Urdu Poetry in Hindi: बस यूंही तन्हा रहूंगा इस सफर में उम्र भर, जिस तरफ कोई...

Siraj Mahi
Jan 21, 2025

एक लम्हे को तुम मिले थे मगर, उम्र भर दिल को हम मसलते रहे

हम ने चाहा था तेरी चाल चलें, हाए हम अपनी चाल से भी गए

हम कि मायूस नहीं हैं, उन्हें पा ही लेंगे, लोग कहते हैं कि ढूँडे से ख़ुदा मिलता है

वो अयादत को तो आया था मगर जाते हुए, अपनी तस्वीरें भी कमरे से उठा कर ले गया

उठती तो है सौ बार पे मुझ तक नहीं आती, इस शहर में चलती है हवा सहमी हुई सी

ज़माने भर ने कहा 'अर्श' जो, ख़ुशी से सहा, पर एक लफ़्ज़ जो उस ने कहा सहा न गया

हाँ समुंदर में उतर लेकिन उभरने की भी सोच, डूबने से पहले गहराई का अंदाज़ा लगा

बस यूँही तन्हा रहूँगा इस सफ़र में उम्र भर, जिस तरफ़ कोई नहीं जाता उधर जाता हूँ मैं

देख रह जाए न तू ख़्वाहिश के गुम्बद में असीर, घर बनाता है तो सब से पहले दरवाज़ा लगा

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