Jharkhand: बच्चों के हिसाब से विकसित किये जा रहे हैं पुस्तकालय, जानें क्या है वजह
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Jharkhand: बच्चों के हिसाब से विकसित किये जा रहे हैं पुस्तकालय, जानें क्या है वजह

झारखंड में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों को जल्द ही बच्चों के अनुसार तैयार किए गए पुस्तकालयों में अपनी रुचि की किताबें पढ़ने को मिलेंगी. इससे बच्चों में पढ़ने की आदत को विकसित करने और उनकी सीखने की क्षमता को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.

 (फाइल फोटो)

Ranchi: झारखंड में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों को जल्द ही बच्चों के अनुसार तैयार किए गए पुस्तकालयों में अपनी रुचि की किताबें पढ़ने को मिलेंगी. इससे बच्चों में पढ़ने की आदत को विकसित करने और उनकी सीखने की क्षमता को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी. झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (जेईपीसी) प्रायोगिक आधार पर 50 ऐसे पुस्तकालयों को खोल चुका है जिनमें कम ऊंचाई वाले मेज व कर्सियां हैं. 

गैर लाभकारी संगठनों के साथ की शुरुआत

जेईपीसी ने बच्चों की साक्षरता एवं लड़कियों की शिक्षा के लिए काम करने वाले गैर लाभकारी संगठनों के साथ मिलकर इन पुस्तकालयों को खोला है. राज्य के शिक्षा विभाग के लिए प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों में पढ़ने और सीखने की क्षमता चिंता का मुख्य कारण है. शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर) के विश्लेषण से पता चलता है कि 2008 से 2018 के बीच विद्यार्थियों में पढ़ने की क्षमता में गिरावट आई है. 

एएसईआर रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में 2018 में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले पांचवी कक्षा के सिर्फ 29.4 प्रतिशत बच्चे ही दूसरी कक्षा की पाठ्यपुस्तक पढ़ने में सक्षम थे जबकि 2008 में यह प्रतिशत 51.9 था. एएसईआर सर्वेक्षण का उद्देश्य यह समझना है कि क्या ग्रामीण भारत में बच्चे स्कूलों में प्रवेश लेते हैं और क्या वे सीख रहे हैं. 

रूम टू रीड के साथ किया है करार

जेईपीसी की निदेशक किरण कुमारी पासी ने बताया, 'हमने पुस्तकालय परियोजना के लिए 'रूम टू रीड' के साथ करार किया है. संस्था पुस्तकालय स्थापित कर रही है और सरकार को निशुल्क ही अध्ययन सामग्री उपलब्ध करा रही है. अगर परियोजना सफल होती है, तो इसे उचित योजना के माध्यम से बड़े पैमाने पर विस्तारित किया जाएगा.' 

उन्होंने कहा कि इस तरह के पुस्तकालयों का उद्देश्य पाठ्यक्रम के बाहर की किताबों को पढ़ने की आदत डालना और पहली से पांचवी कक्षा तक के विद्यार्थियों में पढ़ने के कौशल को विकसित करना है. पासी ने कहा, 'संस्था ने विद्यार्थियों के स्तर के अनुसार, सचित्र पुस्तकें और अन्य अध्ययन सामग्री प्रदान की है जो हमें लगता है कि छात्रों को आकर्षित कर रहे हैं.' 

अधिकारी ने दावा किया कि ऐसा ही एक पुस्तकालय एक महीने पहले रांची शहर के कांटाटोली के सरकारी माध्यमिक विद्यालय में स्थापित किया गया था जो संस्थान के प्राथमिक विद्यार्थियों के लिए आकर्षक क्षेत्र बन गया है. बच्चों के हिसाब से विकसित 50 पुस्तकालयों को खोला गया है जिनमें से रांची में 30 और 20 बोकारो जिले में हैं.

(इनपुट: भाषा)

 

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