7 प्वाइंट में जानिए रामगढ़ में क्यों हारा यूपीए, लोकसभा चुनाव से पहले यह खतरे की घंटी तो नहीं?
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar1593575

7 प्वाइंट में जानिए रामगढ़ में क्यों हारा यूपीए, लोकसभा चुनाव से पहले यह खतरे की घंटी तो नहीं?

झारखंड के रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव का रिजल्ट एनडीए प्रत्याशी सुनीता चौधरी के पक्ष में गया है और इसके साथ ही इस सीट पर यूपीए और कांग्रेस को बड़ा धक्का लगा है.

सुनीता चौधरी, रामगढ़ की विजय प्रत्याशी

Ramgarh By Election Result 2023: झारखंड के रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव का रिजल्ट एनडीए प्रत्याशी सुनीता चौधरी के पक्ष में गया है और इसके साथ ही इस सीट पर यूपीए और कांग्रेस को बड़ा धक्का लगा है. इस चुनाव में जहां आजसू प्रत्याशी सुनीता चौधरी को बीजेपी का समर्थन प्राप्त था, वहीं यूपीए प्रत्याशी बजरंग महतो को बाकी दलों का समर्थन हासिल था. फिर भी एनडीए प्रत्याशी ने रामगढ़ उपचुनाव जीतकर यूपीए को बड़ा झटका दिया है. इसके साथ ही लोकसभा चुनाव से पहले रामगढ़ उपचुनाव जीतकर यूपीए के लिए झारखंड में खतरे की घंटी बजा दी है. ऐसा क्यों हुआ, इसे हम 7 प्वाइंट में समझाते हैं- 

बीजेपी और आजसू का एक साथ आना 

इस चुनाव में बीजेपी और आजसू एक साथ आ गए और आजसू प्रत्याशी के पक्ष में बीजेपी ने कोई प्रत्याशी नहीं उतारा. इस सीट का इतिहास भी एनडीए प्रत्याशी के पक्ष में था. 2019 में ही अगर बीजेपी और आजसू को मिले वोटों को जोड़ लिया जाए तो वह विजय प्रत्याशी ममता देवी को मिले वोटों से ज्यादा हो रहा था. यानी तब भी एनडीए एकजुट होकर चुनाव लड़ता तो कांग्रेस प्रत्याशी की जीत नहीं होती.

यूपीए के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी फैक्टर 

राजनीतिक जानकार बताते हैं कि रामगढ़ में सत्ता विरोधी लहर भी यूपीए की हार का बड़ा फैक्टर साबित हुआ. 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता विधेयक धरातल पर नहीं उतरा और इससे सरकार की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हुआ. सरकार ने इसे विधानसभा में पेश जरूर किया और पारित भी करा दिया पर यह कानून नहीं बन सका. राज्यपाल ने इस विधेयक को वापस कर दिया था. इसके अलावा सीएम हेमंत सोरेन ने खतियानी जोहर यात्रा निकाली पर जनता ने कोई खास उत्साह नहीं दिखाया.

युवाओं को नहीं मिले रोजगार, बढ़ी नाराजगी 

पांच साल में 25 लाख लोगों को रोजगार देने का ऐलान कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सत्ता में आए थे पर सरकार बनने के 3 साल बाद भी हेमंत सोरेन की सरकार ने केवल 857 लोगों को ही ज्वाइनिंग लेटर प्रदान किया. हेमंत सोरेन सरकार की नियोजन नीति हाई कोर्ट ने रद कर दी. युवाओं ने पिछले दिनों इसके खिलाफ नाराजगी में मार्च भी निकाला था.

हेमंत सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप 

इसके अलावा भ्रष्टाचार को लेकर भी हेमंत सरकार सवालों को घेरे में रही. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद 1000 करोड़ के अवैध खनन मामले में ईडी के समक्ष पेश हुए. रामगढ़ में चुनाव से 2 दिन पहले ग्रामीण कार्य विभाग के इंजीनियर वीरेंद्र राम के यहां ईडी ने रेड डाल दी और अकूत संपत्ति की बरामदगी हुई. 

दूधमुंह बच्चे को रैलियों में ले जाने भी फर्क नहीं 

रामगढ़ चुनाव प्रचार के दौरान यूपीए की ओर से कांग्रेस नेत्री ममता देवी को मिली सजा को लेकर सहानुभूति बटोरने की कोशिश की गई. ममता के दूधमुंहे बच्चे को रैलियों में ले जाया गया. कांग्रेस नेताओं ने रैलियों में कहा कि आपका वोट इस दूधमुंहे बच्चे को न्याय दिलाएगा. हालांकि भ्रष्टाचार पर जनता ने नरम रुख नहीं दिखाया और आजसू की सुनीता चौधरी को अपना विधायक चुन लिया. 

महिला सुरक्षा पर बैकफुट पर सरकार 

झारखंड में पिछले दिनों दुमका में अंकिता हत्याकांड, साहिबगंज में रेबिका पहाड़िन हत्याकांड के अलावा दुमका, लिटीपाड़ा और गुमला में नाबालिगों के साथ गैंगरेप की वारदात से हेमंत सरकार बैकफुट पर चली गई.

कानून व्यवस्था के बिगड़ते हालात 

रामगढ़ में चुनाव से एक दिन पहले आजसू के स्थानीय नेता की गोली मारकर हत्या कर दी गई. मांडर में दिनदहाड़े 65 लाख रुपये की लूट, चाईबासा में आईईडी ब्लास्ट और बड़कागांव से कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद के प्रतिनिधि की गोली मारकर हत्या से हेमंत सरकार पर कानून व्यवस्था दुरुस्त न रखने के आरोप लगे. विधायक अंबा प्रसाद ने तो अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े कर दिए.

Trending news