वायु प्रदूषण मेल फर्टिलिटी के लिए घातक, अधूरा रह सकता है पिता बनने का सपना- स्टडी
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वायु प्रदूषण मेल फर्टिलिटी के लिए घातक, अधूरा रह सकता है पिता बनने का सपना- स्टडी

Male Infertility: बीएमजे में शोध से पता चलता है कि पर्यावरण प्रदूषकों का पुरुषों और महिलाओं की फर्टिलिटी पर अलग-अलग प्रभाव हो सकता है.

वायु प्रदूषण मेल फर्टिलिटी के लिए घातक, अधूरा रह सकता है पिता बनने का सपना- स्टडी

एक नए अध्ययन में यह सामने आया है कि वायु प्रदूषण पुरुषों में बांझपन के खतरे को बढ़ाता है, जबकि शोर प्रदूषण महिलाओं में बांझपन के जोखिम को बढ़ा सकता है. यह अध्ययन ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (BMJ) में प्रकाशित हुआ है और इसमें यह दिखाया गया है कि कैसे लंबे समय तक सड़क यातायात शोर और वायु प्रदूषण (विशेष रूप से PM2.5) के संपर्क में आने से पुरुषों और महिलाओं में बांझपन का जोखिम बढ़ सकता है. अध्ययन में 30 से 45 वर्ष की आयु के 526,056 पुरुषों और 377,850 महिलाओं के डेटा का उपयोग किया गया, जो डेनमार्क में 2000 से 2017 तक रहते थे और जो गर्भधारण करने की कोशिश कर रहे थे.

वायु प्रदूषण और शोर प्रदूषण का प्रभाव

यह अध्ययन वायु प्रदूषण के एक विशेष रूप, PM2.5, और सड़क यातायात शोर के प्रभावों का मूल्यांकन करता है. PM2.5 एक प्रकार का प्रदूषक है, जो हवा में सूक्ष्म कणों के रूप में मौजूद होता है और जो श्वसन तंत्र के लिए हानिकारक है. अध्ययन में पाया गया कि यदि पुरुष पांच वर्षों तक औसत से 2.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर अधिक PM2.5 प्रदूषण के संपर्क में आते हैं, तो उनके लिए बांझपन का जोखिम 24% बढ़ जाता है. हालांकि, महिलाओं में PM2.5 प्रदूषण से कोई स्पष्ट संबंध नहीं पाया गया.

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महिलाओं में शोर प्रदूषण का प्रभाव

वहीं, महिलाओं के लिए सड़क यातायात शोर का प्रभाव अधिक देखा गया. अध्ययन में पाया गया कि यदि महिलाओं को पांच वर्षों तक औसत से 10.2 डेसिबल अधिक शोर प्रदूषण का सामना करना पड़ता है, तो उनके लिए 35 वर्ष से ऊपर उम्र की महिलाओं में बांझपन का जोखिम 14% बढ़ जाता है. हालांकि, 30 से 35 वर्ष की आयु वाली महिलाओं में शोर प्रदूषण और बांझपन के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया. इसके अतिरिक्त, पुरुषों के लिए 37 से 45 वर्ष की आयु में सड़क यातायात शोर ने बांझपन के जोखिम को थोड़ा बढ़ाया, लेकिन 30 से 37 वर्ष के बीच के पुरुषों में इसका कोई प्रभाव नहीं था.

निष्कर्ष और संभावित प्रभाव

इस अध्ययन के निष्कर्षों से यह स्पष्ट होता है कि वायु प्रदूषण और शोर प्रदूषण का पुरुषों और महिलाओं में बांझपन पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, खासकर यदि कोई व्यक्ति लंबे समय तक इन प्रदूषकों के संपर्क में रहता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि पूर्व में कई अध्ययनों में पार्टिकुलेट एयर पॉल्यूशन और शुक्राणु गुणवत्ता के बीच नकारात्मक संबंध पाया गया था, लेकिन यह परिणाम असंगत थे. 

बांझपन के बढ़ते मामलों पर चिंताएं

अध्ययन के अनुसार, लगभग एक-आध जोड़ा हर सात में से एक जोड़ा, जो गर्भवती होने की कोशिश कर रहा है, उसे बांझपन का सामना करना पड़ता है. ऐसे में, वायु और शोर प्रदूषण के प्रभाव को समझना और इन पर नियंत्रण पाना जन्मदर को बढ़ाने के लिए जरूरी बन गया है.

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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

 

 

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