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Restaurant Service Charges: होटल उद्योग ने खानपान के बिल में सेवा शुल्क लेने से रोकने के लिए कानूनी व्यवस्था किए जाने की घोषणा को शुक्रवार को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताते हुए कहा कि इससे उपभोक्ताओं को सेवा देने वाले आम कर्मचारियों के हितों को चोट पहुंचेगी. भारतीय राष्ट्रीय रेस्तरां संघ (एनआरएआई) के अध्यक्ष कबीर सूरी ने कहा कि इस मुद्दे पर अभी कोई कानून नहीं बना है लिहाजा इस बारे में आने वाले प्रावधान का इंतजार किया जा रहा है.
खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि रेस्तरां अपने बिल में अलग से सेवा शुल्क नहीं जोड़ सकते हैं. इस पर रोक लगाने के लिए सरकार एक कानून लाने के बारे में भी सोच रही है. इस घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए सूरी ने कहा कि सेवा शुल्क रेस्तरां में आने वाले मेहमानों को सेवा देने वाले कर्मचारियों के लिए होता है. इसे रेस्तरां में काम करने वाले सभी कर्मचारियों के बीच बांट दिया जाता है. एक रेस्तरां मालिक के रूप में हम उसी राशि को खानपान वाले उत्पादों के बिल में जोड़ सकते हैं लेकिन फिर खाना परोसने वाले स्टाफ को कुछ नहीं मिलेगा.
सरकार की तरफ से जल्द ग्राहकों को इसके लिए कानूनी अधिकार भी दिए जाएंगे. सरकार की तरफ से कहा गया कि साल 2017 के कानून के अनुसार सर्विस चार्ज देना या नहीं देना ग्राहक की मर्जी थी. मर्जी नहीं होने पर ग्राहक इसे देने से मना कर सकता था. लेकिन होटल वाले इसे लगातार ले रहे हैं.
बैठक में और भी कई मुद्दों पर चर्चा की गई. बैठक में होटल एसोसिएशन के अलावा Zomato, Swiggy, Delhivery, Zepto, Ola, Uber जैसे प्रोवाइडर्स के भी प्रतिनिधि मौजूद रहे. कस्टमर हेल्पलाइन पर इस बात को लेकर लगातार मिलने वाली शिकायतों को देखकर सरकार ने यह बड़ा फैसला लिया है.
सर्विस चार्ज को लेकर भारत सरकार की तरफ से 21 अप्रैल, 2017 को जारी गाइडलाइंस में कहा गया था कि कई बार कंज्यूमर बिल में लगे सर्विस चार्ज देने के बाद भी वेटर को अलग से ये सोचकर टिप देते हैं कि बिल में लगने वाला चार्ज टैक्स का पार्ट होगा. खाने की जो कीमत लिखी होती है उसमें माना जाता है कि खाने की कीमत के साथ-साथ सर्विस जुड़ा हुआ है.
(इनपुट-भाषा)
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