Jehanabad News: जहानाबाद के काको प्रखंड के खालिसपुर और पिंजौर पंचायत में पैक्स अध्यक्ष की मनमानी और जिला सहकारी समिति के अधिकारियों की लापरवाही और पक्षपात पूर्ण रवैया के कारण सैकड़ों किसान सारी कैरोटेरिया को फुल फिल करने के बावजूद पैक्स का सदस्य बनने से महरूम हो गए हैं.
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जहानाबाद: Jehanabad News: बिहार में सरकार भले ही सहकारी संस्था के तहत ग्रामीण क्षेत्र में किसानों के लिए ऋण सहित कई कल्याणकारी योजना संचालित करती है. परंतु जमीनी हकीकत यह है कि इस सहकारी संस्था पैक्स में नाम जुड़वाने के लिए किसानों को नाकों चना चबाना पड़ता है. ऐसा ही कुछ मामला जहानाबाद से सामने आया है. जहां काको प्रखंड के खालिसपुर और पिंजौर पंचायत में पैक्स अध्यक्ष की मनमानी और जिला सहकारी समिति के अधिकारियों की लापरवाही और पक्षपात पूर्ण रवैया के कारण सैकड़ों किसान सारी कैरोटेरिया को फुल फिल करने के बावजूद पैक्स का सदस्य बनने से महरूम हो गए हैं.
हालांकि पैक्स अध्यक्ष का चुनाव नजदीक आने और सदस्यता न मिलने से नाराज किसान ने डीसीओ कार्यालय पहुंच कर अधिकारियों पर पैक्स अध्यक्ष के साथ मिलीभगत कर उनके आवेदन को रद्द करने का आरोप लगाया. किसानों ने बताया कि आवेदन की जांच और उनके भौतिक सत्यापन के लिए उन्हें कार्यालय बुलाया जाता है. परंतु पूरे दिन बैठने के बाद भी ना तो उनके आवेदन पर कोई सुनवाई होती है और न ही उनसे कुछ पूछा जाता है और दूसरे दिन उसके अनुपस्थित रहने का गलत बहाना बना कर सदस्यता आवेदन रद्द कर दिया जाता है.
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किसानों ने बताया कि उनके इस रवैये से खालिसपुर पंचायत के साढ़े तीन सौ किसानों का आवेदन अस्वीकृत कर दिया गया है. जिससे पैक्स के हम सदस्य नहीं बन पा रहे है. आगामी 15 नवंबर से होने वाले पैक्स चुनाव में हमें वोट देने से वंचित कर दिया गया. किसानों ने बताया कि जब इसकी शिकायत हम यहां के बीसीओ और डीसीओ से की तो उन्होंने भी यह कह कर पल्ला झाड़ रहे है कि हम इसमें कुछ नही कर सकते है. जहां जाना है वहां जाओ.
इस संबंध में डीसीओ कुसुम ने बताया कि अभी तक कुल 23 सौ से अधिक आवेदन प्राप्त हुए है. जिसमें 782 लोगों का आवेदन अस्वीकृत किया गया है. उन्होंने बताया कि अगर काउंसलिंग के समय किसान समय पर नही पहुचते है या उनके हस्ताक्षर मैच नहीं कर रहा है या उनके गवाह नहीं आते है, तो ऐसी स्थिति में उनके आवेदन को रद्द कर दिया जाता है. उन्होंने बताया कि अगर किसान पैक्स अध्यक्ष या सरकारी कर्मी पर मनमानी का आरोप लगाते है तो यह बहुत ही नाइंसाफी है. सरकारी कार्य करने वालों पर ये तोहमत लगा रहे है. अभी ये आये है तो हम कार्य कर रहे है.
इनपुट- मुकेश कुमार, जहानाबाद
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