Hajj Ek Farz: Kiswa is raised during Hajj, know why? हर साल सऊदी अरब में ग़िलाफ़े काबा की तब्दीली की तक़रीब मुनाक़िद की जाती है. ये तक़रीब नमाज़े ईशा के बाद क़रीब पांच घंटे तक जारी रहती है और इसे पूरी दुनिया में लोग बराहे रास्त भी देख सकते हैं. ग़िलाफ़े काबा की तैयारी के लिए क़ायमकरदह किस्वा कारख़ाने में 200 माहेरीन और मुंतज़मीन काम करते हैं. इन तमाम लोगों का ताल्लुक़ सऊदी अरब से है और वो अपने शौबे के माहिर और आला तरबीयत याफ़्ता होते हैं. बता दें कि ग़िलाफ़ की तैयारी का काम 8 माह में मुकम्मल होता है. हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा की सुन्नत पर अमल करते हुए इस ग़िलाफ़ को हर साल हज के मौक़े पर 9 ज़िल हिज्जा को तब्दील कर दिया जाता है. काबा की तमाम दीवारों और दरवाज़े पर ये ग़िलाफ़ डाला जाता है. हज के मौक़े पर रिवायती ग़िलाफ़ को 3 मीटर ऊपर उठा दिया जाता है, और नीचे की जगह को सफ़ेद सूती कपड़े से ढक दिया जाता है. इस का मक़सद किस्वाह की सफ़ाई बरक़रार रखना और उसे फटने से बचाना है. माज़ी में ऐसे वाक़्यात पेश आते रहे हैं कि आज़मीने हज तबर्रुक के तौर पर उसका टूकड़ा काट लेते थे. और एक ज़रूरी बात. शायद आपके मन में ये सवाल आया होगा कि पुराने किस्वाह का क्या किया जाता है. दरअसल पुराने ग़िलाफ़ को उतार कर छोटे छोटे टुकड़ों में काट लिया जाता है.और उसे सऊदी अरब का दौरा करने वाले मुसलमान रहनुमाओं और ख़ास इदारों को बतौर तोहफ़ा पेश किया जाता है.
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