Arvind Kejriwal News: आम आदमी पार्टी ने चुनाव में भाजपा की रणनीतियों को अपनाने का प्रयास किया. पार्टी ने 'सॉफ्ट हिंदुत्व' की छवि बनाने की कोशिश की, लेकिन यह प्रयास उसके लिए उल्टा पड़ गया. मुस्लिम वोट बैंक, जो पहले आप की ताकत थी, अब उससे दूर होता नजर आए. इस बदलाव ने आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी
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Delhi CM: दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है. 70 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में भाजपा ने 48 सीटें जीती, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) को 22 सीटों पर सफलता मिली है. कांग्रेस एक बार फिर अपने खाते को खोलने में नाकाम रही है.
आम आदमी पार्टी का रणनीति में बदलाव
आम आदमी पार्टी ने चुनाव में भाजपा की रणनीतियों को अपनाने का प्रयास किया. पार्टी ने 'सॉफ्ट हिंदुत्व' की छवि बनाने की कोशिश की, लेकिन यह प्रयास उसके लिए उल्टा पड़ गया. मुस्लिम वोट बैंक, जो पहले आप की ताकत थी, अब उससे दूर होता नजर आए. इस बदलाव ने आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी. दिल्ली चुनाव में AAP को 10 प्रतिशत से अधिक वोट का नुकसान हुआ है. वहीं, कांग्रेस के वोट बैंक में इजाफा हुआ है, जो कि आम आदमी पार्टी के हिस्से का ही था. भाजपा के वोट बैंक में भी पिछले चुनाव की तुलना में 10 प्रतिशत से अधिक का इजाफा हुआ है. यह स्पष्ट है कि मुस्लिम वोटरों का आप से मोहभंग हो गया है.
AAP की सॉफ्ट हिंदुत्व की नीति
आम आदमी पार्टी ने सॉफ्ट हिंदुत्व पर दांव खेलते हुए चुनाव से पहले सनातन सेवा समिति का गठन किया. इसके तहत पुजारियों और ग्रंथियों को प्रति माह 18 हजार रुपये देने की योजना बनाई गई. इसके अलावा, बुजुर्गों को धार्मिक स्थलों की मुफ्त यात्रा की पेशकश की गई. यह सभी कदम सॉफ्ट हिंदुत्व की नीति का हिस्सा थे, लेकिन इसके बावजूद पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा. 2024 में अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के दौरान AAP ने दिल्ली में रामलीला का मंचन किया. अरविंद केजरीवाल ने अपने परिवार के साथ अयोध्या में राम मंदिर के दर्शन किए. हालांकि, हनुमान चालीसा का पाठ करने से मुसलमान वोटरों का आप से दूर होना स्पष्ट हो गया.
मुस्लिम बाहुल्य सीटों की स्थिति
दिल्ली में ओखला, सीलमपुर, मुस्तफाबाद, मटिया महल, बल्लीमारान और सीलमपुर जैसी सीटें हैं, जहां से मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. इन सीटों पर आप के मुस्लिम उम्मीदवारों को जीत मिली, लेकिन उन्हें कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ा. मुस्लिम बाहुल्य सीटों में से दो सीटों पर असदुद्दीन औवेसी की एआईएमआईएम के उम्मीदवारों ने आप को कड़ी चुनौती दी. कई सीटों पर आप के उम्मीदवारों को कांग्रेस से भी मुकाबला करना पड़ा, जो दर्शाता है कि मुस्लिम वोटरों का आप से मोहभंग हो चुका है.
तब्लीगी जमात के खिलाफ कोरोना फैलाने वाला बयान
साल 2019 में CAA को लेकर मुसलमानों में गुस्सा था. उस समय दिल्ली में दंगे हुए, लेकिन केजरीवाल और उनकी सरकार ने चुप्पी साध ली. इस चुप्पी ने मुस्लिम समुदाय में आप के प्रति नकारात्मक भावना पैदा की, जो अब चुनाव परिणामों में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है. दिल्ली दंगों में AAP के पार्षद ताहिर हुसैन और अन्य पर दंगा भड़काने के आरोप लगे हैं. इस पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ताहिर हुसैन सहित अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की. कोरोना महामारी के दौरान तब्लीगी जमात के खिलाफ केजरीवाल ने बयान दिया था कि वे कोरोना फैलाने में शामिल हैं. यह बयान विवाद का कारण बना था.
बिलकिस बानो का मामला
गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो के मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया, जिस पर विपक्षी दलों ने भाजपा की आलोचना की. हालांकि, केजरीवाल इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रहे. मनीष सिसोदिया ने भी स्पष्ट किया कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है. केजरीवाल ने यह समझा कि केवल मुस्लिम मतदाताओं के सहारे सत्ता नहीं मिल सकती. इसलिए, उन्होंने हिंदू मतों को आकर्षित करने की दिशा में कदम बढ़ाए. इससे उनकी पार्टी के मुस्लिम समर्थक दूर होते गए.