महापौर एवं आम आदमी पार्टी राजनीतिक द्वेष छोड़कर नगर निगम में स्थायी समिति का गठन होने दें, वर्ना शीघ्र ही दिल्ली नगर निगम ठप्प हो जाएगा. वहीं महापौर जवाब दें कि निगम पेंशन धारकों के खातों में सुबह पेंशन देकर रात को वापस क्यों निकाली गई.
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New Delhi News: दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि आम आदमी पार्टी एवं महापौर डॉ. शैली ओबरॉय के राजनीतिक द्वेष के कारण दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति न बनने दी. इस कारण से नगर निगम की प्रशासनिक एवं आर्थिक व्यवस्थाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं.
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उन्होंने कहा कि इससे अभी कांट्रैक्ट कर्मियों के कांट्रैक्ट नवीकरण का रास्ता नहीं मिल रहा है. उसी बीच कल नगर निगम द्वारा सुबह हजारों पेंशन धारकों को पेंशन देकर रात को वापस निकालने से एक नया विवाद खड़ा हो गया है.
दिल्ली नगर निगम की स्थाई समिति की सिफारिश पर महापौर को वित्तिय मामलों में एंटीसिपेटरी स्वीकृति देने का अधिकार आ जाता है. इस पर महापौर डॉ. शैली ओबरॉय द्वारा 22 फरवरी की बैठक में भाजपा के चुने गए तीन स्थाई समिति सदस्यों को लेकर विवाद बनाया गया, जिस कारण स्थाई समिति गठन नही हो पा रहा है.
स्थायी समिति की सिफारिश न मिलने के कारण दिल्ली नगर निगम के हजारों कांट्रैक्ट कर्मियों का कांट्रैक्ट नवीकरण कार्य केवल घोषणाओं तक सीमित हो कर रह गया है, असल में इसमें कुछ नहीं हो रहा है.
पेंशन धारकों के साथ किया भद्दा मजाक
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांट्रैक्ट कर्मियों के बाद आम आदमी पार्टी शासित नगर निगम ने अपने पेंशन धारकों के साथ कल जो भद्दा मजाक किया है. उसने सभी को स्तब्ध किया है और महापौर जवाब दें कि निगम पेंशन धारकों के खातों में सुबह पेंशन देकर रात को वापस क्यों निकाली गई. कपूर ने मांग की है कि महापौर एवं आम आदमी पार्टी राजनीतिक द्वेष छोड़कर नगर निगम में स्थायी समिति का गठन होने दें. वर्ना शीघ्र ही दिल्ली नगर निगम ठप हो जाएगा.
पार्षदों को मिला फंड
वहीं अब 4 महीने के बाद अब पार्षदों को फंड मिल सकेगा. इससे पहले उनके हाथ बंधे हुए थे, क्योंकि निगम चुनाव के ढाई महीने के बाद दिल्ली के मेयर का चुनाव हुआ था. वहीं बाद में AAP और BJP में चली खींचतान की वजह से बजट नहीं पेश हो पाया था. वहीं अब स्थायी समिति का भी गठन अधर में अटका पड़ा है. इसके बावजूद निगमायुक्त ने वर्ष 2023-24 की शुरुआत के बाद पार्षदों को फंड जारी करने का आदेश दिया है. बता दें कि 250 वार्ड के लिए निगम ने 25 लाख रुपये प्रतिवार्ड का फंड जारी किया है. इसका प्रयोग पार्षद अपने वार्ड में विकास करेंगे.