पहले लालू और अब तेजस्वी यादव, कांग्रेस को आखिर क्यों उसकी औकात दिखाने पर तुले हुए हैं?
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पहले लालू और अब तेजस्वी यादव, कांग्रेस को आखिर क्यों उसकी औकात दिखाने पर तुले हुए हैं?

Mahagathbandhan: यह इत्तेफाक नहीं हो सकता कि पहले लालू प्रसाद यादव और उसके बाद तेजस्वी यादव कांग्रेस को लेकर इस तरह की टिप्पणी करें. साल भर पहले का समय याद कीजिए, जब लालू प्रसाद यादव, राहुल गांधी को मटन बनाकर खिलाते देखे गए थे. चुनाव के मौके पर इस तरह की तस्वीर सीट शेयरिंग के बाद ही संभव हो पाती है.

पहले लालू और अब तेजस्वी, कांग्रेस को आखिर क्यों उसकी औकात दिखाने पर तुले हुए हैं?

Bihar Politics: तब संसद सत्र चल रहा था और तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा था कि इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व करने में राहुल गांधी फेल हो चुके हैं और भाजपा के खिलाफ असफल साबित हुए हैं. इसलिए इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दिया जाना चाहिए. वे सक्षम हैं और भाजपा को पश्चिम बंगाल में पटखनी दे चुकी हैं. फारुख अब्दुल्ला, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव और शरद पवार के साथ ही लालू प्रसाद यादव ने कल्याण बनर्जी की मांग से सहमति जताई थी. तब लालू प्रसाद यादव ने कहा था, ममता बनर्जी को इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व देने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. कांग्रेस को भी यह बात बुरी नहीं लगनी चाहिए. एक सवाल के जवाब में लालू प्रसाद यादव ने यह भी कहा दिया था कि कांग्रेस को बुरा लगे तो लगे. और अब तेजस्वी यादव ने कह दिया है कि इंडिया ब्लॉक का गठन लोकसभा चुनाव के लिए ही हुआ था.

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तेजस्वी यादव ने अपने इस बयान के साथ ही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के दिल्ली में अलग अलग चुनाव लड़ने को उचित ठहराया और कहा कि यह सभी को पता है कि इंडिया ब्लॉक का गठन लोकसभा चुनाव के लिए ही हुआ था. हालांकि तेजस्वी यादव ने यह भी कहा, बिहार में राजद और कांग्रेस के बीच वर्षों से गठबंधन चल रहा है. बता दें कि बिहार में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और हो सकता है कि लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव कांग्रेस के साथ प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे हों.

हालांकि तेजस्वी यादव के बयान पर कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता शकील अहमद खान ने कहा, इंडिया ब्लॉक अभी बना हुआ है और खत्म नहीं हुआ है. राज्यों में अलग अलग चुनाव लड़ने का मतलब यह नहीं है कि इंडिया ब्लॉक खत्म हो गया. जब यह गठबंधन बना था, तब भी केरल में कांग्रेस और वामदल अलग अलग चुनाव लड़े थे. इसके अलावा पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अलग अलग चुनाव लड़े थे. विधानसभा चुनाव को लेकर शकील अहमद खान का कहना था, पिछले विधानसभा चुनाव में हम 70 सीटों पर चुनाव मैदान में थे और 19 सीटें जीते थे. इस बार कांग्रेस की विश्वसनीयता बढ़ी है तो हमें ज्यादा सीटें चाहिए. इसके अलावा शकील अहमद ने 2 डिप्टी सीएम की मांग करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का रिजल्ट देख लीजिए. 

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राजद की ओर से ऐसे बयान इसलिए भी दिए जा रहे हैं, क्योंकि पार्टी को दिल्ली में भी चुनाव लड़ना है और उसके लिए या तो आम आदमी पार्टी या फिर कांग्रेस का साथ चाहिए ही चाहिए. पिछले विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल 4 सीटों पर चुनावी मैदान में था. दिल्ली में बिहार और पूर्वांचल के वोटरों की संख्या को देखते हुए यह आंकड़ा अहम हो जाता है. इसलिए पार्टी 4 सीटों पर अपने प्रत्याशियों को उतारना चाहती है. पिछले विधानसभा चुनाव में दिल्ली की 70 सीटों में से कांग्रेस 66 तो राजद 4 सीटों पर मैदान में थी. इस बार भी राष्ट्रीय जनता दल 4 कम से कम 4 सीटें चाहता है. इसलिए भी कांग्रेस पर दबाव बनाने के लिए राजद प्रमुख और तेजस्वी यादव ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं.

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