Purvanchal Election: मिशन 400 के बीच पूर्वांचल ने बढ़ाया सिरदर्द, UP में 'चार' के फेर से कैसे निपटेगी बीजेपी
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Purvanchal Election: मिशन 400 के बीच पूर्वांचल ने बढ़ाया सिरदर्द, UP में 'चार' के फेर से कैसे निपटेगी बीजेपी

Loksabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में 'अबकी बार 400 पार' के नारे के साथ आगे बढ़ रही भाजपा को पूर्वांचल में कड़ी टक्कर मिल सकती है. पूर्वांचल की 4 सीटों पर एनडीए और भाजपा को जीत के लिए अन्य सीटों की तुलना में ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी.

Purvanchal Election: मिशन 400 के बीच पूर्वांचल ने बढ़ाया सिरदर्द, UP में 'चार' के फेर से कैसे निपटेगी बीजेपी

Loksabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में 'अबकी बार 400 पार' के नारे के साथ आगे बढ़ रही भाजपा को पूर्वांचल में कड़ी टक्कर मिल सकती है. पूर्वांचल की 4 सीटों पर एनडीए और भाजपा को जीत के लिए अन्य सीटों की तुलना में ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी. ये चार सीटें गाजीपुर, जौनपुर, मऊ और आजमगढ़ हैं. जिनमें से आजमगढ़ छोड़कर तीनों पर सपा, बसपा और निर्दलीय सांसद हैं. आजमगढ़ भी भाजपा के पाले में तब आया था जब अखिलेश यादव को इस सीट से इस्तीफा देना पड़ा था. ऐसे में मिशन 400 में पूर्वांचल की ये 4 सीटें भाजपा के लिए बेहद अहम होंगी.

पूर्वांचल में कांटे की टक्कर

चुनावी जानकारों की मानें तो पीएम मोदी का हालिया वाराणसी दौरा भी कहीं न कहीं इन 4 सीटों पर मजबूती बनाने के लिए है. पहले पूर्वांचल के सियासी समीकरण के बारे में जान लेते हैं. पूर्वांचल के 21 जिलों में 26 लोकसभा सीटें हैं. वहीं, पूर्वांचल में कुल 130 विधानसभा सीट है. पूर्वांचल की आबादी 6.37 करोड़ (2011 की जनगणना) हैं. 2014 में बीजेपी ने पूर्वांचल की 23 सीटों पर जीत हासिल की थी. भाजपा के सहयोगी दल अपना दल ने दो सीटें जीती थीं. यानी एनडीए ने 2014 में पूर्वांचल की 26 में से 25 सीटों पर जीत हासिल की थी. सपा ने सिर्फ एक ही सीट पर जीत हासिल की थी.

भाजपा को हुआ था 4 सीटों का नुकसान

लेकिन 2019 में ये तस्वीर बगल गई थी. क्योंकि 2019 में सपा और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था. सपा-बसपा के साथ आने से भाजपा को 4 सीटों का नुकसान हुआ था. और पूर्वांचल में भाजपा की सीटों की संख्या घटकर 23 से 19 हो गई थी. हालांकि भाजपा के सहयोगी दल अपना दल ने दो सीटें जीती थीं. ऐसे में 2019 में एनडीए की संख्या 21 थी. जो कि 2014 में 25 थी. बसपा ने 2019 में चार सीटों पर जीत हासिल की थी.

भाजपा ने बचा ली थी आजमगढ़ सीट

इन चार सीटों में से भाजपा ने 2022 में आजमगढ़ सीट बचा ली थी. 2022 में अखिलेश यादव ने आजमगढ़ सीट से इस्तीफा दे दिया था. उपचुनाव हुए तो सपा का गढ़ कहे जाने वाले आजमगढ़ में कमल खिला. भाजपा ने 2022 के उपचुनाव में आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव (निरहुआ) को मैदान में उतारा था. दिनेश यादव ने चुनाव जीत कर आजमगढ़ सीट भाजपा की झोली में डाली थी. भाजपा ने 2024 के चुनाव में भी निरहुआ पर भरोसा जताया. लेकिन चुनावी जानकारों की मानें तो आजमगढ़ में भाजपा को सपा से कड़ी टक्कर मिलेगी.

आजमगढ़ ही नहीं गाजीपुर में भी भाजपा को कड़ी टक्कर

आजमगढ़ में MY फैक्टर काम करता है. यहां यादव और मुस्लिम लोगों की आबादी बहुतायत है. ऐसे में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आजमगढ़ जीतने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ेंगे. वहीं, गाजीपुर की बात करें तो यह हमेशा से अंसारी परिवार का गढ़ रही है. इस बार समाजवादी पार्टा ने अफजाल अंसारी को गाजीपुर से उम्मीदवार घोषित किया है. भाजपा ने गाजीपुर से अभी तक अपना उम्मीदवार तय नहीं किया है. 2019 में अफजाल अंसारी ने मनोज सिन्हा को एक लाख से ज्यादा वोटों से हराया था. ऐसे में गाजीपुर सीट भी भाजपा के लिए बेहद अहम और कांटे की टक्कर वाली होगी.

धनंजय सिंह बिगाड़ सकते हैं खेल

जौनपुर की बात करें तो भाजपा ने यहां से मुंबई में कांग्रेस नेता रहे कृपाशंकर सिंह को मैदान में उतारा है. कृपाशंकर सिंह जौनपुर के ही रहने वाले हैं. बता दें कि बाहुबली धनंजय सिंह को उम्मीद थी कि उन्हें भाजपा से टिकट मिलेगा. लेकिन अपहरण के मामले में उन्हें जेल मिली. अब कहा जा रहा है कि धनंजय सिंह जेल के अंदर से ही भाजपा के खिलाफ ठाकुर मतदाताओं को एकजुट करेंगे. ऐसे में जौनपुर सीट पर भी भाजपा को कांटे की टक्कर मिल सकती है.

घोसी लोकसभा सीट एक बार ही जीती भाजपा

अब बात करते हैं मऊ लोकसभा सीट की. मऊ जिले की घोसी लोकसभा सीट हमेशा से भाजपा के लिए अहम रही है. इस सीट पर भाजपा को सिर्फ एक बार जीत मिली थी. वो भी जब देश में मोदी लहर थी. 2014 में यहां से भाजपा ने अपना पहला चुनाव जीता था. 2019 में सपा-बसपा ने साथ चुनाव लड़ा तो बसपा प्रत्याशा अतुल राय ने ये सीट अपने नाम की थी. इस बार के चुनाव में भाजपा ने यह सीट अपने सहयोगी दल सुभासपा को दी है. यहां सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर एनडीए की तरफ से चुनावी मैदान में हैं. भाजपा के लिए घोसी लोकसभा सीट जीतना भी अपनी साख बचाने जैसा होगा.

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