Myanmar News: म्यांमार में 2017 में शुरू हुए हिंसा की वजह से 740,000 से ज्यादा रोहिंग्या मुसलामनों को अपने ही घर से बेघर होना पड़ा. अब एक बार फिर से हिंसा शूरू हो गया है. रखाइन में सोमवार को देश छोड़कर बांग्लादेश भाग रहे रोहिंग्याओं पर हवाई हमले किए गए, जिसमें करीब 200 रोहिंग्या मुसलमानों की मौत हो गई,
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Drone Attack on Rohingya: म्यांमार में रोहिंग्याओं के खिलाफ एक बार फिर हिंसा शुरू हो गया है. म्यांमार में करीब सात साल से हालात बिगड़े हुए हैं. जिसकी वजह से रोहिंग्या देश छोड़ने को मजबूर हैं. साल 2017 से लगातार रोहिंग्या लगातार पड़ोसी मुल्क की जानिब पलायन कर रहे हैं. 1 फरवरी 2021 को म्यांमार की आंग सान सू सरकार के तख्तापलट के बाद से ही देश की सेना और अराकान आर्मी के बीच टकराव जारी है.
इसी बीच, म्यांमार के पश्चिमी इलाके रखाइन में सोमवार को देश छोड़कर बांग्लादेश की जानिब भाग रहे रोहिंग्याओं पर आर्टिलरी और ड्रोन हमले किए गए, जिसमें करीब 200 रोहिंग्या मुसलमानों की मौत हो गई, जिसमें प्रेगनेंट महिला समेत कई मासूम बच्चे भी शामिल है. इस हमले का आरोप अराकान आर्मी पर लगा है.
लाशों के लगे ढेर
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, हमले के बाद लाशों के ढेर लग गए. परिवार वाले अपने लोगों की तलाश में शवों के ढेर में करते हुए दिखे. वहां पर चश्मदीदों और एनजीओ से जुडे़ कार्यकर्ताओं ने सोमवार के हमले के बारे में बताते हुए कहा कि यह हमला म्यांमार और बांग्लादेश के बॉर्डर पर हुआ है.
वहीं, डॉक्टर विदाउट बॉर्डर्स ने बताया कि इस हफ्ते म्यांमार से बांग्लादेश भागकर आए कुछ रोहिंग्या नागरिकों ने बताया कि उनके कम्युनिटी के ऊपर ड्रोनों और आर्टिलरी शेल्स से हमला हुआ है. लेकिन वे यह नहीं बता सके इस हमले में कितने लोगों की मौत हुई है. इसी बीच, अराकान आर्मी ने इस हमले के आरोपों को खारिज कर दिया है.
अराकान आर्मी ने आरोपों को किया खारिज
अराकान आर्मी ने हमले के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह हमला उनके नियंत्रित वाले इलाकों में नहीं हुआ है. हालांकि, इस हमले में बचे रोहिंग्या और कई एक्टिविस्ट्स ने दावा है कि ये हमला अराकान आर्मी ने ही किया है. एक्टिविस्ट्स का दावा है रोहिंग्या मुसलमानों पर लगातार हमले करने की वजह से अराकान आर्मी पर मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोप लगते रहे हैं. इसलिए इस हमले में अराकान की संलिप्तता को हम नाकार नहीं सकते हैं.
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2017 से जारी हिंसा में करीब 8 लाख हुए बेघर
म्यांमार के बहुसंख्यक बौद्ध और रोहिंग्या मुसलमानों के बीच विवाद आजादी के बाद साल 1948 से ही चल रहा है, लेकिन यह विवाद साल 2017 में हिंसक रूप ले लिया. जिसमें वहां की सेना ने पूरा सहयोग किया. जिसके चलते 740,000 से ज्यादा रोहिंग्या मुसलामनों को अपने ही घर से बेघर होना पड़ा और देश छोड़कर भागना पड़ा.
म्यांमार छोड़कर भागे सबसे ज्यादा रोहिंग्याओं ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में शरण लिया है, जिसमें बांग्लादेश की तत्कालीन पीएम शेख हसीन ने सपोर्ट किया था. सबसे ज्यादा रोहिंग्या कॉक्स बाजार जिले में बने रिफ्यूजी कैंपों में रह रहे हैं. इस जिले में 33 से ज्यादा शरणार्थी शिविर बनाए गए हैं.
लेकिन म्यांमार में बचे रोहिंग्या मुसलमान आज भी अपने अधिकारों की कमी का सामना कर रहे हैं. ताजा हिंसा का आरोप म्यांमार की सरकार ने अराकान आर्मी पर ही लगाया है. इस वक्त म्यांमार में गृह युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं. वहां की सेना और अराकान आर्मी के बीच संघर्ष जारी है.