Renuka Wetland: इन दिनों रेणुकाजी वेटलैंड में विदेशी परिंदे लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. दूर-दूर से लोग इन्हें देखने के लिए यहां पहुंच रहे हैं. वन्य प्राणी विभाग की आरओ दिव्या शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया...
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नीतेश सैनी/नाहन: रेणुकाजी वेटलैंड में विदेशी परिंदे इन दिनों आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. रेणुका जी झील के अंतिम छोर पर डेरा डाले प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. हर साल की तरह इस साल भी रेणुका जी वेटलैंड में सैकड़ों प्रवासी पक्षी पहुंचे हुए हैं जो पिछले करीब डेढ़ माह से यहां डेरा डाले हुए हैं. इस बार रेणुका जी में सैंकड़ों विदेशी पक्षी पहुंचे हुए हैं, जिनमें अलग-अलग प्रजातियां शामिल हैं.
वन्य प्राणी विभाग की आरओ दिव्या शर्मा ने बताया कि नवंबर माह में यहां साइबेरियन से प्रवासी आने शुरू हो जाते हैं, क्योंकि वहां ठंड बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि इस सीजन के दौरान यहां 300 से 400 प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं, जिनकी यहां वन्य प्राणी विभाग द्वारा गणना की जाती है. पक्षियों की सुरक्षा के मद्देनजर यहां वन्य प्राणी विभाग अलर्ट रहता है ताकि इन्हें कोई नुकसान ना पहुंचाएं.
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वन्य प्राणी विभाग द्वारा इस बात का भी रिकॉर्ड रखा जाता है कि किस वर्ष यहां कौन-कौन सी प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां पहुंच रही हैं. उन्होंने कहा कि पक्षियों की कोई प्रजाति दोबारा यहां नहीं पहुंचती है तो उसका क्या कारण है इसका भी कारण तलाशा जाता है. इसके साथ ही कहा कि मोरहेन यह स्थानीय पक्षियों की प्रजाति है, लेकिन अब प्रवासी पक्षी मलाड ने अभी रेणुका झील को अपना स्थाई आशियाना बना लिया है. मलाड प्रजाति के पक्षी यहीं प्रजनन कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इस सीजन में यहां मलाड पक्षियों की संख्या बढ़ जाती है, क्योंकि कुछ पक्षी यहां पहले ही डेरा डाले रहते हैं. कुछ पक्षी यहां साइबेरियन देश से आते हैं. मैदानी इलाकों में मौसम बदलने के कारण यह विदेशी परिंदे हजारों किलोमीटर का सफर तय करके यहां पहुंचते हैं जो निश्चित तौर पर लोगों के लिए बड़ा आकर्षण रहते हैं.
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