Family pension: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में फैमिली पेंशन को लेकर एक याचिका दायर की गई, जिसमें पहली पारिवारिक पेंशन पर पहली और दूसरी पत्नी के हक की बात की गई. इस याचिका पर अब हिमाचल प्रदेश की अदालत ने फैसला सुनाते हुआ साफ कर दिया है कि इस पेंशन पर दूसरी पत्नी की अधिकार होगा या नहीं.
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नई दिल्ली: फैमिली पेंशन (Family pension) मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक खास व्यवस्था दी है. पारिवारिक पेंशन में न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ (Jyotsna Rewal Dua) ने अपना फैसले में साफ करते हुए कहा है कि फैमिली पेंशन की हकदार केवल पहली पत्नी ही होगी. दूसरी पत्नी का इस पेंशन पर कोई हक नहीं होगा. दरअसल, बिलासपुर निवासी दुर्गी देवी (Durga Devi) की ओर से कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. अदालत ने इसे खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया है.
क्या है पूरा मामला?
बता दें, दिवंगत भोला राम साल 1983 में पुलिस विभाग से रिटायर्ड हुए थे, जिनकी साल साल 2002 में मृत्यु हो गई थी. भोला राम ने दो शादी की थीं. ऐसे में उसने फैमिली पेंशन के लिए अपनी दूसरी पत्नी का नाम दिया था, लेकिन पहली पत्नी ने दायर याचिका में दावा किया कि पारिवारिक पेंशन में उसका नाम है.
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कौन है फैमिली पेंशन की हकदार?
जब इस मामले की जांच की गई तो विभाग ने पाया कि रामुक देवी कानूनी तौर पर भोला राम की पहली पत्नी थी. ऐसे में फैमिली पेंशन का भुगतान भी उसी को किया गया. बता दें, 1 अगस्त 2015 को रामुक देवी की भी मृत्यु हो गई थी. कोर्ट में दी गई याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा है कि भोला राम की पहली पत्नी की मृत्यु के बाद फैमिली पेंशन का कोई अन्य दावेदार नहीं है.
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दूसरी क्यों नहीं है हकदार?
इस मामले से जुड़े रिकॉर्ड के आधार पर अदालत ने कहा है कि मृतक भोला राम ने उस वक्त दूसरी शादी की थी जब उसकी पहली शादी चल रही थी यानी उसने एक पत्नी की मौजूदगी में ही दूसरी शादी की थी. ऐसे में अब दूसरी पत्नी को पारिवारिक पेंशन का हकदार नहीं बनाया जा सकता. हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 11 के अनुसार पहली शादी के दौरान दूसरी शादी करने पर उसे गैरकानूनी माना जाता है, लेकिन दूसरी शादी के बच्चों को वैध माना जाता है. ऐसे में उन्हें मृतक सरकारी अधिकारी की दूसरी पत्नी के बच्चों को सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 के नियम 54 (7) के तहत उन्हें लाभ दिया जाएगा.
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