Delhi Election Result 2025: जो काम मनोज तिवारी और सतीश उपाध्याय नहीं कर पाए, वो वीरेंद्र सचदेवा ने कर दिखाया
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Delhi Election Result 2025: जो काम मनोज तिवारी और सतीश उपाध्याय नहीं कर पाए, वो वीरेंद्र सचदेवा ने कर दिखाया

Delhi Vidhan Sabha Chunav Result 2025 : वीरेंद्र सचदेवा जब दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष बने, तो उन्होंने पार्टी को मजबूत करने के लिए नई रणनीति अपनाई. भाजपा को अक्सर बाहरी नेताओं की पार्टी माना जाता था, लेकिन सचदेवा ने इस धारणा को बदल दिया. दिल्ली में जारी मतगणना के बीच 11 बजे तक के रुझानों में भाजपा को 45 और आप 25 सीटों पर आगे दिख रही है.

 

Delhi Election Result Results 2024: जो काम मनोज तिवारी और सतीश उपाध्याय नहीं कर पाए, वो वीरेंद्र सचदेवा ने कर दिखाया

Delhi Vidhan Sabha Chunav Results 2025: दिल्ली की राजनीति में बदलाव का दौर हमेशा से ही चर्चाओं का विषय रहा है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए यह राज्य हमेशा एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र रहा है, खासकर विधानसभा चुनावों में. जहां सतीश उपाध्याय और मनोज तिवारी अपने-अपने कार्यकाल में दिल्ली को भाजपा के लिए विजय भूमि में बदलने में असफल रहे, वहीं वीरेंद्र सचदेवा ने इस मिथक को तोड़ते हुए पार्टी को अप्रत्याशित बढ़त दिला दी. आखिर ऐसा क्या बदला? कौन-सी रणनीतियां अपनाई गईं, जिनसे भाजपा को यह ऐतिहासिक सफलता मिली? आइए जानते हैं इस पूरे घटनाक्रम को विस्तार से. दिल्ली में जारी मतगणना के बीच 11 बजे तक के रुझानों में भाजपा को 45 और आप 25 सीटों पर आगे दिख रही है.

दिल्ली की राजनीति और भाजपा का संघर्ष
दिल्ली में लंबे समय से आम आदमी पार्टी (AAP) का दबदबा रहा है. वर्ष 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP ने भाजपा और कांग्रेस को पूरी तरह पछाड़ दिया था. भाजपा, जो राष्ट्रीय स्तर पर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, वह दिल्ली में एक तरह से संघर्ष करती नजर आई. सतीश उपाध्याय के नेतृत्व में हुए 2015 के चुनावों में भाजपा को करारी हार मिली थी. उस समय पार्टी ने नरेंद्र मोदी के करिश्मे और केंद्र सरकार की उपलब्धियों पर भरोसा किया था, लेकिन जनता ने स्थानीय मुद्दों पर ध्यान देते हुए AAP को प्रचंड बहुमत दे दिया. इसके बाद 2020 में जब मनोज तिवारी के नेतृत्व में भाजपा मैदान में उतरी, तब भी नतीजे पार्टी के पक्ष में नहीं आए. तिवारी ने दिल्ली में पूर्वांचली वोट बैंक को मजबूत करने का प्रयास किया, लेकिन AAP की योजनाओं और मुफ्त बिजली-पानी जैसी लोकलुभावन नीतियों के आगे भाजपा टिक नहीं पाई.

वीरेंद्र सचदेवा का उदय और भाजपा की नई रणनीति
वीरेंद्र सचदेवा जो दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष बने, उन्होंने संगठन की बागडोर संभालते ही एक नई रणनीति पर काम किया. उन्होंने तीन प्रमुख मोर्चों पर फोकस किया. भाजपा को अक्सर बाहरी नेताओं की पार्टी के रूप में देखा जाता था, लेकिन सचदेवा ने इस धारणा को तोड़ते हुए स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को अधिक महत्व दिया. उन्होंने पार्टी संगठन को मजबूत किया और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया.

'आप' की रणनीति को उन्हीं के हथियार से मात
आप जिस रणनीति से दिल्ली की जनता को आकर्षित कर रही थी, भाजपा ने उसी शैली को अपनाया. मुफ्त योजनाओं के वादे के बजाय, भाजपा ने 'गुणवत्ता और पारदर्शिता' का नारा दिया. इस बार भाजपा ने झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्रों में अपना ध्यान केंद्रित किया और 'पक्का मकान' योजना को बड़े स्तर पर प्रचारित किया.

हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण
वीरेंद्र सचदेवा ने भाजपा की पारंपरिक हिंदुत्ववादी छवि को दिल्ली में और मजबूत किया. राम मंदिर, कश्मीरी पंडितों और राष्ट्रवाद के मुद्दों को जनता के बीच प्रभावी ढंग से रखा.

चुनाव परिणाम और भाजपा की ऐतिहासिक बढ़त
इन सभी रणनीतियों का असर चुनावी नतीजों में साफ देखने को मिला. भाजपा को पहली बार विधानसभा में इतनी मजबूत स्थिति मिली कि वह AAP को सीधी टक्कर देती नजर आई. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि वीरेंद्र सचदेवा की रणनीतियां, जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं की मेहनत और भाजपा की आक्रामक प्रचार शैली इस जीत के प्रमुख कारण रहे.

क्या भाजपा 2025 में पूर्ण बहुमत ला पाएगी?
भले ही भाजपा ने इस बार अच्छी बढ़त बनाई हो, लेकिन क्या यह जीत पार्टी को 2025 में पूर्ण बहुमत दिलाने में सक्षम होगी? यह कहना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन इतना तय है कि वीरेंद्र सचदेवा ने दिल्ली भाजपा की राजनीति में नई जान डाल दी है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस लय को बनाए रख पाती है या नहीं.

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