भागलपुर के खंजरपुर में रहने वाले मिथिलेश पाठक दुश्मनों से लोहा लेते हुए 5 अगस्त 1999 को शहीद हो गए थे. शहीद मिथिलेश पाठक की पत्नी को अपने पति पर गर्व है.
Trending Photos
Kargil Vijay Diwas: 'है नमन उनको जो यश-काय को अमरत्व देकर, इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गए हैं...' यह पंक्ति कारगिल के शहीदों को चरितार्थ कर रही है. देश आज यानी 26 जुलाई 2023 को 24वां 'कारगिल विजय दिवस' (Kargil Vijay Diwas) मना रहा है. इस युद्ध में हमारी जवानों ने भारतीय सीमा में घुसे बैठे दुश्मनों को मार भगाया था और अपने हिमालय को फिर से आजाद कराया था. अपनी परम पराक्रमी सेना की बदौलत ने हमने यह युद्ध जीता था, लेकिन इस युद्ध में देश ने बहुत से वीर सपूतों को खो दिया था. देश के शीश यानी अपने हिमालय को सुरक्षित रखने के लिए हर राज्य के जवानों ने अपने जीवन का बलिदान दिया था.
इन्हीं वीर सपूतों में भागलपुर के भी तीन जवान थे. उनमें से एक शहीद मिथिलेश पाठक भी हैं. भागलपुर के खंजरपुर में रहने वाले मिथिलेश पाठक दुश्मनों से लोहा लेते हुए 5 अगस्त 1999 को शहीद हो गए थे. शहीद मिथिलेश पाठक की पत्नी को अपने पति पर गर्व है. इतना ही नहीं वह अपने पति की तरह अपने बेटे को भी आर्मी में भेजना चाहती हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें यह मालूम था कि कारगिल में युद्ध हो रहा है लेकिन वहां उनके पति भी थे, इसकी जानकारी नहीं थी.
ये भी पढ़ें- कारगिल विजय दिवस के मौके पर सोशल मीडिया पर शेयर करें देशभक्ति से भरे ये 10 संदेश
उन्होंने कहा कि उनके पास 6 अगस्त को बरारी थाना से पति के शहीद होने की जानकारी आई थी. तब उनके दो बेटे थे बड़ा बेटा 5 साल का था छोटा बेटा तीन साल का था. उन्होंने दो बेटों में से एक को सेना में भेजने का वादा किया था. उन्होंने कहा कि छोटे बेटे शैलेश को आर्मी बनाएंगे. हालांकि, उन्होंने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि उस वक्त टिकारी के विधायक ने पेट्रोल पंप और गैस एजेंसी देने का वादा किया था, लेकिन आजतक नहीं मिला है.
ये भी पढ़ें- Kargil Vijay Diwas 2023: 'जरूरत पड़ी तो LoC भी पार करेंगे...', कारगिल विजय दिवस पर पाक को रक्षामंत्री की खुली धमकी
बता दें कि 1999 में पाकिस्तान एक ओर हमसे दोस्ती की बात रहा था, तो दूसरी ओर कश्मीर पर कब्जा करने की नापाक साजिश रच रहा था. पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सीमा में घुसपैठ करके हिमालय की ऊंची-ऊंची चोटियों पर कब्जा जमा लिया था. लद्दाख के चरवाहों ने उन्हें देख लिया था और 3 मई को इंडियन आर्मी को सूचना दी थी. घुसपैठियों को भगाने के लिए भारत ने 10 मई को ऑपरेशन विजय की शुरुआत की थी. 60 दिन तक चले इस युद्ध में भारतीय जाबांजों ने पाकिस्तानी सैनिकों को मार भगाया.
26 जुलाई को कारगिल पर विजय घोषित की गई थी. कारगिल युद्ध में हमारे करीब 500 सैनिक शहीद हुए थे और 1300 से अधिक सैनिक जख्मी हुए थे. वहीं पाकिस्तान के भी तकरीबन 350 सैनिक मारे गए थे. पूरी दुनिया में अपनी इज्जत छिपाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने तो अपने जवानों के शवों को भी लेने से इनकार कर दिया था.