Tilpat Village Faridabad: तिगांव विधानसभा क्षेत्र स्थित ऐतिहासिक गांव तिलपत में डाली गई सीवर लाइन आज एक विकराल समस्या बन गई है. ग्रामीणों का आरोप है कि सीवर पाइपलाइन डाले जाने के कारण यहां के मकानों में दरार आ गई हैं.
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फरीदाबाद: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का मानना था कि असल भारत गांवों में ही बसता है. उन्होंने अपने सपनों के भारत में गांवों के विकास की कल्पना की थी. इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद 11 अक्तूबर 2014 को सांसद आदर्श ग्राम योजना (SAGY) की शुरुआत की. इसके तहत प्रत्येक सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्र से एक गांव को गोद लेना होता है, ताकि सुविधा साधन संपन्न उस गांव को एक आदर्श गांव में बदला जा सके, लेकिन
फरीदाबाद जिले में तिगांव विधानसभा क्षेत्र स्थित ऐतिहासिक गांव तिलपत गोद लिए जाने के बावजूद कई समस्याओं से जूझ रहा है. कुछ ग्रामीणों में जागरूकता की कमी, प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी से आजिज आ चुके ग्रामीणों ने यहां तक कह दिया कि जब नेता वोट मांगने आएंगे तो उन्हें नहीं देंगे. बता दें कि हरियाणा के बड़े गांवों में शामिल होने के कारण तिलपत विधानसभा और जिला परिषद के चुनाव में अहम भूमिका निभाता रहा है.
गांव का इतिहास 5000 साल पुराना
गांव का इतिहास साढ़े पांच हजार वर्ष पुराना बताया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि कौरवों से जुए में हारने के बाद पांडवों ने उनसे जो पांच गांव मांगे थे, उनमें से एक तिलपत भी था. इसके अलावा दुर्योधन ने पांडवों को जो गांव दान में दिए थे, उनमें पानीपत, सोनीपत, बागपत व मारीपत शामिल हैं.
सीवर पाइपलाइन डालने से बढ़ीं समस्या
ग्रामीणों की समस्या उस समय बढ़ गई, जब एक साल पहले ब्राह्मण बाहुल्य गांव तिलपत नगर निगम में आ आया. गांव में डाली गई सीवर लाइन आज एक विकराल समस्या बन गई है. ग्रामीणों का आरोप है कि सीवर पाइपलाइन डाले जाने के कारण यहां के मकानों में दरार आ गई हैं. लगातार डर और दहशत का माहौल है, क्योंकि दिन बीतने के साथ मकान में लगातार दरारें बढ़ रही हैं. गांवों के लोगों को अपने घर गिरने का डर सता रहा है.
2014 में सांसद ने लिया था गांव को गोद
मोदी सरकार के पहले ही मंत्रिमंडल में जगह मिलने के बाद 11 नवंबर 2014 को स्थानीय सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत तिलपत गांव को गोद लेने की घोषणा की थी. ग्रामीणों को उम्मीद जगी थी कि अब गांव की दशा जरूर बदलेगी. लोगों ने ये माना भी कि गांवों में कई विकास कार्य कराए गए हैं, सुविधाएं दी गई है, लेकिन लगातार देखरेख न होने और अधिकारियों की मनमानी की वजह से अब उनका जीना दूभर हो रहा है.
जलनिकासी की व्यवस्था न होने से दिक्कत
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में पानी निकासी की उचित प्रबंध नहीं होने से परेशानी हो रही है. लोग पानी की बर्बादी करते हैं. नालियों में जानवरों का गोबर भरा रहता है, जिससे सीवर का पानी सड़कों पर आ जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि नालियां बनी हैं, लेकिन आपस में जुड़ी नहीं हैं. मंदिर जाने वाले मुख्य रास्ते पर कूड़े के ढेर लगे हुए है, जिस पर गाय भोजन की तलाश में विचरण करती रहती हैं.
विकास कार्य भी हुए पर देखरेख की कमी से बिगड़े हालात
कुछ स्थानीय निवासी मानते हैं कि सांसद के गोद लेने के बाद गांव में काम तो करवाए गए. बजट भी अच्छा खासा खर्च किया गया है और काम भी हुए, लेकिन प्रशासन ढीला है. ग्रामीणों का कहना है कि गांव की गलियां पक्की हुई हैं. खंभों पर लाइटें लगी हैं. खेल के लिए स्टेडियम भी बनाया गया. युवाओं का कहना है कि ओपन जिम भी बनाया गया था, लेकिन अब मेंटेनेंस न होने की वजह से वहां लगे झूले और एक्सरसाइज करने वाले उपकरण कबाड़ हो चुके हैं और बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग गई हैं.
बारिश में जलभराव बन जाता है सिरदर्द
गांव में बाबा सूरदास का मंदिर देशभर में ख्याति प्राप्त है. प्रत्येक मंगलवार को यहां दिल्ली-एनसीआर सहित दूर दराज के क्षेत्र से हजारों भक्तों का तांता लगता है. स्थानीय निवासी परमानंद ने बताया कि संत सूरदास का या भव्य मंदिर बनवाया गया है और गांव से मंदिर तक जाने के लिए पक्की चौड़ी सड़क बन चुकी है. हालांकि यहां रहने वाले लोग बताते हैं कि गांव की मुख्य बाहरी सड़क करोड़ों की लागत से बन तो गई, लेकिन बारिश के समय यहां पर होने वाले जलभराव की समस्या अब भी सिरदर्द बनी हुई है. गाड़ियां आधी डूब जाती हैं.
शासन-प्रशासन पर सुनवाई नहीं करने का आरोप
गांव के मौजूदा सरपंच नंदकिशोर बताते हैं कि प्रशासन की तरफ से सीवर लाइन डाली जा रही है, जिसका कोई लेवल नहीं है और न ही कोई सिस्टम। पानी की उचित निकासी नहीं होने के कारण मकानों में दरारें आ रही हैं. गांव में बिजली पानी की सुविधा बेहतर नहीं है. मकानों में दरार आने की समस्या को लेकर कमिश्नर और मंत्री से भी मिले थे लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. मुख्य सड़क पर जलनिकासी की व्यवस्था नहीं है. मकानों के फटने के कारण काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है. न शासन और न ही प्रशासन में कोई सुनवाई हो रही है.
घरों में घुस रहा नालियों का पानी
एक महिला ने बताया कि सारा घर फट गया है. गेट टूट गया है. सारा पत्थर बैठ गया है. मंत्री-विधायक से शिकायत करने के बाद सबने कहा कि सीवरलाइन यहीं से निकलेगी. नालियों का पानी हमारे घरों में चल रहा है. अब जब वोट मांगने आएंगे तो उन्हें नहीं देंगे.
निगम में आने के बाद 4 सफाईकर्मी कर दिए गए कम
पूर्व सरपंच सुधा देवी के पति ने बताया कि सरपंच कार्यकाल के दौरान सांसद कृष्णपाल गुर्जर ने 20 करोड़ की लागत से पल्ला तिलपत रोड बनी. श्मशान घाट बनवाया और वहां पहुंचने के लिए एक रोड बनवाई. हरिजन चौपाल बनवाई. गांव के अंदर की सड़कें बनवाई. पूरे गांव को जगमग करने के लिए लाइट लगाई गई थी. उन्होंने यह भी बताया कि ग्राम पंचायत के समय गांव में 6 सफाईकर्मी थे. अब जब गांव नगर निगम में आ गया है तो केवल नगर निगम ने 2 कर्मचारी सफाई के लिए रखे हैं, इसलिए समय पर सफाई नहीं हो पाती.
प्रशासन और ठेकेदार ने सड़क को गलत तरीके से बनाया है. ऊंचाई पर बसे गांव में ढलान ठीक तरीके से नहीं बनी होने की वजह से पानी जाम की समस्या रहती है. जबसे गांव नगर निगम में आया है, तब से समस्या बढ़ी हैं. सांसद कृष्णपाल गुर्जर ने विकास के लिए पैसा देने में कोई कमी नहीं छोड़ी है.
इनपुट : अमित चौधरी