वहीं हेमंत सोरेन ने कार्यक्रम में अपने संबोधन की शुरुआत जोहार शब्द के साथ की. उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में विश्व आदिवासी दिवस तीसरी बार मनाया जा रहा है. झारखंड राज्य की अलग पहचान और इतिहास रहा है. हमारे पूर्वजों ने राज्य अलग रखने की परिकल्पना रखी.
हेमंत सोरेन ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य को विकास के पथ पर आगे लाने के लिए कई सरकारें आयी गयी. 2019 में हमें भी राज्य चलाने का मौका मिला लेकिन कोरोना की वजह से उस समय यह महोत्सव नहीं मना पाए थे. वैसी 12 पुस्तकें जो झारखंड की भाषा संस्कृति को समेटे हुए है उसका विमोचन किया गया. मुख्यमंत्री ने सभी लेखकों को भी मंच पर आमंत्रित किया.
झारखंड आदिवासी महोत्सव पर वन पट्टा का भी वितरण किया गया. जिला सिमडेगा , साहिबगंज और बोकारो के लाभुकों को वितरित किया गया सामुदायिक वन पट्टा. उन्होंने कहा कि कई योजनाओं के माध्यम से यहां के लोगों को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया.
झारखंड के राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि झारखंड वीरों की भूमि है. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना का लाभ मिले इसके लिए सभी को जागरूक होना होगा. झारखंड राज्य एकमात्र ऐसा राज्य है जहां पीएसए कानून लागू नहीं है जो यहां होना चाहिए.
झारखंड आदिवासी महोत्सव 2024 में झारखंड के अलावा मिजोरम, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, असम, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़ व अन्य राज्यों से कलाकारों ने प्रस्तुति दी.
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार के अलावा राज्य समन्वय समिति के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन भी शामिल हुए. महोत्सव में झारखंड समेत अन्य राज्यों के कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी.
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