Radha Kund Snan 2024: निसंतान लोगों के लिए खास दिन, जानें क्या है राधा कुंड की मान्यता और कैसे करें स्नान?
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Radha Kund Snan 2024: निसंतान लोगों के लिए खास दिन, जानें क्या है राधा कुंड की मान्यता और कैसे करें स्नान?

Radha Kund Snan 2024: अहोई अष्टमी पर, निःसंतान दंपत्ति देवी राधा रानी से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद लेने के लिए पवित्र स्नान के लिए राधा कुंड में आते हैं. इस वर्ष राधा कुंड स्नान 24 अक्टूबर 2024 को होगा. 

 

Radha Kund Snan 2024: निसंतान लोगों के लिए खास दिन, जानें क्या है राधा कुंड की मान्यता और कैसे करें स्नान?

Radha Kund Snan 2024: राधा कुंड स्नान का हिंदुओं में बहुत बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है. इस दिन को यमुना विहार में पवित्र स्नान करने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है. यह त्यौहार मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में मनाया जाता है. राधा कुंड में पवित्र स्नान करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त मथुरा आते हैं जो सबसे अधिक पूजनीय दिन होता है.

उत्तर भारत के पूर्णिमांत कैलेंडर के अनुसार, यह शुभ स्नान दिवस कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष अष्टमी के साथ मेल खाता है. भक्तों का मानना है कि राधा कुंड के पवित्र जल में डुबकी लगाने से उन्हें संतान और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. यह प्राचीन अनुष्ठान देवी राधा रानी की कृपा दृष्टि के तहत माता-पिता बनने की चाहत में दिव्य हस्तक्षेप चाहने वालों की अटूट आस्था का प्रतीक है. इस वर्ष, राधा कुंड स्नान 24 अक्टूबर 2024 को होगा.

राधा कुंड स्नान 2024: तिथि और समय
राधा कुंड स्नान 2024 तिथि: 24 अक्टूबर 2024
अष्टमी तिथि आरंभः 01:18 पूर्वाह्न, 24 अक्टूबर 2024
अष्टमी तिथि समाप्तः 01:58 AM, 25 अक्टूबर 2024

राधा कुंड स्नान 2024: स्नान शुभ मुहूर्त
राधा कुंड अर्ध रात्रि (मध्यरात्रि) स्नान मुहूर्त रात 11:38 बजे से 12:29 बजे तक है.

राधा कुंड स्नान 2024: महत्व
अहोई अष्टमी पर राधा कुंड में पवित्र स्नान करना आस्था और आशा की एक शक्तिशाली अभिव्यक्ति है. कई लोगों का मानना है कि यह पवित्र स्नान दंपत्तियों को गर्भधारण करने में मदद करता है, जिसके कारण हर साल हज़ारों लोग गोवर्धन आते हैं. दंपत्ति आमतौर पर आधी रात (निशिता समय) को एक साथ कुंड में डुबकी लगाते हैं और रात भर ऐसा करते रहते हैं.

इस मार्मिक अनुष्ठान के दौरान, जोड़े पानी में खड़े होते हैं, दिल से पूजा करते हैं, और लाल कपड़े में लिपटे सजे हुए कुष्मांडा (सफेद कच्चा कट्टू या पेठा) चढ़ाते हैं, और देवी राधा रानी से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मांगते हैं. उल्लेखनीय रूप से, जिन जोड़ों की इच्छाएं पूरी हो जाती हैं, वे आभार व्यक्त करने के लिए राधा कुंड में लौटते हैं, जिससे ईश्वर के साथ उनका संबंध और गहरा होता है. यह प्रिय परंपरा भक्ति, आशा और आभार का प्रतीक है, जो राधा कुंड को प्रजनन और पारिवारिक आशीर्वाद चाहने वालों के लिए एक पवित्र आश्रय स्थल बनाती है.
(Disclaimer: लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है. ZeePHH इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है.)

 

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