बेटा इनेलो पार्टी से चुनावी मैदान में है. सत्ता को हासिल करने के लिए परिवार के सदस्यों में सियासी बटवारा देखने को मिल रहा है.

Haryana Election 2024: सत्ता के लिए बंट गए परिवार, घर में भले ही एक पर चुनाव मैदान में किसी दुश्मन से कम नहीं

Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे सियासी माहौल काफी दिलचस्प होता जा रहा है. सियासी ताकत की तलाश और सत्ता को हासिल करने के लिए हरियाणा के कई परिवार बंट गए हैं. हाल ये है कि भले ही घर-परिवार में भले ही एक हों, लेकिन चुनाव में पिता-पुत्री, मां-बेटे, ससुर-बहू ने अलग-अलग रास्ता अख्तियार किया है. जहां बेटा एक दल से तो पिता दूसरी पार्टी से चुनाव मैदान में डटा है.  एक ही परिवार के लोग अलग-अलग पार्टियों में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं. आइये जानते हैं कौन से है वो परिवार 

नवीन जिंदल और सावित्री जिंदल 
हरियाणा सरकार में पूर्व मंत्री रह चुकीं सावित्री जिंदल इस बार हिसार सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं, जबकि उनके बेटे और उद्योगपति नवीन जिंदल कुरुक्षेत्र से सांसद हैं. इसी साल नवीन जिंदल ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन थामा था और लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. उनकी मां सावित्री ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी से टिकट मिलने की आस लगाए बैठी थीं, लेकिन बात न बनने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया. सावित्री जिंदल का राजनीति में काफी लंबा अनुभव है. इस बार वह बीजेपी प्रत्याशी कमल गुप्ता के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं. 

पिता रह चुके बीजेपी प्रत्याशी और ताहिर हुसैन इनेलो-बसपा गठबंधन उम्मीदवार 
भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और हरियाणा वक्फ बोर्ड के प्रशासक जाकिर हुसैन का बेटा ताहिर हुसैन इनेलो-बसपा गठबंधन की टिकट पर चुनाव मैदान में है. साल 2019 में भी जाकिर हुसैन ने नूंह से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार आफताब अहमद के सामने हार का सामना करना पड़ा था. इस बार बीजेपी ने जाकिर हुसैन की जगह संजय सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है. 

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निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा 

आम आदमी पार्टी छोड़कर निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा ने कांग्रेस को ज्वाइन किया था. कांग्रेस ने निर्मल सिंह को अंबाला शहर से अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि टिकट न मिलने से नाराज चित्रा ने कैंट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया. पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए कांग्रेस ने चित्रा को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए सस्पेंड कर दिया है. 

दिग्विजय चौटाला और रणजीत चौटाला
हरियाणा की राजनीति में चौटाला परिवार की भी कमोबेश ऐसी ही कहानी है. हरियाणा सरकार में मंत्री रह चुके रणजीत चौटाला ने बीजेपी छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया. वह रानियां से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं रिश्ते में उनके पोते और पूर्व सीएम दुष्यंत चौटाला के भाई दिग्विजय चौटाला को डबवाली से जेजेपी प्रत्याशी बनाया गया है. इससे पहले रणजीत चौटाला ने बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था, जबकि उनकी दो बहुएं- नैना चौटाला और सुनैना चौटाला ने जेजेपी और इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़ा था. तीनों ने ही हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था. इस तरह राज्य में गजब के चुनावी समीकरण बनते दिख रहे हैं.

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