गाजियाबाद में बिल्डर के खिलाफ शिकायत रुकने का नाम ही नहीं लें रही है. शिकायतों का आलम इतना है कि 70 से अधिक शिकायत पुलिस ने दर्ज कर ली है. रिपोर्ट के मुताबिक 680 से अधिक लोगों ने अपने खून पसीने की गाढ़ी कमाई से फ्लैट बुक कराये थे पर बिल्डर उनकी इस गाड़ी कमाई को लेकर फरार हो गया.
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गाजियाबादः जिस प्राधिकरण पर नियम बनाने और उन को लागू करवाने की जिम्मेदारी होती है जिस संस्था पर लोगों का भरोसा होता है कि वह उनकी हितों की रक्षा करेगी वही अपने आंखों पर पट्टी बांधकर उन्हीं कर्मचारियों ने लोगों के 200 करोड़ रुपए से अधिक लुटवा दिए. पुलिस ने जीडीए के अज्ञात कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. वहीं जीडीए अधिकारी इस बारे में बात करने से बच रहे हैं.
गाजियाबाद में एक बिल्डर के खिलाफ लगातार शिकायत पुलिस के पास पहुंच रही हैं. शिकायतों का आलम इतना है कि लगभग कुछ ही दिनों में 70 से अधिक शिकायत पुलिस ने दर्ज कर ली है. हम बात कर रहे हैं गाजियाबाद के राज नगर एक्सटेंशन में रेड एप्पल नाम की ग्रुप हाउसिंग की जहां 680 से अधिक लोगों ने अपने खून पसीने की गाढ़ी कमाई से फ्लैट बुक कराये थे पर बिल्डर उनकी इस गाड़ी कमाई पर डाका मारकर फरार हो गया.
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लोगों की शिकायतों के बाद पुलिस ने रेड एप्पल सोसाइटी के कुछ प्रमोटर को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया पर 680 से अधिक परिवार अपनी गाढ़ी कमाई और आशियाना का सपना खो चुके हैं. गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन के पास मोरटा इलाके में मंजू जे होम्स बिल्डर ने रेड एप्पल के नाम से एक सोसाइटी लांच की, मिली जानकारी के अनुसार इस सोसाइटी का नक्शा 7 मंजिल तक ही पास कराया गया था.
लेकिन, यहां 14 से लेकर 16 मंजिल तक फ्लैटों की बुकिंग स्वीकार कर ली गई. तस्वीरों में आप देख सकते हैं 12 से 13 मंजिलों तक की इमारत कुछ टावर तक खड़ी भी कर ली गई. वही जीडीए के अधिकारी आंखों पर पट्टी बांध लोगों को लूटता देखते रहे यही नहीं नक्शे समेत डेवलपमेंट चार्ज जो जीडीए को जमा कर लेते बिल्डर ने वह भी जमा नहीं किए और मिलीभगत से अपना काम धड़ल्ले से चलता रहा और नए नए लोगों की बुकिंग से पैसे बनाता रहा.
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यहां बुकिंग करा कर फंसे लोगों के अनुसार यहां EMI आफ्टर प्रोजेक्शन की स्कीम के अंतर्गत लोन सुविधा उपलब्ध कराई जाती थी बिल्डर की बैंक कर्मचारियों के साथ भी ऐसी सेटिंग थी कि मात्र 1 दिन में लोन अप्रूव हो जाता था यानी कस्टमर को बहुत ज्यादा सोचने का वक्त ही नहीं दिया जाता था मात्र कुछ कागज देने पर ही पैसे बिल्डर के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए जाते थे.
अब पुलिस के पास लगातार शिकायत आने से पुलिस ने प्रमोटर्स के साथ-साथ जीडीए के कर्मचारी और SBI और DHFL बैंक को भी वादी बनाया है. अब इस विषय की जानकारी जीडीए से मांगने पर कोई भी वरिष्ठ अधिकारी इस पर बोलने को तैयार नहीं है जानकारी मांगने पर भी इधर से उधर टहला दिया जाता है क्योंकि साफतौर से मामला जीडीए कर्मचारियों की मिलीभगत का दिख रहा है.
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उधर, जीडीए भी अपने कर्मचारियों को बचाने में लग हुआ है. तस्वीरों में दिख रही इस ग्रुप हाउसिंग का काम पिछले 5 सालों से अधिक से बंद है और उसमें बुकिंग करा कर 680 से ज्यादा लोग दर बदर की ठोकरें खा रहे हैं. कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं और यह सब कुछ संभव हुआ जीडीए कर्मचारियों की मिलीभगत से उन्होंने किस तरह से बिना नक्शा पास हुए बिना जीडीए के डेवलपमेंट चार्ज जमा किए वहां काम होने दिया कहीं ना कहीं ऐसी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए और कड़ी कार्यवाही इन जीडीए अधिकारियों पर की जानी चाहिए.
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