PAK के पूर्व सेना प्रमुख की पोती जेल से रिहा होते ही दोबारा हुई गिरफ्तार; इस बात से डरती है सरकार
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PAK के पूर्व सेना प्रमुख की पोती जेल से रिहा होते ही दोबारा हुई गिरफ्तार; इस बात से डरती है सरकार

Khadija Shah Arrest: पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख की पोती और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी की नेता, खादीजा शाह, जिन्हें पहले हिंसा के कारण गिरफ्तार किया गया था, शक्रवार को रहा होने के बाद फिर हुई गिरफ्तार.

PAK के पूर्व सेना प्रमुख की पोती जेल से रिहा होते ही दोबारा हुई गिरफ्तार; इस बात से डरती है सरकार

जनरल आसिफ नवाज जंजुआ की पोती और फैशन डिजाइनर खदीजा शाह को पंजाब प्रांत में लाहौर की कोट लखपत जेल से बाहर आते ही सार्वजनिक व्यवस्था रखरखाव (एमपीओ) अध्यादेश के तहत 30 दिनों की अवधि के लिए हिरासत में लिया गया था. कहा जा रहा है की खादीजा को 9 मई को हुई हिंसा में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, और उन्हें नौ महीने की हिरासत में रखा गया था.

क्यूँ हुए थी पिछली गिरफ़्तारी
खादीजा को 'लाहौर कॉर्प्स कमांडर हाउस' पर हमले के संबंध में हिरासत मैं लिया गया था और जेल में रखा गया था, जो पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के बेटे के स्वामित्व वाली जगह है और यहाँ तक की  पंजाब पुलिस ने यह भी बताया कि  खादीजा की रिहाई से प्रांत में कानून-व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति हो सकती है और इसीलिए उन्हें फिर से गिरफ्तार किया गया है. सूत्रों के मुताबिक  खादीजा पिछले छह महीनों से जेल में थीं, और उन्हें रवालपिंडी में सेना मुख्यालय और फैसलाबाद शहर के आईएसआई इमारत पर कथित तौर पर हमला तथा आगजनी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

हालाँकि शाह को आतंकवाद के सभी चार मामलों में जमानत मिल गई और लाहौर की आतंकवाद विरोधी अदालत ने शुक्रवार को उनकी तत्काल रिहाई का आदेश दिया था और जैसे ही वह जेल से बाहर निकलीं, पुलिस की भारी टुकड़ी ने कोट लखपत जेल के बाहर पहुंचकर उन्हें सार्वजनिक आदेश अध्यादेश के तहत फिर से गिरफ्तार कर लिया है. लाहौर के डिप्टी कमिश्नर ने उनकी हिरासत का आदेश जारी किया है और इसी बीच शाह पर नौ मई को पेशावर में हुई हिंसा से जुड़े एक अन्य आतंकवाद मामले में मामला दर्ज किया गया है.

9 मई के संदिग्धों की दोबारा गिरफ्तारी पाकिस्तान में एक नई सामान्य सी बात बन गई है क्योंकि पीटीआई अध्यक्ष चौधरी परवेज इलाही और दर्जनों अन्य नेता उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने 'ब्लैक डे' हिंसा से संबंधित कई आतंकवाद मामलों में जमानत हासिल कर ली थी, लेकिन फिर से गिरफ्तार कर लिए गए.

सूत्रों के मताबिक इससे पहले, शाह ने जेल से एक खुला पत्र लिखकर खुद सहित पार्टी की 19 महिला कैदियों के लिए "सहानुभूति और मानवता" की मांग की थी और उसमे उन्होंने कहा कि 9 मई के विरोध प्रदर्शन में  शांतिपूर्वक भाग लेने के लिए उन्हें चार महीने से अधिक समय तक जेल में रखा गया था और लाहौर की कोट लखपत जेल में प्रत्येक पीटीआई महिला कैदी को अकल्पनीय सजा भुगतनी पड़ी है.

अपने साथ रही कैद 18 "निर्दोष महिलाओं" की दुर्दशा के बारे में लिखते हुए, शाह ने कहा कि इन महिला कैदियों की दुनिया तक कोई पहुंच नहीं है और वे अपनी दुर्दशा साझा करने में असमर्थ हैं और उनके परिवार उनके बिना जीवन की मांगों को संतुलित करने के लिए सख्त संघर्ष कर रहे हैं.

 “मेरे साथ जेल में बंद महिलाओं को असहनीय परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है, और वे इंतजार कर रही हैं कि दुनिया इस पर ध्यान दे और उनके लिए बोले।कैद में रखी ये 18 महिलाएं सिर्फ 18 महिलाएं नहीं हैं. वे 18 घर, 18 परिवार और अनगिनत जिंदगियां हैं जो पूरी तरह से बिखर गई हैं और रुकी हुई हैं. इसके अलावा उस पत्र में यह भी लिखा था की, ''मैं उस त्रासदी को साझा करना चाहता हूं जो हर गुजरते दिन के साथ सामने आ रही है ताकि सहानुभूति और मानवता को जगाया जा सके जो हम सभी में मौजूद होनी चाहिए''.और उन्होंने कहा कि 9 मई के कैदियों के अलगाव, दर्द और पीड़ा की कहानियां अंतहीन थीं.

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