Bhiwani News: राष्ट्रपति के हाथों अर्जुन अवार्ड पाने वाली बॉक्सर नीतू का कहना है कि उसने 2012 में बॉक्सिंग शुरू की थी. तब न किसी मेडल का और न अवार्ड की जानकारी थी. दस साल बाद 2022 में जब वर्ल्ड चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ गेम में मेडल मिला तो अर्जुन अवॉर्ड की हकदार बनी.
Trending Photos
Bhiwani News: मिनी क्यूबा भिवानी के बवानी खेड़ा के धनाना गांव की बॉक्सर बेटी नीतू घनघस अर्जुन अवार्डी बॉक्सिंग बन गई हैं. कल राष्ट्रपति के हाथों मिले इस अवॉर्ड के बाद नीतू के घर व उसके धनाना गांव में खुशी की लहर है. अब ओलंपिक की तैयारी में जुटी नीतू की मां का कहना है कि सारी उम्र गोबर उठाने व घास लाने में बीत गई थी. अब बेटी ने राष्ट्रपति भवन दिखा दिया.
भिवानी के बेटे ही नहीं, बेटियां भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बॉक्सिंग में एक के बाद एक मेडल लाकर देश का नाम रोशन कर रही हैं. जिसकी बदौलत खेल नगरी भिवानी को मिनी क्यूबा कहा जाता है. इसमें धनाना गांव की बॉक्सर बेटी नीतू घनघस का भी बड़ा योगदान है. जिसे शुक्रवार को ही राष्ट्रपति के हाथों अर्जुन अवॉर्ड मिला है. यह अवार्ड नीतू ने अपने गांव में अपने घर पहुंचते ही अपनी मां को सौंपा.
राष्ट्रपति के हाथों अर्जुन अवार्ड पाने वाली बॉक्सर नीतू का कहना है कि उसने 2012 में बॉक्सिंग शुरू की थी. तब न किसी मेडल का और न अवार्ड की जानकारी थी. दस साल बाद 2022 में जब वर्ल्ड चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ गेम में मेडल मिला तो अर्जुन अवॉर्ड की हकदार बनी. नीतू का कहना है कि यह अवार्ड उसे अब आगे होने वाले ओलंपिक, कॉमनवेल्थ व वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी के लिए मोटिवेट करेगा. नीतू का कहना है कि मुझे मिला अर्जुन अवॉर्ड मेरी साथी बॉक्सरों व जूनियर को आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा.
नीतू के पिता जयभगवान का कहना है कि पूरे गांव को खुशी हुई है. यह नीतू व उनके कोच जगदीश की मेहनत का फल है. पिता का कहना है कि उन्हें पूरा भरोसा है कि नीतू ओलंपिक मेडल लाकर देश का नाम रोशन करेंगी. वहीं घर से खेत व खेत से घर तक सीमित रहने वाली नीतू की मां मुकेश, बेटी को मिले अवार्ड से खुश भी हैं और भावुक भी. उनका कहना है कि मां तो भैंसों के लिए खेतों से घास लाने व गोबर उठाने तक सीमित थी. बेटी ने दिल्ली और दिल्ली में राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा दिया. मां का कहना है कि बेटियां बेटों से भी अच्छी होती है. ऐसी बेटी भगवान सभी को दे.
एक के बाद एक मेडल और अब अर्जुन अवार्ड पाकर नीतू ने जता दिया है कि परिवार का सहयोग हो, खेलने का मौका मिले और अच्छे गुरू का साथ हो तो बेटी कोई भी मुकाम हासिल कर सकती है ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि हर माता पिता को अपनी बेटियों को खेलने या पढ़ने के लिए हर संभव मौका देना चाहिए. क्योंकि क्या पता कौन सी बेटी नीतू या कौन सी कल्पना चावला बनकर आपकी कल्पना साकार कर दे.
INPUT: NAVEEN SHARMA