Vasant Vihar Suicide: कोरोना ने छीना जीने का सहारा, डिप्रेशन में था परिवार; दो बेटियों और मां ने कर ली आत्महत्या
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Vasant Vihar Suicide: कोरोना ने छीना जीने का सहारा, डिप्रेशन में था परिवार; दो बेटियों और मां ने कर ली आत्महत्या

Coronavirus: पुलिस मौके पर पंहुची तो सबसे पहले उन्हें दरवाजा तोड़ने पर दरवाजे के पास ही एक नोट लटका मिला जिसपर लिखा था... ''Too much deadly gas'', दरवाजा खोलने के बाद माचिस या लाइटर न जलाएं.

Vasant Vihar Suicide: कोरोना ने छीना जीने का सहारा, डिप्रेशन में था परिवार; दो बेटियों और मां ने कर ली आत्महत्या

Coronavirus: दिल्ली के वसंत विहार में शनिवार शाम एक ही परिवार की तीन महिलाओं ने आत्महत्या कर ली. कुल तीन सदस्यों वाले इस परिवार में 2 बेटियां और उनकी मां थी जिन्होंने घर को गैस चैम्बर बनाकर ये आत्महत्या की है. बताया जा रहा है कि पूरा परिवार लंबे समय से डिप्रेशन में था.

मां और दो बेटी ने की आत्महत्या

30 साल की अंकिता, 26 साल की छोटी बहन अंशुता और 55 साल की उनकी मां मंजू श्रीवास्तव अब इस दुनिया में नहीं हैं. तीनों ने बीती रात अपने घर को गैस चैम्बर बनाकर आत्महत्या कर ली. पड़ोसियों और उनके घर पर काम करने वाली मेड की बातों से लगता है कि ये दोनों बेटियां अपने पिता को पिछले साल खोने के बाद से डिप्रेशन में थी. मंजू भी पिछले कई सालों से बेड पर ही थी और कोरोना की वजह से अप्रैल 2021 में अपने पति उमेश को खोने के बाद वो भी डिप्रेशन का शिकार हो गई थी.

अंदर से बंद था घर का दरवाजा

डीसीपी साउथ वेस्ट के मुताबिक 8 बजकर 22 मिनट पर वसंत विहार थाने की पुलिस को पीसीआर कॉल से जानकारी मिली थी की वसंत अपार्टमेंट सोसायटी में फ्लैट नम्बर-207 में कमरा अंदर से बंद है. घर के लोग दरवाजा नहीं खोल रहे हैं. आवाज देने या डोरबेल बजाने पर भी कोई दरवाजे को अंदर से खोल नहीं रहा है. इसके बाद एसएचओ वसंत विहार अपनी टीम के साथ मौके पर पंहुचे और फ्लैट का दरवाजा तोड़ा तो घर में तीन लाश मिली, कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था, खिड़की भी बंद थी.

पूरे घर को बना दिया गैस चैंबर

घर में छानबीन करने पर पता चला की घर में अंगीठी जल रही थी और गैस की पाईप भी खुली हुई थी. पुलिस को घर के अंदर के कमरे की तलाशी के दौरान सुसाइड नोट भी मिला है. घर के अंदर के कमरे में बेड पर मंजू और उनकी दो बेटियां अंशिका और अंकू की लाश पड़ी थी. जांच में पता चला कि तीनों की मौत दम घुटने से हुई है. 

दरवाजे के पास लटका मिला नोट

जब पुलिस मौके पर पंहुची तो सबसे पहले उन्हें दरवाजा तोड़ने पर दरवाजे के पास ही एक नोट लटका मिला जिसपर लिखा था... ''Too much deadly gas'', दरवाजा खोलने के बाद माचिस या लाइटर न जलाएं, घर में काफी खतरनाक जहरीली गैस भरी हुई है. ये नोट इसलिए लिखा गया था ताकि मौत के बाद जब पुलिस या कोई भी अंदर दाखिल हो तब कोई हादसा न हो. पुलिस ने बताया कि देखने से लग रहा है कि शनिवार शाम दोनों बेटियों ने घर को अंदर से पूरी तरह से पैक कर दिया. खिड़कियों और वेंटिलेशन को फोईल और पोलीथीन से ढक दिया. घर के अंदर बर्तनों में 4 अंगीठी जलाई और एलपीजी गैस पाइपलाइन को भी खोल दिया ताकि घर  के अंदर गैस से जहरीला धुआं बन जाए. इस तरह मां और बेटियों ने सुसाइड किया.

डिप्रेशन का शिकार था परिवार

परिवार में 12 साल काम कर चुकी कमला ने बताया कि पूरा परिवार पहले हंसता-खेलता रहता था. ये लोग पहले डिप्रेशन में नहीं लगते थे. लेकिन जब से इनके पिता की कोरोना से मौत हुई, तब से दोनों बेटियां भी डिप्रेशन का शिकार हो गई थी. कमला को भी पिछले साल उमेश की मौत के बाद से काम से हटा दिया था. लेकिन फिर भी कभी-कभी कमला इनका हाल-चाल जानने के लिये चली जाती थी.

घर बाहर नहीं निकलती थीं लड़कियां

पड़ोसियों के मुताबिक ये परिवार पिछले 28 साल से यहां रह रहा था. पिता उमेश CA थे, तो मां गृहणी. उमेश की पत्नी मंजू श्रीवास्तव पिछले 12 साल से किसी बीमारी के चलते बेड पर ही रहती थी. पिता उमेश अपनी बेटियों को ज्यादा बाहर नहीं जाने देते थे, जब पड़ोसी उनसे पूछते कि आपकी बेटियां क्या पढ़ती हैं या क्या जॉब करती हैं तो उमेश कहते थे कि दोनों घर से ही पढ़ाई करती हैं. पड़ोसियों को शक है कि दोनों बेटियों में छोटी बेटी ने ये सारी प्लांनिंग की होगी क्योंकि बड़ी बेटी भी पिछले 4 से 5 सालों से अपनी मां की ही तरह डिप्रेशन का शिकार दिखती थी और कहीं नहीं निकलती थी. कभी समान, दवाइयां या राशन भी मंगवाना हो तो फोन लगाकर छोटी बेटी ही मंगवाती थी.

कोरोना के कारण मानसिक सेहत हो रही खराब

दरसअल भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना के कारण लोगों की मानसिक सेहत खराब हो रही है. बीते दो सालों से मानसिक परेशानियों  के मरीजों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है. इनमें अधिकतर रोगियों में एंग्जायटी (Anxiety) और डिप्रेशन (Depression) के लक्षण देखे गए हैं. यही कारण है कि लोग अब आत्महत्या भी कर रहे हैं. दिल्ली के वसंत विहार में भी यही हुआ. पिता के जाने के बाद दोनों बेटियां भी डिप्रेशन में थी. मां कई सालों से बीमार थी. साइकोलॉजिस्ट डॉ. धीरेंद्र कुमार ने बताया कि लोग कोरोना के बाद आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर हुए हैं. जिसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं, जिस वजह से वो आत्महत्या जैसा कदम भी उठा लेते हैं. अगर आप कभी डिप्रेशन फील करें या आत्महत्या के विचार आएं,बेहतर होगा कि आप अपने करीबी लोगों से भी इस बारे में बात करें. कई अस्पताल ऐसी बीमारियों के लिए काउंसलिंग करते हैं.

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