नई दिल्ली: पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हजारा शिया समुदाय के बेगुनाह खनन मजदूरों की जिस तरह से हत्या की गई है उससे पूरी मानवता दहल उठी है. पाकिस्तान के बलूचिस्तान में इंसानियत का कत्ल कर दिया गया. नस्ल पूछकर 11 खनिकों को गोलियों से भून दिया गया, जिसमें 5 खनिकों की ठौर ही मौत हो गई जबकि 6 ने अस्पताल के रास्ते में दम तोड़ दिया. सवाल ये है कि खदान में मेहनत मजदूरी कर पेट पालने वालों से भला किसी को क्या दुश्मनी हो सकती है.
दरअसल, पाकिस्तान (Pakistan) में सुन्नी मुसलमानों की चरमपंथी जहालत अक्सर इस तरह की घटनाओं का सबब बनती है. पाकिस्तान का वजूद मुसलमानों के नाम पर है लेकिन दिक्कत ये है कि सुन्नियों को छोड़कर वहां कोई मजफूज नहीं है. शियाओं पर हमले वहां आम बात है. इसके अलावा धार्मिक अल्पसंख्यकों जैसे हिन्दू, सिख, क्रिश्चियन्स की भी जिंदगी वहां हमेशा खतरे में रहती है. पाकिस्तानी हुकूमत और वहां की खुफिया एजेंसी ऐसे चरमपंथियों को हमेशा शह देती है जिसकी वजह से हत्यारों के हौसले बुलंद रहते हैं. पाकिस्तानी हुकूमत अपने इस गुनाह पर पर्दा डालने के लिए अक्सर ठीकरा भारत के सिर फोड़ देती है.
पाकिस्तान ने भारत के सिर फोड़ा ठीकरा
शर्म को घोलकर पी जाने का हुनर अगर सीखना हो तो पाकिस्तान चले जाइये. बेगुनाहों के कत्ल पर बेफिक्री और बेपरवाही की बेशर्म नुमाइश देखनी हो तो पाकिस्तान चले जाइये. बलूचिस्तान (Balochistan) के माछ में नस्ल पूछकर 11 खदान मजदूरों की बेरहमी से हत्या कर दी गई और इस कत्लोगारत के बाद बेशर्मी की नुमाइश भी शुरू हो चुकी है. इस नृशंस हत्याकांड पर पर्दा डालने के लिए पाकिस्तान की मानवाधिकार मामलों की मंत्री शिरीन मजारी ने हिन्दुस्तान का एंगल ढूंढ़ना शुरू कर दिया है.
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शिरीन मजारी ने Tweet करके लिखा है कि "जैसे-जैसे बलूचिस्तान में विकास हो रहा है, वैसे-वैसे भारत द्वारा पाले गए आतंकी और ज्यादा बदहवास हो रहे हैं."
Terrorists now target poor coal miners in Machh Balochistan - murdering 11 & seriously wounding 4. Indian funded terrorists in Balochistan getting more desperate as development comes to province. Socio econ empowerment & Insaf for the Baloch are how we will defeat the terrorists.
— Shireen Mazari (@ShireenMazari1) January 3, 2021
बेबुनियाद आरोपबाजी के लिए कुख्यात रही हैं मजारी
पाकिस्तान की मानवाधिकार मामलों की मंत्री शिरीन मजारी इस तरह के बेबुनियाद और तथ्यहीन बयान देने और विरोध होने पर माफी मांग लेने के लिए दुनिया भर में कुख्यात रही हैं. कुछ समय पहले उन्होंने एक ट्वीट कर फ्रांस के राष्ट्रपति इम्मैनुएल मैक्रां पर बेबुनियाद आरोप लगाए थे और फ्रांस ने जब कनैठी दी मजारी ने माफी मांग ली. मजारी ने ट्वीट कर मैक्रां सरकार पर आरोप लगाया था कि "राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां सरकार मुस्लिमों पर उसी तरह के अत्याचार कर रही है जैसे नाजी शासनकाल में यहूदियों पर होते थे."
शिरीन मजारी (Shireen Mazari) के इस तथ्यहीन आरोप के बाद फ्रांस सरकार (France Government) ने अपनी भृकुटी टेढ़ी कर ली थी. मैक्रां सरकार ने शिरीन मजारी को खुली चुनौती दी, या तो आरोप साबित करो या माफी मांगो. बेबुनियाद आरोप को साबित कैसे किया जाता लिहाजा मजारी ने बिना शर्त माफी मांग ली. अपना ट्वीट डिलीट करते हुए उन्होंने लिखा- "मैं अपनी गलती सुधारते हुए ट्वीट डिलीट कर रही हूं और इस गलती के लिए माफी मांगती हूं."
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ऐसी ही फितरत रही है मजारी की और अब उन्होंने भारत पर शिया हजारा मजदूरों के कत्लेआम का आरोप लगाया है. जाहिर है कि भारत (India) भी फ्रांस की तरह कनैठी देगा तो वो माफी मांग लेंगी. बेहतर होता वे भारत पर आरोप लगाने की बजाए अपने मुल्क के बेबस शिया नेताओं की फरियाद सुनती और उनके साथ इंसाफ करतीं. पाकिस्तान के शिया नेता अल्लामा मुबाशिर हसन ने कहा है कि- "हम ये समझते हैं कि ये पाकिस्तानी हुकूमत की जिम्मेदारी है कि वो पाकिस्तानी अवाम के जानमाल की सुरक्षा करे और इन कातिलों और इन दहशतगर्दों पर नकेल कसे. इन्हें सजाएं दे और इन्हें इनके अंजाम तक पहुंचाए."
नस्ली कट्टरपंथ के शिकार हैं 'हजारा'
दरअसल, बलूचिस्तान में हजारा शिया समुदाय के मुस्लिमों का नरसंहार कोई नई बात नहीं है. साल 2013 में सुन्नी चरमपंथियों ने हजारा मुसलमानों का भयंकर नरसंहार किया था. हुकूमत की शह पर करीब एक महीने तक कत्लो गारत चलती रही और पुलिस प्रशासन से लेकर सरकार तक तमाशबीन बनकर बेगुनाहों का कत्लेआम देखते रहे. 2013 में एक महीने चले कत्लेआम में कितने बेगुनाह मारे गए इसका कोई अधिकृत डेटा पाकिस्तान सरकार ने जारी नहीं किया हालांकि मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने माना था कि मरने वालों की तादाद हजारों में रही होगी. दरअसल पाकिस्तान के चरमपंथी सुन्नी हजारा शिया समुदाय के मुसलमानों को असली मुसलमान नहीं मानते.
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हजारा शिया समुदाय के लोग ज्यादातर बलूचिस्तान की राजधानी केट्टा में बसे हुए हैं. शिया हजारा समुदाय अफगानिस्तान में भी तीसरी सबसे बड़ी आबादी है, लेकिन इनका दर्द ये है कि इन्हें ना तो अफगानिस्तान के कट्टरपंथियों ने असली मुसलमान माना और ना ही पाकिस्तान के चरमपंथियों ने.. अफगानिस्तान में जब क्रूर तालिबानियों का शासन था उस दौरान हजारा शियाओं पर जबरदस्त हिंसा हुई थी. बहुत सारे हजारा शिया मारे गए जो बच गए वो भुखमरी के शिकार हो गए. साफ है कि हजारा शिया समुदाय पर जुल्मो सितम का इतिहास पुराना है.
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