Hajj Ek Farz: Know so many types of Hajj! जैसे नमाज़ की इब्तेदा तक्बीरे तहरीमा यानि अल्लाहू अकबर कहने से होती है इसी तरह हज और उमराह की इब्तेदा एहराम से होती है. बैतुल्लाह के साथ दो बड़ी इबादतें मुताल्लिक़ हैं. एक हज जो माहे ज़िल हिज्जा में अदा किया जाता ही और दूसरा उमराह जो हज के पांच दिनों के अलावा साल के हर महीने और हर वक़्त में हो सकता है. और इस के सिर्फ तीन काम हैं. एक ये कि मीक़ात या मीक़ात से पहले उमरे का एहराम बांधे. दूसरा मक्का मोअज़्ज़मा पहुंच कर बैतुल्लाह का तवाफ़ करें. तीसरा सफ़ा व मरवा के दरमियान सई करें और फिर सिर के बाल कटवाए, और याद रहे कि हज की तीन अक़साम हैं. पहली सफर के वक़्त सिर्फ हज की नीयत करें. इसी का एहराम बांधें. उमरे को हज के साथ जमा ना करें. इस क़िस्म के हज का नाम अफ़राद है और ऐसा हज करने वाले को मुफरिद कहते हैं. दूसरा ये कि हज के साथ उमरा को बी अव्वल ही से जमा करें. यानि दोनों की नीयत करें. और एहराम भी दोनों का एक साथ बांधें. इस का नाम क़िरन है. और ऐसा हज करने वाले को क़ारिन कहते हैं. तीसरा ये कि हज के साथ उमरा को भी इसी तरह जमा करेंग कि मीक़ात से सिर्फ़ उमरे का एहराम बांधे और इस एहराम में हज को शरीक ना करें. फिर मक्का मोअज़्जम़ा पहुंच कर उमरा से फ़ारिग़ हो कर बाल कटवाने के बाद एहराम ख़त्म कर दें. फिर आठवीं ज़िलहिज्जा को मस्जिदे हरम से हज का एहराम बांधे. इस का नाम तमत्तो है और ऐसा हज करने वालों को मुतामत्ता कहते हैं.
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