Anti Dust Campaign: दिल्ली में कंस्ट्रक्शन कराने से पहले जान लें ये नए नियम, प्रदूषण होने पर होगा एक्शन
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Anti Dust Campaign: दिल्ली में कंस्ट्रक्शन कराने से पहले जान लें ये नए नियम, प्रदूषण होने पर होगा एक्शन

Delhi Summer Action Plan:  20 हजार वर्ग मीटर से ऊपर के निर्माण स्थल पर ही एंटी स्मॉग गन लगाने का नियम था, लेकिन अब नए नियम के आधार पर 5 हजार वर्गमीटर और उससे अधिक के एरिया के निर्माण स्थल पर एंटी स्मॉग गन लगाना अनिवार्य कर दिया गया है. 

Anti Dust Campaign: दिल्ली में कंस्ट्रक्शन कराने से पहले जान लें ये नए नियम, प्रदूषण होने पर होगा एक्शन

Anti Dust Campaign: दिल्लीवासियों को प्रदूषित हवा से निजात दिलाने के लिए केजरीवाल सरकार का एंटी डस्ट कैंपेन शुरू हो गया. यह कैंपेन 8 जून तक दिल्ली के सभी 13 हॉटस्पॉट पर चलाया जाएगा. इसके तहत धूल से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए 84 मैकेनिकल रोड स्वीपिंग (एमआरएस) मशीनों, 609 वाटर स्प्रिंकलर और 185 मोबाइल एंटी-स्मॉग गन तैनात की गई.

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि 13 विभागों की 629 कर्मियों की 235 पेट्रोलिंग टीम और 433 कर्मियों की 165 पेट्रोलिंग टीम रात में तैनात रहेंगी.  ये टीमें 24 घंटे दिल्ली में डस्ट प्रदूषण के कारणों की निगरानी और उसे रोकने का काम करेंगे,  जिसकी रिपोर्ट समय-समय पर पर्यावरण विभाग और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति  (DPCC) के साथ साझा की जाएगी. 

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उन्होंने बताया कि 70 नई एकीकृत मैकेनिकल रोड स्वीपिंग (MRS) मशीनों और 250 एकीकृत वाटर स्प्रिंकलर मशीनों की जल्द खरीद के लिए आज समीक्षा बैठक की गई. कंस्ट्रक्शन साइट्स के लगातार निरीक्षण के लिए विभागों को निर्देश जारी किए गए. उन्होंने यह भी कहा, कंस्ट्रक्शन साइट पर बिल्डरों को निर्माण संबंधी 14 नियमों को लागू करना जरूरी होगा. उल्लंघन करने पर कार्रवाई होगी. साथ ही सीएंडडी पोर्टल पर 500 वर्ग मीटर से अधिक के सभी निर्माण साइट्स का सेल्फ रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य होगा. 

वायु प्रदूषण में 30 फीसदी की कमी आई 
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में सरकार द्वारा उठाए गए कड़े कदमों की वजह से दिल्ली में वायु प्रदूषण में लगातार सुधार हो रहा है. दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के कारण 2016 से 2022-23 तक दिल्ली के वायु प्रदूषण में 30 फीसदी की कमी देखी गई है. जब से दिल्ली सरकार द्वारा रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी को शुरू किया गया है, तब से यह अनुभव किया गया है कि सर्दियों और गर्मियों में प्रदूषण के अलग-अलग कारण हैं. सर्दियों में प्रदूषण अधिकतर मौसम में बदलाव के कारण होता है. इसमें पराली जलाने, पटाखों, गाड़ियों से होने वाले धुंए और खुले में आग जलाना शामिल है. वहीं, गर्मियों में मुख्य रूप से धूल, कूड़े के पहाड़ों व झाड़ियों में आग लगने की वजह से प्रदूषण होता है. 

केजरीवाल सरकार का समर एक्शन प्लान 
इसी कारण गर्मियों के मौसम में होने वाले प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए 1 मई को सीएम अरविंद केजरीवाल ने 14 फोकस प्वाइंट पर आधारित समर एक्शन प्लान की घोषणा की गई थी. इसके तहत हमारी सरकार 8 मई यानी आज से अगले एक महीने के लिए दिल्ली में एंटी डस्ट कैंपेन शुरू किया है. 

सीएंडडी साइट्स का रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य 
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि कंस्ट्रक्शन साइट्स से पैदा होने वाला प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक साबित होता है. इसी दिशा में कार्य करने के लिए कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन पोर्टल (C&D Portal) लॉन्च किया गया था. इस पोर्टल पर 500 स्क्वायर मीटर से अधिक सभी साइट्स का सेल्फ रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है. अभी तक 750 साइट्स का इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है. इस अभियान के तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी सक्रिय सीएंडडी साइट पोर्टल पर पंजीकृत हो जाएं। इसके बाद डीपीसीसी पंजीकृत साइट्स की सेल्फ असेसमेंट रिपोर्ट की समीक्षा करेगी. 

निर्माण स्थल पर एंटी स्मॉग गन रहेगी मौजूद 
उन्होंने बताया कि पहले धूल प्रदूषण को रोकने के लिए केवल 20 हजार वर्गमीटर से ऊपर के निर्माण स्थल  पर ही एंटी स्मॉग गन लगाने का नियम था, लेकिन अब नए नियम के आधार पर 5 हजार वर्गमीटर और उससे अधिक के एरिया के निर्माण स्थल पर एंटी स्मॉग गन लगाना अनिवार्य कर दिया गया है. 5 हजार से 10 हजार वर्गमीटर के निर्माण स्थल पर 1 एंटी स्मॉग गन तैनात की जाएगी. 10 हजार से 15 हजार वर्ग मीटर के निर्माण स्थल पर 2, 15 हजार से 20 हजार वर्ग मीटर निर्माण साइट पर 3 और 20 हजार वर्ग मीटर से ऊपर के निर्माण स्थल पर कम से कम 4 एंटी स्मॉग गन तैनात की जाएंगी. 

रोजाना प्रदूषण के कारण पहचाने जाएंगे 
गोपाल राय ने बताया कि विशेष अभियान के जरिये सभी 13 हॉटस्पॉट में रोजाना वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले स्रोतों का रियल टाइम अपोर्शनमेंट स्टडी के आधार पर पता लगाया जाएगा और वहां के नोडल अधिकारियों को उनके एरिया में होने वाले प्रदूषण के प्रमुख कारकों की जानकारी साझा की जाएगी, ताकि उस पर त्वरित कार्रवाई कर सके.

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