ललन सिंह ने बगावत पर उतरे उपेंद्र कुशवाहा को दिया करार जवाब, लगाया कार्यकर्ताओं को भ्रमित करने का आरोप
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ललन सिंह ने बगावत पर उतरे उपेंद्र कुशवाहा को दिया करार जवाब, लगाया कार्यकर्ताओं को भ्रमित करने का आरोप

Bihar Political Drama:  JDU के संसदीय बोर्ड के असंतुष्ट अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा रविवार को पार्टी के सर्वोच्च नेता नीतीश कुमार के खिलाफ खुले विद्रोह पर उतर आए और उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को एक खुला पत्र जारी करने के बाद जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने पलटवार किया है. 

 (फाइल फोटो)

Patna: Bihar Political Drama: बिहार में इस समय सियासी हलचल मची हुई है. JDU के संसदीय बोर्ड के असंतुष्ट अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा रविवार को पार्टी के सर्वोच्च नेता नीतीश कुमार के खिलाफ खुले विद्रोह पर उतर आए और उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को एक खुला पत्र जारी करने के बाद जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा है कि उपेंद्र कुशवाहा कार्यकर्ताओं को भ्रमित करना चाहते हैं और कुछ नहीं.

लल्लन सिंह ने किया पलटवार 

जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी कार्यकर्ताओं को लिखी खुली चिट्ठी को शेयर करते हुए ट्वीट किया कि'कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना... जद (यू.) के समर्पित एवं निष्ठावान कार्यकर्ता साथियों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास है. ना कोई डील है और ना ही विलय की बात   यह सिर्फ एक मनगढ़ंत कहानी है.'

 

उपेंद्र कुशवाहा ने जारी किया था पत्र

इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू कार्यकर्ताओं को पत्र जारी किया था. इस पत्र में उन्होंने कहा कि पार्टी अपने आंतरिक कारणों से प्रतिदिन कमजोर होती जा रही है तथा महागठबंधन बनने के बाद बिहार के विधानसभा उपचुनावों के परिणाम आने के समय से ही वह पार्टी की स्थिति से मुख्यमंत्री को लगातार अवगत करा रहे हैं. 

उन्होंने कहा, 'समय समय पर पार्टी की बैठकों में भी मैंने अपनी बातें रखीं हैं. विगत एक डेढ महीने से मैंने हर संभव तरीके से कोशिश की है कि दिनोंदिन अपना अस्तित्व खोती जा रही पार्टी को बचाया जा सके.' कुशवाहा ने पत्र में कहा है, 'मेरी कोशिश आज भी जारी है. परन्तु तमाम प्रयासों के बावजूद मुख्यमंत्री द्वारा मेरी बातों की न सिर्फ अनदेखी की जा रहीं है बल्कि उसकी व्याख्या भी गलत तरीके से की जा रही है.' 

उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा है, 'मेरी चिंता और जहां तक मैं समझता हूँ आप सभी की चिंता भी इस बात को लेकर है कि अगर जदयू बिखर गया तो उन करोड़ लोगों का क्या होगा जिनके अरमान इस दल के साथ जुड़े हुए हैं और जिन्होंने बडे़ बडे़ कष्ट सहकर और अपनी कुर्बानी देकर इसके निर्माण में अपना योगदान किया है.' 

(इनपुट: भाषा के साथ) 

 

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