Nobel Prize: जिस एक्टिविस्ट को ईरान ने जेल में किया बंद, उसे मिला शांति का नोबेल

नरगिस को अंतिम बार जहां से गिरफ्तार किया गया वह कार्यक्रम उन लोगों की याद में आयोजित किया गया था जो लोग 16 नवंबर 2019 में तेहरान में सरकार के खिलाफ हुए प्रोटेस्ट में सरकारी गोली का निशाना बने थे. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 6, 2023, 06:13 PM IST
  • नोबेल कमेटी ने शांति पुरस्कार दिया.
  • जेल में बंद हैं एक्टिविस्ट नरगिस.
Nobel Prize: जिस एक्टिविस्ट को ईरान ने जेल में किया बंद, उसे मिला शांति का नोबेल

नई दिल्ली. सरकार की महिलाओं के लिए दमनकारी नीतियों के खिलाफ लड़ने वाली ईरान की एक्टिविस्ट नरगिस मोहम्मदी ने इस बार का नोबल पीस प्राइज जीता है.हालांकि इस खुशी को साझा करने के लिए नरगिस बाहर नहीं हैं.दरअसल उन्हें 2021 में ईरान सरकार ने स्टेट के खिलाफ प्रोपेगेंडा करने का आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया था.वे अभी तेहरान की इविन जेल में बंद हैं. 

नार्वे की नोबल प्राइज कमेटी की चेयरमैन रिसएंडरसन ने बताया कि नरगिस को यह अवार्ड महिलाओं पर लगातार थोपी जा रही दमनकारी नीतियों को बनाने वाली सरकार के खिलाफ मजबूती से खड़ा होने और लड़ने के लिए दिया गया है. 51 वर्षीय नरगिस मोहम्मदी डिफेंडर ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर की वाइस प्रेसीडेंट हैं. वे एक्टिविस्ट होने के साथ साइंटिस्ट भी हैं. इस संस्था को नोबल पीस प्राइज विजेता सिरिन इबादी ने स्थापित किया था.

तेहरान जेल में बंदी हैं मोहम्मदी
ईरान सरकार ने नरगिस पर स्टेट के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने का आरोप लगाया है. मोहम्मदी को 2021 में तेहरान में ही गिरफ्तार किया गया। वे तेहरान की इविन जेल में हैं. 

अब तक 5 बार हो चुकी हैं गिरफ्तार, पहली बार 25 साल की उम्र में मिली थी सजा
मोहम्मदी सबसे पहली बार 1998 में गिरफ्तार हुई थीं. तब उन्हें सरकार की निंदा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि तब 1 साल में ही उन्हें छोड़ भी दिया गया था. उन्हें 2010 में डिफेंडर ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर की सदस्य होने पर इस्लामिक रिवोल्यूशनरी कोर्ट ने तलब किया. गिरफ्तार हुईं पर जल्दी ही छोड़ दी गईं. जुलाई 2011 में मोहम्मदी को दोबारा राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ काम करने, डिफेंडर ऑफ ह्यूमन राइट्स में काम करने और सरकार के खिलाफ प्रोपेगेंडा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. उन्हें 11 साल की सजा मिली. हालांकि बाद में उसे घटाकर 6 साल का कर दिया गया. मोहम्मदी के पक्ष में इंटरनेशनल समुदाय के आने के बाद सरकार को 2012 में उन्हें छोड़ना पड़ा. 

5 मई 2015 में सेम चार्जेस पर फिर उन्हें जेल हुई. इस बार 10 साल की जेल हुई. 2019 में मोहम्मदी ने जेल में ही हंगर स्ट्राइक की. कोविड के दौरान उनकी हालत गंभीर हो गई थी. लिहाजा अक्टूबर 2020 में उन्हें फिर रिहा कर दिया गया. उन्हें तेहरान में एक प्रोटेस्ट में मारे गए लोगों की याद में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने के दौरान 16 नवंबर 2021 को  फिर गिरफ्तार कर लिया गया. 12 साल की सजा इस बार उन्हें मिली. अब तक वे जेल में ही हैं. 

प्रोटेस्ट में 304 लोग बने थे पुलिस की गोली का शिकार
नरगिस को अंतिम बार जहां से गिरफ्तार किया गया वह कार्यक्रम उन लोगों की याद में आयोजित किया गया था जो लोग 16 नवंबर 2019 में तेहरान में सरकार के खिलाफ हुए प्रोटेस्ट में सरकारी गोली का निशाना बने थे. दरअसल यह प्रोटेस्ट गैसोलिन के दाम बढ़ने के खिलाफ आयोजित किया था. एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रोटेस्ट में 304 लोगों की जान गई. सरकार ने इस प्रोटेस्ट को हिंसक तरीके से बेहद क्रूरता के साथ दबाया था. 

नोबल प्राइज की शुरुआत अब से 122 साल पहले हुई थी. मोहम्मदी 19वीं महिला हैं जिन्हें यह प्राइज मिला.यह सम्मान पाने वाली पहली फिलिपिंस की महिला मारिया रेसा थीं. उन्हें 2021 में यह अवार्ड मिला था.

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