Raghvendra Kumar Helmet Man: कहा जाता है कि लीक से हटकर कुछ काम करने पर आप मशहूर हो सकते हैं. हालांकि यहां पर जिस शख्स का हम जिक्र करेंगे वो एक हादसे का गवाह बनता है. उस हादसे से कुछ समय के लिए वो टूटता भी है, लेकिन खुद से 'भीष्म प्रतिज्ञा' लेता है कि अब वो किसी को बिना वजह नहीं मरने देगा. देश अब उन्हें हेलमेट मैन ऑफ इंडिया के नाम से जानता है.
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Helmet Man Raghvendra Kumar: कहा जाता है कि भारत में जितनी अधिक मौतें आतंकी वारदातों में नहीं हुई होंगी. उससे अधिक मौतों के लिए सड़क हादसे जिम्मेदार हैं. इस बात की तस्दीक सरकार की एजेंसिया भी करती हैं. वैसे यदि आप सड़क पर यात्रा करते होंगे तो बड़ी संख्या में ऐसे लोग मिलते हैं जो सड़क नियमों के उल्लंघन को अपनी शान भी समझते हैं. उन्हें अपने अंजाम के बारे में पता भी होता है फिर भी कान पर जू नहीं रेंगता. हालांकि इन सबके बीच कुछ ऐसे भी लोग हैं जो सड़क नियमों को ना मानने वालों को समझाते हैं, विनय भी करते हैं साथ ही मदद करने से पीछे भी नहीं हटते, ऐसे ही एक शख्स का नाम है राघवेंद्र कुमार जिन्हें देश हेलमेट मैन ऑफ इंडिया के नाम से जानता है. आखिर उन्हें हेलमेट मैन क्यों कहा जाता है. उसके पीछे की कहानी एक तरफ जहां आपको उत्साहित करेगी. वहीं उसका दूसरा पक्ष भी है जिसे आप जानकर भावुक हो जाएंगे.
करीबी दोस्त की मौत के बाद फैसला
लॉयड कॉलेज से लॉ की डिग्री हासिल करने वाले राघवेंद्र कुमार के एक करीबी दोस्त का निधन 2014 में ग्रेटर नोएडा में हो गया था. जिस समय उनके दोस्त के साथ सड़क हादसा हुआ उसने हेलमेट नहीं पहन रखी थी. उस हादसे के बाद ही राघवेंद्र कुमार ने अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया कि वो ना लोगों को सिर्फ सड़क सुरक्षा के लिए जागरुक करेंगे. बल्कि हेलमेट भी देंगे. 2014 से अब तक वो फ्री में 60 हजार लोगों को हेलमेट दे चुके हैं.
अपनी कार की रफ्तार 100 से ऊपर नहीं ले जाता लेकिन लखनऊ एक्सप्रेसवे पर एक व्यक्ति जब मुझे ओवरटेक किया मैं दंग रह गया क्योंकि बिना हेलमेट उसकी रफ्तार हमसे ज्यादा थी. उसे सुरक्षा कवच हेलमेट देने के लिए 100 से ऊपर अपनी गाड़ी को भगाना पड़ा अंत में उसे पकड़ ही लिया. #Helmetman @PMOIndia pic.twitter.com/BbpYbQ43C7
— Helmet man of India (@helmet_man_) March 14, 2023
बिहार के रहने वाले हैं राघवेंद्र
बिहार के कैमूर जिले से राघवेंद्र कुमार का ताल्लुक है. वो अब तक हजारों लोगों को फ्री में हेलमेट दे चुके हैं. बड़ी बात यह कि अगर कोई बिन हेलमेट उनके सामने से भागने की कोशिश करता है. तो वो उसके पीछे दौड़ पड़ते हैं. हेलमेट देते हैं. सड़क नियमों के बारे में बताते हैं, समझाते हैं. यहां तक कि फ्री में हेलमेट देने के लिए उन्होंने अपने घर तक को बेच दिया. अब इसे आप उनका जूनून, सनक, पागलपन या अच्छाई कोई भी नाम दे सकते हैं. लेकिन पिछले 9 वर्षों से शायद ही कोई ऐसा दिन बीता जब वो फ्री में हेलमेट देने से पीछे रहे हों. यहां हम बताएंगे कि आखिर क्या हुआ जिसके बाद उन्होंने फ्री हेलमेट देने का फैसला किया.
भारत में सड़क हादसे
सड़क परिवहन मंत्रालय की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक
18 से 60 साल के कामकाजी लोग सड़क हादसे के शिकार
मरने वालों की संख्या करीब 1 लाख 60 हजार
गंभीर रूप से घायलों की संख्या चार लाख के पार थी.
नेशनल हाईवे पर हादसों की संख्या 61 हजार के करीब
स्टेट हाइवे पर हादसों की संख्या 41 हजार के करीब
जिला स्तरीय सड़कों पर 66 हजार से अधिक
गलत दिशा में हादसों की वजह से 67 हजार की मौत
नितिन गडकरी कर चुके हैं सम्मानित
अब राघवेंद्र कुमार ने हेलमेट बांटने का फैसला क्यों किया होगा उसकी गवाही ये आंकड़े दे रहे हैं. वो सड़क सुरक्षा संदेशों को फैलाने के लिए सोशल मीडिया अकाउंट का उपयोग करते हैं. उन्हें 2022 में एशियाई उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. सबसे बड़ी बात यह है कि लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए वो अपनी कार में भी हेलमेट पहनते हैं.उनके सड़क सुरक्षा प्रयास के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भी उनकी सराहना की थी.