Constitution Day 2023: संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट परिसर में आयोजित कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ने कहीं बड़ी बात
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Constitution Day 2023: संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट परिसर में आयोजित कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ने कहीं बड़ी बात

Constitution Day 2023: हर साल 26 नवंबर 2023 को देशभर में संविधान दिवस मनाया जाता है. इस खास मौके पर सुप्रीम कोर्ट परिसर में एक खास कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान एक पोर्टल लॉन्च किया गया. 

 

Constitution Day 2023: संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट परिसर में आयोजित कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ने कहीं बड़ी बात

Constitution Day 2023: संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट परिसर में आयोजित कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ने कहा 'मैं संविधान दिवस के मौके पर भारत के नागरिकों से ये कहना चाहता हूं कि सर्वोच्च न्यायलय के दरवाजे आपके लिए हमेशा खुले रहे हैं और आगे भी खुले रहेंगे. आपको कभी भी कोर्ट आने से डरने की जरूरत नहीं है. न्यायपालिका के प्रति आपकी आस्था हमें प्रेरित करती है. आपका विश्वास हमारा श्रद्धा स्थान है'. इस मौके पर चीफ जस्टिस ने दो नए पोर्टल लॉन्च करने की घोषणा भी की. 

आज संविधान दिवस के मौके पर e-SCR portal का हिंदी वर्जन लॉन्च किया गया. चीफ जस्टिस ने जानकारी देते हुए बताया कि 21 हजार 388 जजमेंट का हिंदी में अनुवाद कर उन्हें चेक कर इस पोर्टल पर अपलोड किया है. बाकी जजमेंट के हिंदी अनुवाद को भी जल्द अपलोड कर दिया जाएगा. करीब 9276 फैसलों का पंजाबी, तमिल, गुजराती, मराठी, तेलुगू, ओड़िया, मलयालम, बंगाली, कन्नड़, उर्दू, नेपाली असमिया जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद कर e-SCR पोर्टल पर अपलोड किया गया है.

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उन्होंने बताया कि जल्द ही FASTER 2.0 नाम के एक नए पोर्टल को भी लॉन्च किया गया है, जिसके जरिए किसी भी कैदी की रिहाई का आदेश तुरंत जेल अधिकारियों, ट्रायल कोर्ट, हाई कोर्ट तक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से पहुंचेगा ताकि उस पर जल्द से जल्द अमल हो सके और उस व्यक्ति की समय पर रिहाई सुनिश्चित की जा सके.

CJI ने कहा कि पिछले 7 दशकों में सुप्रीम कोर्ट ने खुद को देश की आम जनता की अदालत के रूप में स्थापित किया है. लोग इस उम्मीद में कोर्ट आते हैं कि उन्हें इंसाफ मिलेगा. लोग अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए, गैर कानूनी तरीके से हुई गिरफ्तारी से बचने, बंधुआ मजदूर, आदिवासियों के अधिकारों का हनन रोकने के लिए, कार्यस्थलों पर यौन शोषण को रोकने के लिए, साफ पानी, साफ हवा का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट आते हैं.

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चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारा सुप्रीम कोर्ट शायद दुनिया का इकलौता ऐसा कोर्ट है, जहां एक व्यक्ति सिर्फ चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर भी इंसाफ की उम्मीद लगा सकता है. महज एक पोस्ट कार्ड या एक मेल ही काफी होता है कि सुप्रीम कोर्ट उस मामले पर संज्ञान ले. उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा भी हुआ है जब SC ने उसे अर्जेंट मानते हुए केस को उसी दिन सुनवाई के लिए लिस्ट भी कर दिया है.

CJI ने कहा कि लोगों को इंसाफ दिलाना सुनिश्चित करने के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट की हमेशा ही कोशिश रही है कि उसका प्रशासनिक ढांचा केंद्र में रखकर काम करे. उन्होंने कहा कि आजकल कोर्ट की सुनवाई का सीधा प्रसारण तक हो रहा है. ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि देश के लोग इस बात को समझ सकें कि आखिर अदालतों में काम किस तरीके से होता है. फैसलों का स्थानीय भाषा में अनुवाद हो रहा है.

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इसके साथ ही कहा कि SC के अब तक अंग्रेजी भाषा के दिए गए 36 हजार से ज्यादा जजमेंट E- SCR पोर्टल पर बिल्कुल फ्री उपलब्ध कराए गए हैं. ये न केवल वकीलों के लिए बल्कि लॉ स्टूडेंट्स के लिए भी उपयोगी साबित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि संविधान सभा के आखिरी संबोधन में डॉक्टर अंबेडकर ने ये सवाल किया था कि भारत के सवैंधानिक लोकतंत्र का क्या भविष्य होगा, क्या भारत अपने संविधान को बचा पाएगा या फिर एक बार फिर से खो देगा, लेकिन हम न केवल अपने संविधान को बचा पाए हैं, बल्कि देश के आम नागरिकों ने संविधान को आत्मसात किया है.

CJI ने कहा कि पिछली बार संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने जेल में कैदियों की भारी तादाद पर चिंता जाहिर की थी. हम कानूनी प्रक्रिया को इस तरीके से आसान बना रहे हैं ताकि लोग बिना वजह जेल में रहने के लिए मजबूर ना हों. ऐसी व्यवस्था कर रहे हैं ताकि किसी भी कैदी की रिहाई का आदेश तुरंत संबंधित ऑथोरिटी तक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से पहुंच सके ताकि वो व्यक्ति समय पर रिहा हो सके.

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