पुतिन-डोभाल की मीटिंग के बाद दुनिया भौचक्की, मोदी के 'जेम्स बांड' ने क्या गुल खिला दिया?
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पुतिन-डोभाल की मीटिंग के बाद दुनिया भौचक्की, मोदी के 'जेम्स बांड' ने क्या गुल खिला दिया?

Russia News: रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में इस मुलाकात की शुरुआत बड़ी ही गर्मजोशी से हुई जब रूसी राष्ट्रपति अजीत डोभाल की तरफ बढ़ते हुए आए और दोनों ने हाथ मिलाया. इसके बाद डोभाल और पुतिन वार्ता टेबल पर बैठे. दोनों अपनी बातचीत के बीच में पीएम मोदी का जिक्र करते हुए मुस्कुराते भी दिखाई दिए. 

पुतिन-डोभाल की मीटिंग के बाद दुनिया भौचक्की, मोदी के 'जेम्स बांड' ने क्या गुल खिला दिया?

Ajit Doval Vladimir Putin: देश के सुरक्षा सलाहकार और पीएम मोदी के 'जेम्स बांड' के नाम से मशहूर अजीत डोभाल रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मिले तो कई तरह के अटकलों का बाजार गर्म हो गया. वैसे भी लंबे समेत से अजीत डोभाल की छवि तेज तर्रार और सुरक्षा मसलों पर सटीक भागीदारी की रही है. अब उन्होंने पुतिन से मुलाकात की तो अपने शब्दों और हाव-भाव के जादू से उन्होंने दुनियाभर के राजनीतिक विश्लेषकों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है. इसी कड़ी में वे रूस जा पहुंचे, पुतिन से मिले. पुतिन ने मुलाकात में डोभाल के साथ अपनी बैठक के दौरान भारत की जमकर तारीफ की.

असल में अजीत डोभाल ने आधिकारिक तौर पर गुरुवार को रूसी सुप्रीमो व्लादिमीर पुतिन को पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे के बारे में जानकारी दी है. उन्होंने यूक्रेन संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान खोजने के नए प्रयासों के बीच कीव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ हुई वार्ता के बारे में भी जानकारी दी. 

बड़ी ही गर्मजोशी से हुई मुलाकात 

रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में इस मुलाकात की शुरुआत बड़ी ही गर्मजोशी से हुई जब रूसी राष्ट्रपति अजीत डोभाल की तरफ बढ़ते हुए आए और दोनों ने हाथ मिलाया. इसके बाद डोभाल और पुतिन वार्ता टेबल पर बैठे. दोनों अपनी बातचीत के बीच में पीएम मोदी का जिक्र करते हुए मुस्कुराते भी दिखाई दिए. पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के बढ़ते वैश्विक कद और मजबूत होती अर्थव्यवस्था की सराहना की.

पुतिन ने कहा कि हमारी विशेष रणनीतिक साझेदारी गति पकड़ रही है, मजबूत हो रही है, जिसे लेकर हम खुश हैं. हम खुश हैं कि भारत एक राष्ट्र के रूप में मजबूत हो रहा है और उसकी अर्थव्यवस्था विकसित हो रही है. यह सफलता प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में मिली है. इस साल जुलाई में प्रधानमंत्री मोदी के मॉस्को दौरे को याद करते हुए पुतिन ने कहा कि वह ऐतिहासिक यात्रा बहुत सफल रही, इसके बाद जो काम हुआ वह बहुत सार्थक ढंग से और ठीक उसी गति से आगे बढ़ रहा है.

पीएम मोदी से मुलाकात का जिक्र..

वहीं अजीत डोभाल ने अपने संबोधन में व्यक्तिगत रूप से मुलाकात का "दुर्लभ अवसर" प्रदान करने के लिए रूसी राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि जैसा कि प्रधानमंत्री ने टेलीफोन पर बातचीत के दौरान आपसे कहा, वह आपको यूक्रेन की अपनी यात्रा और जेलेंस्की के साथ अपनी बैठक के बारे में बताने के लिए तैयार हैं. वह चाहते थे कि मैं व्यक्तिगत रूप से आऊं और आपको इस बारे में बताऊं. यह बातचीत बंद प्रारूप में हुई थी. केवल दोनों नेता मौजूद थे और मैं प्रधानमंत्री के साथ था मैं इस बातचीत का साक्षी हूं.

एक तथ्य यह भी है कि फिलहाल अजीत डोभाल ब्रिक्स सदस्य देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की बैठक के लिए सेंट पीटर्सबर्ग गए हैं. समूह का वर्तमान अध्यक्ष रूस 22-24 अक्टूबर तक वार्षिक ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा. मॉस्को ने कज़ान में लगभग 36 विदेशी नेताओं को आमंत्रित किया है. पुतिन ने कहा कि सुरक्षा मुद्दे हमेशा से हमारी प्राथमिकताओं में रहे हैं और रहेंगे. सेंट पीटर्सबर्ग आने के लिए हम आपके आभारी हैं. पिछले साल, यह बैठक मास्को में हुई थी. भारतीय पक्ष की ओर से इस वार्ता का समर्थन करने के लिए हम आभारी हैं.

आखिर अब क्या होने वाला है?

इस मुलाकात के बाद कयासों का दौर जारी हो गया है. रूस यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने में कई देशों की तरफ से भारत की कोशिशों के बारे में जिक्र किया गया है. पिछले कुछ दिन में रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता को आगे बढ़ाने में भारत की संभावित भूमिका को लेकर मांग उठी है क्योंकि नई दिल्ली के दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध हैं. इतना ही नहीं इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने जेलेंस्की के साथ अपनी बातचीत के बाद कहा कि भारत और चीन इस लंबे होते संघर्ष का समाधान खोजने में भूमिका निभा सकते हैं. 

वहीं जेलेंस्की के साथ अपनी बातचीत में खुद पीएम मोदी ने कहा था कि यूक्रेन और रूस दोनों को युद्ध को समाप्त करने के लिए बिना समय बर्बाद किए एक साथ बैठना चाहिए और भारत इस क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए ‘सक्रिय भूमिका’ निभाने के लिए तैयार है. प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत संघर्ष की शुरुआत से ही शांति के पक्ष में रहा है और वह संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए व्यक्तिगत रूप से भी योगदान देना चाहेंगे. अब देखना होगा कि क्या परिणाम निकलकर सामने आता है.

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