भाजपा ने राहुल गांधी को आज की राजनीति का ’मीर जाफर’ करार दिया है, जिसके जवाब में कांग्रेस ने भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा को जयचंद कहते हुए पुलिस में मुकदमा लिखाने की धमकी दी है. आईए जानते हैं कि भारतीय इतिहास में मीर जाफर और जयंचद आखिर क्यों है इतना बदनाम?
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नई दिल्लीः कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लंदन में भारतीय लोकतंत्र को लेकर दिए बयान के बाद भाजपा उनसे जहां एक तरफ मांफी मांगवाने पर अड़ गई है, वहीं राहुल का देश में बहिष्कार करने और उन्हें देशद्रोही तक करार दे चुकी है. राहुल गांधी पर रोज नए-नए हमले हो रहे हैं. मंगलवार को भाजपा नेता संबित पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी मौजूदा भारतीय राजनीति के ’मीर जाफर’ हैं. वह भारत में ‘नवाब’ बनने के लिए विदेशी ताकतों से मदद मांगने के लिए विदेश गए थे. उन्होंने कहा, “शहजादा नवाब बनना चाहता है... आज के मीर जाफर को माफी मांगनी ही पड़ेगी.“
उधर, कांग्रेस भाजपा नेता के इस मीर जाफर वाले बयान से इतनी नाराज हो गई है कि उसने पुलिस में पात्रा के खिलाफ मुकदमा लिखाने की बात कही है. अखिर राहुल को मीर जाफर का नाम देने पर क्यों खाफा हो गई है कांग्रेस ? क्या मीर जाफर इतना बुरा था कि किसी को मीर जाफर बोल देने भर से इतनी दिक्कत हो गई ?
कांगेस ने संबित पात्रा को बताया जयचंद
राहुल गांधी को मीर जाफर कहने को लेकर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि पात्रा को चिंता है कि राहुल गांधी फिर से पीएम मोदी से अदानी के साथ उनके रिश्तों के बारे में पूछ सकते हैं. यही वजह है कि वे इतना नाटक कर रहे हैं. उन्होंने पात्रा पर निशाना साधते हुए कहा कि लोकतंत्र के जयचंद मत बनिए. इतिहास में आपको जयचंद कहा जाएगा, अगर आप देश की बजाय दोस्त की चिंता करेंगे. पवन खेड़ा ने कहा कि 9 बार नाक रगड़ कर अंग्रजों से माफी मांगने वाले और वायसराय से पेंशन लेने वाले कांग्रेस को देशभक्ति का ज्ञान देते हैं तो हंसी आती है. आप लोकतंत्र के किरायेदार हैं, मकान मालिक नहीं. असल मालिका जनता है.
लंदन में राहुल ने ऐसा क्या कहा था ?
हाल ही में लंदन में एक प्रोग्राम में राहुल गांधी ने इल्जाम लगाया था कि भारतीय लोकतंत्र के ढांचे पर मोदी सरकार हमला कर रही है. उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा था कि अमेरिका और यूरोप समेत दुनिया के लोकतांत्रिक देश इस पर ध्यान देने में नाकाम रहे हैं.
मीर जाफर नाम क्यों माना जाता है इतना बुरा ?
1756 में बंगाल के आखिरी नवाब सिराज उद-दौला के यहां मीर जाफर सेना का कमांडर था. उसने अंग्रेजों से मिलकर प्लसी की युद्ध में नवाब की सेना को सरेंडर करा दिया था और अंग्रेज से मिलकर सिराज उद-दौला को सत्ता से अपदस्थ का खुद बंगाल का नवाब बन गया था. बाद में उसने सिराज उद-दौला को फांसी दे दी थी. इसलिए इतिहास में जब कभी गद्दारी की बात आती है, तो मीर जाफर का नाम लिया जाता है.
जयचंद ने पृथ्वीराज चौहान से की थी गद्दारी
भारतीय इतिहास में गद्दारी की जब कभी बात होती है तो मीर जाफर की तरह ही जयचंद का भी जिक्र होता है. जयचंन का नाम पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी से जुड़ा हुआ है. जयचंद पर इल्जाम है कि उसनें मोहम्मद गौरी को पृथ्वीराज पर हमला करने के लिए बुलाया था और उसे सैनिक सहायता दी थी. जयचन्द कन्नौज के राजा थे और पृथ्वीराज चौहान से उनकी पुरनी दुश्मनी थी, लेकिन वह उनसे जीत नहीं सकते थे. इसलिए उन्होंने मोहम्मद गौरी से मिलकर पृथ्वीराज चौहान को धोखा दिया था.
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