Shimla: सोशल मीडिया की लत से छुटकारा पाने के लिए बच्चों से लेकर बुजुर्ग अब पहुंच रहे अस्पताल
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Shimla: सोशल मीडिया की लत से छुटकारा पाने के लिए बच्चों से लेकर बुजुर्ग अब पहुंच रहे अस्पताल

Social Media Addiction: सोशल मीडिया और इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल को अब मेडिकल क्षेत्र में भी गंभीरता से लिया जा रहा है. इंटरनेट एडिक्शन और बिहेवियरल एडिक्शन, जैसे गैंबलिंग या ऑनलाइन सट्टा, अब गंभीर बीमारी बन चुके हैं. 

 

Shimla: सोशल मीडिया की लत से छुटकारा पाने के लिए बच्चों से लेकर बुजुर्ग अब पहुंच रहे अस्पताल

Himachal Pradesh/समीक्षा कुमारी: हर उम्र के लोग, चाहे बच्चे हों या बुजुर्ग, आज सोशल मीडिया और शॉर्ट वीडियो के जाल में फंसते जा रहे हैं. ये आदतें अब केवल मनोरंजन का साधन नहीं रहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक परेशानियों का कारण बन रही हैं. लोग इतनी गंभीर स्थिति में पहुंच चुके हैं कि उन्हें इस लत से छुटकारा पाने के लिए अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है. आईजीएमसी शिमला के मनोचिकित्सा विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर दिवेश शर्मा ने बताया कि सोशल मीडिया और शॉर्ट वीडियो का एल्गोरिद्म ऐसा डिज़ाइन किया गया है कि एक बार जब कोई इसे इस्तेमाल करना शुरू करता है, तो बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है.

डॉ दिवेश ने बताया कि लोग अस्पताल तक इसलिए पहुंच रहे हैं क्योंकि सोशल मीडिया और इंटरनेट के प्रभाव ने उनकी दिनचर्या को प्रभावित कर दिया है. अब यह सामान्य व्यवहार नहीं है. हमने इसे एक बीमारी की तरह देखना शुरू कर दिया है. बच्चों पर बात करें तो ऑनलाइन क्लासरूम के दौरान वे पढ़ाई के बजाय सोशल मीडिया पर समय बिताते हैं या दोस्तों के साथ चैटिंग करते हैं. जब पेरेंट्स स्क्रीन टाइम कम करने की कोशिश करते हैं, तो बच्चों में चिड़चिड़ापन, तनाव और फ्रस्ट्रेशन जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं. 

बच्चों को रोकने पर वो यहां तक कह देते हैं कि अगर पेरेंट्स खाली समय में फोन पर बिजी रहते हैं, तो उन्हें क्यों मना किया जाता है? परिवारों में यह आदत इतनी बढ़ गई है कि घर के सदस्य आपस में समय बिताने के बजाय फोन पर व्यस्त रहते हैं. यहां तक कि बुजुर्ग भी अब सोशल मीडिया के कंटेंट में डूबे रहते हैं.

सोशल मीडिया और इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल को अब मेडिकल क्षेत्र में भी गंभीरता से लिया जा रहा है. मनोचिकित्सा की किताबों में अब "इंटरनेट एडिक्शन" और "बिहेवियरल एडिक्शन" जैसे अध्याय शामिल हो चुके हैं. इंटरनेट एडिक्शन और बिहेवियरल एडिक्शन, जैसे गैंबलिंग या ऑनलाइन सट्टा, अब गंभीर बीमारी के रूप में देखे जा रहे हैं. इनकी वजह से प्रोफेशनल्स तक कर्ज में डूब चुके हैं. 

ये सामान्य आदत नहीं है, क्योंकि सामान्य स्थिति में अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ती. आम तौर पर सट्टेबाजी या ऑनलाइन गेम्स में चेतावनी दी जाती है, लेकिन लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं. नतीजा यह होता है कि कई लोग अपने पैसे और मानसिक शांति दोनों गंवा बैठते हैं. आने वाले समय में IGMC शिमला का मनोचिकित्सा विभाग इन मुद्दों पर और गहन अध्ययन करेगा. लेकिन यह साफ है कि सोशल मीडिया और इंटरनेट का यह बहुत ज़्यादा प्रयोग समाज के लिए गंभीर खतरा बन चुका है. यह वक्त है कि हम इस लत को पहचानें और इससे बचने के लिए ठोस कदम उठाएं.

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