Akhilesh Yadav tweet viral: सपा के मीडिया प्रकोष्ठ (हैंडल) ने शुक्रवार को एक ट्वीट में अपराधियों की सूची का जिक्र करते हुए कहा है कि ये सब क्या योगी जी के खासमखास हैं? दरअसल ये सब योगी जी के स्वजातीय हैं. इसीलिए अभी तक बचे हुए हैं. अपराध भी कर रहे हैं और गिरोह भी चला रहें.
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Samajwadi Party: माफिया डॉन अतीक अहमद के बेटे असद अहमद के एनकाउंटर के बाद से राजनीति और गर्म हाे गई है. खास तौर पर समाजवादी पार्टी की तरफ से लगातार बयान बाजी हो रही है. असद के एनकाउंटर के बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. साथ ही उन्होंने अपराधियों की सूची बनाकर अपने ट्विटर हैंडल पर अपलोड करते हुए लिखा है कि ये लोग उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खासम खास है. इसलिए वे जीवित है और अपना गिरोह चला रहे हैं.
समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल ने गैंगस्टर-नेता अतीक अहमद के बेटे और उमेश पाल हत्याकांड में वांछित असद और उसके साथी गुलाम की झांसी में पुलिस मुठभेड़ में मौत के एक दिन बाद ये सूची जारी की है.
ये सब क्या योगी जी के खासमखास हैं?
सपा के मीडिया प्रकोष्ठ (हैंडल) ने शुक्रवार को एक ट्वीट में अपराधियों की सूची का जिक्र करते हुए कहा है कि ये सब क्या योगी जी के खासमखास हैं? दरअसल ये सब योगी जी के स्वजातीय हैं. इसीलिए अभी तक बचे हुए हैं. अपराध भी कर रहे हैं और गिरोह भी चला रहें. हत्या, बलात्कार, लूट, डकैती, वसूली, रंगदारी सब कर रहे हैं. ट्वीट में एक 'नोट' जोड़ते हुए कहा है कि लिस्ट पुरानी है, लेकिन इसमें ज्यादातर अपराधी भाजपा समर्थित हैं और सक्रिय हैं.
सूची में इन नेताओं के हैं नाम
सूची में कुलदीप सिंह सेंगर (उन्नाव, 28 मामले), बृजेश सिंह (वाराणसी, 106 मामले), धनंजय सिंह (जौनपुर, 46 मामले), राजा भैया (रघुराज प्रताप सिंह) (प्रतापगढ़, 31 मामले), उदयभान सिंह (भदोही, 83 मामले), अशोक चंदेल (हमीरपुर, 37 मामले), विनीत सिंह (चंदौसी, 34 मामले), बृजभूषण सिंह (गोंडा, 84 मामले), चुलबुल सिंह (वाराणसी, 53 मामले), सोनू सिंह (सुल्तानपुर, 57 मामले), मोनू सिंह (सुल्तानपुर, 48 मामले), अजय सिंह सिपाही (मिर्जापुर, 81 मामले), पिंटू सिंह (बस्ती, 23 मामले), सन्नी सिंह (देवरिया, 48 मामले), संग्राम सिंह (बिजनौर, 58 मामले), चुन्नू सिंह (महोबा, 42 मामले) और बादशाह सिंह (महोबा, 88 मामले) शामिल हैं।
पुलिस मुठभेड़ पर सवाल उठाए
पीवीसीएचआर (पीपुल्स विजिलेंस कमेटी ऑन ह्यूमन राइट्स) के संस्थापक संयोजक लेनिन रघुवंशी शुक्रवार ने पीटीआई-भाषा से कहा कि हमारा विचार है कि पुलिस मुठभेड़ों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कुछ दिशानिर्देश हैं और एनएचआरसी के दिशानिर्देशों के अनुसार एक मजिस्ट्रियल जांच होनी चाहिए, जिससे ऐसे मामलों में तस्वीर साफ हो जाएगी. 2005 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक राजू पाल की हत्या के मामले के मुख्य गवाह उमेश पाल और उसके दो सुरक्षा गार्ड की इस साल 24 फरवरी को प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
उमेश पाल की पत्नी जया पाल की शिकायत पर 25 फरवरी को अतीक, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, असद सहित दो बेटों, शूटर गुड्डू मुस्लिम व गुलाम तथा नौ अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
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