Khooni Rishte: एक भाई जिस पर अपने भाई के क़त्ल का इल्ज़ाम. अपने भाई के क़त्ल के इल्ज़ाम में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहे प्रवीण महाजन ने जेल से लिखी अपनी किताब में दावा किया कि "यह सब कैसे हुआ और किसने किया, ये लोग कभी नहीं जान पाएंगे. "जबकि क़त्ल के बाद थाने पहुंच कर ख़ुद ही प्रवीण ने अपना जुर्म क़ुबूल किया था. प्रमोद महाजन के क़त्ल को 16 साल हो गए हैं. लेकिन इस सवाल का जवाब अभी भी नहीं मिल सका है कि प्रवीण महाजन ने अपने भाई प्रमोद महाजन की हत्या क्यों की? लेकिन जिस दिन क़त्ल हुआ उस दिन कुछ ऐसा हुआ जिसके बारे में सुन कर आप हैरान हो जाएंगे. क्या हुआ था. ये समझाने के लिए आपको थोड़ा पहले ले कर चलते हैं. दिन था 22 अप्रैल और साल था 2006, प्रमोद महाजन मुंबई के वर्ली इलाके में अपने घर 'पूर्णा' में थे. हाथ में कागज और सामने चाय का प्याला. टीवी पर समाचार चल रहा था. महाजन परिवार के लिए ये सुबह भी एक आम सुबह जैसी थी. उस दिन कोई ख़ास मुलाक़ात या प्रोग्राम स्केड्यूल नहीं था तो सफेद कुर्ते में महाजन रोज़ की तरह तैयार थे. तभी दरवाज़े पर घंटी बजी. सामने जींस और टी-शर्ट में उनके छोटे भाई प्रवीण महाजन थे. शायद प्रमोद महाजन को ये अंदाज़ा नहीं था कि उनके भाई आने वाले हैं. तो उन्होंने पूछा, "तुम यहाँ कैसे?" प्रवीण महाजन घर के अंदर दाख़िल हुए और सोफे पर बैठ गए और शिकायत करने लगे कि प्रमोद महाजन उन्हें वक़्त नहीं देते, और सबसे बड़ी शिकायत यह थी कि वे बिज़नेस में मदद नहीं कर रहे थे, और बात बढ़ी. बातों बातों में लड़ाई और फिर अचानक तक़रीबन 10 मिनट की लड़ाई के बाद, करीब 7 बज कर 40 मिनट हो गए थे, प्रवीण महाजन सोफ़े से उठते हैं. अपनी जेब से कुछ निकलते हैं, तभी घर में गोली की आवाज़ सुनाई देती है. दरअसल ये गोली की आवाज़ प्रवीण महाजन के अपने बड़े भाई प्रमोद महाजन पर फायरिंग करने की थी. एक के बाद एक तीन गोलियों की आवाज़. चौथी गोली चलाने की कोशिश थी, लेकिन पिस्तौल जाम हो गई. प्रमोद महाजन की बीवी रेखा महाजन ने कोर्ट में गवाही दी थी कि जिस वक़्त गोलियों की आवाज़ सुनाई दी वो बैडरूम में थीं. बाहर आ कर देखा तो प्रवीण महाजन ने प्रमोद महाजन पर पिस्तौल तानी हुई थी, उसी बिल्डिंग की 12वीं मंज़िल पर गोपीनाथ मुंडे का घर था. प्रमोद महाजन की बीवी मुंडे के घर पहुंचीं. उधर प्रवीण महाजन बिना कुछ कहे घर से बाहर निकला टैक्सी ली और थाने पहुंचा. अबतक सुबह के 8.30 बज चुके थे. प्रवीण महाजन हाथ में पिस्टल लेकर थाने पहुँचा. और अपना गुनाह क़ुबूल करते हुए मराठी में कहा, कि 'मैंने प्रमोद महाजन को गोली मार दी. प्रवीण महाजन को कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई. लेकिन एक बात जो अब तक वाज़ेह नहीं हो पाई वो ये कि प्रवीण ने अपने भाई पर गोली चलाई क्यों. प्रवीण महाजन 14 दिन की फर्लो पर जेल से बाहर आया. तो मीडिया को सवालों के जवाब देते हुए कहा कि मैंने प्रमोद को नहीं मारा. साथ ही ये भी कहा कि "कुछ चीजें समझ से परे हैं. यह सब सिर्फ 15 मिनट में हुआ. मुझे कई चीज़ें याद हैं. केवल 22 अप्रैल, 2006 ही क्यों? मुझे सब कुछ याद है."प्रवीण महाजन और प्रमोद महाजन के बीच क्या हुआ था? यह कभी सामने नहीं आया. हालांकि प्रमोद महाजन को गोली मारने से छह दिन पहले 15 अप्रैल को प्रवीण महाजन ने प्रमोद महाजन को मैसेज भेजा था- "अब याचना नहीं, रण होगा. जीवन विजय के साथ या फिर मरण होगा.'' गोपीनाथ मुंडे ने अपनी गवाही में इस मैसेज के बारे में सेशन कोर्ट में बताया था. गोपीनाथ मुंडे की 3 जून 2014 को दिल्ली में एक कार हादसे में मौत हो गई. 3 मार्च 2010 को प्रमोद महाजन के क़त्ल के लिए उम्रक़ैद की सज़ा काट रहे प्रवीण महाजन की भी मौत हो गई. प्रमोद महाजन का क़त्ल प्रवीण महाजन ने किया था या नहीं. इस बात पर तज़बज़ुब इसलिए बरक़रार है क्योंकि प्रवीण महाजन मरते दम तक ये कहता रहा कि उसने अपने भाई का क़त्ल नहीं किया है. हालांकि क़त्ल के बाद प्रवीण ख़ुद थाने में सरेंडर करने पहुंचा था. लेकिन प्रवीण ने मीडिया इंटरव्यू से लेकर अपनी किताब तक में हर जगह यही लिखा और कहा कि उन 15 मिनट में क्या हुआ था ये किसी को पता नहीं चल पाएगा..